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क‍ितना खतरनाक है ओमिक्रोन, क्‍या है इससे बचने के उपाय ? - श्रीनारद मीडिया

क‍ितना खतरनाक है ओमिक्रोन, क्‍या है इससे बचने के उपाय ?

क‍ितना खतरनाक है ओमिक्रोन, क्‍या है इससे बचने के उपाय ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के खतरनाक वैरिएंट ओमिक्रोन ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना वायरस का यह नया वैरिएंट अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट बताया जा रहा है। ओमिक्रोन की सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई, लेकिन अब कोरोना वायरस का ये खतरनाक वैरिएंट यूरोप और एशिया में अपना पांव पसार चुका है। इसके बाद इस वैरिएंट से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। यह नया वैरिएंट तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है और परेशान करने वाली बात ये है कि ये उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो पहले से ही संक्रमित हो चुके हैं।

यह नया वैरिएंट क्‍या है और यह अन्‍य से कैसे ज्‍यादा घातक है ?

1- यह कोरोना वायरस का नया वैरिएंट है। इसे ओमिक्रोन (B.1.1.529) नाम दिया गया है। इस वैरिएंट के कुल 50 तरह के म्‍यूटेशन है। इसमें 30 स्‍पाइक प्रोटीन है। वैरिएंट की यह खासियत उसको अधिक संक्रामक और खतरनाक बनाती है। चिंता की बात वैरिएंट के 50 म्‍यूटेशन है। विश्‍व स्‍थ्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसे डेल्‍टा वैरिएंट से ज्‍यादा खतरनाक बताया है।

2- दरअसल, म्‍यूटेशन एक गुच्‍छे की तरह है और यह पहले फैलने वाले वैरिएंट से पूरी तरह से अलग है। इसके साथ इसमें 30 स्‍पाइक प्रोटीन हैं। वायरस के आंतरिक सरंचना में स्‍पाइक प्रोटीन ही वह हिस्‍सा होता है, जहां वैक्‍सीन असर करती है। अगर स्‍पाइक प्रोटीन अलग-अलग होगा तो इस पर वैक्‍सीन के असरदार नहीं होने की आशंका है।

3- इसे ऐसे समझिए, भारत में कहर मचाने वाले डेल्‍टा वैरिएंट के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में दो म्‍यूटेशन थे, जबकि इस वैरिएंट में 10 तरह के म्‍यूटेशन है। यह वायरस का वह हिस्‍सा होता है, जो हमारे शरीर के सेल्‍स के संपर्क में आता है। इसलिए यह वैरिएंट ज्‍यादा संक्रामक माना जा रहा है। हालांकि अभी इस वायरस के बारे में बहुत कुछ जानकारी आना बाकी है। लेकिन इसने जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के मामलों वृद्धि की है उससे इसके चरित्र को समझा जा सकता है।

इस नए वैरिएंट के प्रकोप से कैसे बचा जा सकता है ?

सावधानी, सजगता और सचेत रहकर हम किसी भी खतरनाक संक्रामक बीमारी से बच सकते हैं। फ‍िर वह चाहे डेल्‍टा वैरिएंट रहा हो या फ‍िर ओमिक्रोन हो। तथ्‍यों की जानकारी रखकर और जरूरी सावधानी अपनाकर आप खुद को और अपने निकट के लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन अपने स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की ओर से दी गई सलाह को पूरी तरह से फालो करें। इसे कतई नजरअंदाज नहीं करें। जब भी हम गाइडलाइन से दूर जाएंगे संक्रमित होने का खतरा बढ़ता जाएगा।

हाई रिस्क कैटेगरी के लोगों के लिए क्‍या सलाह है ?

हाई रिस्क मरीजों जिनमें ट्रांसप्लांट वाले मरीज, ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट डिजीज, लिवर समेत गंभीर रोगों से जूझ रहे लोगों को ज्यादा सावधान और सचेत रहने की जरूरत है। इन सभी को CAB यानी कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करना अनिवार्य है। मास्क का इस्तेमाल और दो गज की दूरी का ध्यान रखना जरूर रखना होगा। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर के जरिए ही इससे निपटा जा सकता है। इसमें मास्क पहनना, फिजिकल डिस्टेंसिंग, पब्लिक गैदरिंग को बंद करना या सीमित करना जैसे अहम एहतियात हैं।

ओमिक्रान को लेकर सरकार ने क्‍या कदम उठाए हैं ?

1- कोरोना के इस ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरे की घंटी सुनाई देते ही भारत सरकार ने इसे लेकर नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इस गाइडलाइन के मुताबिक ओमिक्रान से प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों के लिए RTPCR की जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। यही नहीं यात्रियों को एयरपोर्ट छोड़ने की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक दिए गए सैंपल की जांच का रिजल्ट नहीं आ जाता।

2- इसके अलावा टेस्ट में पाजिटिव पाए गए यात्रियों को क्वारंटाइन किया जाएगा और प्रोटोकाल के मुताबिक उनका इलाज होगा। इसके अलावा पाजिटिव पाए गए व्यक्ति के सैंपल भी जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाएंगे। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर पैसेंजर एयरपोर्ट से जा पाएंगे लेकिन कम से कम सात दिनों के लिए उन्हें घर पर आइसोलेशन में रहना होगा। इसी के साथ भारत लौटने के आठवें दिन उन्हें दोबारा अपना कोरोना की जांच कराना होगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई इन तमाम गाइडलाइंस का पालन करना अनिवार्य होगा।

ओमिक्रान वैरिएंट के क्‍या लक्ष्‍ण हैं ?

ओमिक्रोन वैरिएंट का अभी तक कोई असामान्य या नया लक्षण नहीं दिखा है। इसका तात्‍पर्य यह है कि ओमिक्रोन संक्रमण के कारण भी पिछले वैरिएंट जैसे लक्षण ही दिख रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि बुखार, खांसी, गंध या स्वाद का खो जाना, गले में दर्द, सिरदर्द, सांस लेने में समस्या, सीने में दर्द आदि सामान्‍य लक्ष्‍ण हो सकते है। ओमिक्रोन वैरिएंट के कारण कुछ मरीज असिंप्टोमेटिक भी हो सकते हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार ओमिक्रोन की जांच करने के लिए पहले से इस्तेमाल किए जा रहे पीसीआर टेस्ट की ही मदद ली जा रही है। हालांकि, कई लैब ने संकेत दिया है कि इस पीसीआर टेस्ट में तीन टारगेट जीन्स में से एक डिटेक्ट नहीं किया जा रहा है।

क्या वैक्सीन या बूस्टर डोज इस पर कारगर है ?

ओमिक्रोन के खिलाफ यह वैक्‍सीन कितनी असरदार है इस पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, वैक्‍सीन निर्माता कंपनियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। यह एक सकारात्‍मक कदम है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओमिक्रोन ने वैक्‍सीन या बूस्‍टर डोज लगवा चुके कई लोगों को संक्रमित किया है, लेकिन यह अभी शोध का विषय है। आने वाले समय में चीजें और स्‍पष्‍ट हो सकेंगी। फ‍िलहाल, वैक्‍सीनेशन पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए।

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