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अभिषेक मनु सिंघवी तक कैसे पहुंचा नोटों का बंडल? - श्रीनारद मीडिया

अभिषेक मनु सिंघवी तक कैसे पहुंचा नोटों का बंडल?

अभिषेक मनु सिंघवी तक कैसे पहुंचा नोटों का बंडल?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राज्यसभा में नोटों की गड्डियों पर हंगामा मच गया. सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को सदन को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि नियमित एंटी-सैबोटेज जांच के दौरान सदन के अंदर से रुपयों की गड्डी मिली है. नकदी सीट नंबर 222 के नीचे से मिली. यह वर्तमान में तेलंगाना से निर्वाचित कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित किया गया है. मामले की जांच चल रही है. इस घोषणा से सदन में हंगामा मच गया.

कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे को इस मामले पर राज्यसभा में बोलने की अनुमति दी गई. उन्होंने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और जबतक सच सामने नहीं आ जाता, हमें किसी भी सदस्य का नाम नहीं लेना चाहिए. धनखड़ ने कहा, “मैं यह भी नहीं कह सकता कि करेंसी नोट असली हैं या नहीं..” इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने चर्चा में शामिल होकर कहा कि डिजिटल इंडिया के युग में “क्या नकदी का बंडल ले जाना उचित है?”

अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या दी प्रतिक्रिया?

अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मैं राज्यसभा में जाते समय केवल 500 का एक नोट अपने साथ रखता हूं. गुरुवार को मैं ठीक 12:57 बजे सदन में पहुंचा था. सदन 1 बजे स्थगित होने के बाद मैं कैंटीन में 1:30 बजे तक बैठा रहा. फिर संसद परिसर से चला गया.

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सिंघवी ने कहा,”गुरुवार को मैं सदन में कुल 3 मिनट और कैंटीन में 30 मिनट रहा. मुझे यह अजीब लगता है कि ऐसे मुद्दों पर भी राजनीति की जाती है. बेशक इस बात की जांच होनी चाहिए कि लोग कैसे कहीं भी किसी भी सीट पर कुछ भी रखकर चले जा रहे हैं. इसका मतलब है कि हममें से हर किसी के पास एक सीट होनी चाहिए, जहां सीट को लॉक किया जा सके और चाबी सांसद अपने साथ ले जा सकें.”

सदन में हंगामा हो गया और सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, सभापति को जांच पूरी हुए बिना सदस्य का नाम नहीं बताना चाहिए था. वहीं, सदन के नेता जेपी नड्डा ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह कुछ मुद्दों पर उत्सुकता दिखा रहा है. जबकि अन्य मुद्दों पर पर्दा डालना चाहता है. नड्डा ने कहा, मामला गंभीर है और विपक्ष और सत्ता पक्ष को विभाजित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह सदन की गरिमा पर हमला है.

खड़गे ने आपत्ति जताई और पलटवार करते हुए कहा, नड्डा जी क्यों कह रहे हैं कि हम मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.. आप ऐसा करते है, हम ऐसा नहीं करते हैं.

नाम लेने पर आपत्ति क्यों?

संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने पूछा, नाम लेने पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए? सभापति ने सीट संख्या और उस पर बैठने वाले सदस्य के बारे में बताया है. इसमें समस्या क्या है? उन्होंने कहा कि सदन में नोटों की गड्डा लेकर आना उचित नहीं है. उन्होंने कहा, इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा कि यह गंभीर मुद्दा है. हम नहीं जानते कि उस तरफ और क्या मिल सकता है. गोयल ने किसी का नाम लिए बिना विपक्ष पर ‘फर्जी नैरेटिव’ की आड़ में संसद को बाधित करने का आरोप लगाया. गोयल ने कहा, हम सत्र दर सत्र देख रहे हैं. फर्जी नैरेटिव, फर्जी विचारों पर विपक्ष के नेता और अनैतिक गठबंधन के नेताओं ने सदन को रोक दिया है. उन्होंने कहा, वे विदेशी रिपोर्टों पर आधारित अपनी कहानी सुनाते हैं और सदन को रोकते हैं. क्या इसमें भी कोई साजिश है? लोगों को फर्जी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए होने वाले लेन-देन के बारे में चिंता करनी होगी.

गोयल ने सुझाव दिया है कि एक सामान्य नियम बनाया जाना चाहिए. उसके बाद नड्डा ने सुझाव दिया कि सदन को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए जिसमें कहा गया हो कि सदन की कार्यवाही कभी बाधित नहीं होनी चाहिए.

सिंघवी बोले- लॉक सिस्टम देना चाहिए

कांग्रेस सांसद सिंघवी ने आगे कहा, जब मैं राज्यसभा जाता हूं तो सिर्फ 500 रुपये का एक नोट लेकर आता हूं. इसके बारे में अभी पहली बार सुना. उन्होंने एक्स पर लिखा, मैं दोपहर 1:30 बजे तक कैंटीन में बैठा रहा और फिर संसद से बाहर चला गया. मैं कल सदन में कुल तीन मिनट रहा और संसद में 30 मिनट रहा. मुझे यह अजीब लगता है कि ऐसे मुद्दों पर भी राजनीति की जाती है.

निश्चित रूप से इस बात की जांच होनी चाहिए कि लोग कैसे आ सकते हैं और किसी भी सीट पर कुछ भी रख सकते हैं. सदन में सबकी सीट तय होनी चाहिए. सीट पर ग्लास से घिरा ऐसा लॉक सिस्टम होना चाहिए जिसकी चाभी सिर्फ उसी सदस्य के पास हो. ताकि सभी सदस्य सिर्फ अपनी तय सीट पर ही बैठें. अब सीटें भी खतरनाक हो गई है.

दरअसल, संसद सत्र के दौरान हर दिन सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सदन की एंटी सैबोटेज जांच होती है. सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी यह जांच की जाती है. जांच के दौरान कई बार चश्मा, मोबाइल, डायरी जैसी चीजें मिलती हैं जो सांसद भूलवश छोड़ जाते हैं. इन्हें राज्य सभा सचिवालय के लॉस्ट एंड फाउंड काउंटर पर जमा करा दिया जाता है. एंटी सैबोटेज जांच हुई तो सीट नंबर 222 पर पांच सौ के नोटों की गड्डी मिली.

चूंकि, रकम बड़ी है. यानी करीब पचास हजार रुपए. लिहाजा तुरंत इसकी जानकारी राज्यसभा सचिवालय को दी गई और गड्डी लॉस्ट एंड फाउंड में जमा कर दी गई. इसके बाद राज्य सभा के सभापति को सूचित किया गया. यह सीट कांग्रेस के तेलंगाना से सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है. हालांकि, सिंघवी ने इस गड्डी के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है.

पहले संसद में लहराई जा चुकी गड्डियां

नए सदन के भीतर इतनी बड़ी संख्या में नोट मिलने का यह पहला मामला है. इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान न्यूक्लियर डील पर सीपीएम के समर्थन वापस लेने पर विश्वास मत हासिल करने की प्रक्रिया के दौरान बीजेपी के सांसदों ने नोटों की गड्डियां लहराई थीं. उनका आरोप था कि विश्वास मत के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने के लिए उन्हे्ं यह घूस की तौर पर दी गई थी. तत्कालीन स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने इसकी जांच के लिए एक समिति बनाई थी. कितनी नगद राशि सदन में लेकर जा सकते है इस पर कोई नियम नहीं है.

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