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एचआईवी संक्रमितों को सरकारी सहायता प्रदान करने को आईसीडीएस कर्मियों को मिला प्रशिक्षण - श्रीनारद मीडिया

एचआईवी संक्रमितों को सरकारी सहायता प्रदान करने को आईसीडीएस कर्मियों को मिला प्रशिक्षण

एचआईवी संक्रमितों को सरकारी सहायता प्रदान करने को आईसीडीएस कर्मियों को मिला प्रशिक्षण

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सभी लोगों तक एचआईवी से सुरक्षा की जानकारी पहुँचना आवश्यक : सीएस
एचआईवी पॉजिटिव लोगों को शारीरिक सुरक्षा के लिए दवा सेवन जरूरी:
जिला एआरटी सेंटर से 811 लोगों को दिया जाता है संक्रमण से सुरक्षित रहने को मेडिसीन:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


एचआईवी एड्स से सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करने और संक्रमित व्यक्ति को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आईसीडीएस कर्मचारियों को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के जिला प्रतिरक्षण सभागार में एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में आईसीडीएस के सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिकाओं को अपने क्षेत्र के सभी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को समय पर इलाज कराने और संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक दवा का इस्तेमाल करने के लिए जागरूक करने की जानकारी दी गयी। बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी से आए टेक्नीकल एक्सपर्ट अरविंदम चटर्जी द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा, डीपीएम (स्वास्थ्य) ब्रजेश कुमार सिंह, डीआईएस (एड्स) बी. एन. प्रसाद, मेडिकल कॉलेज एआरटी सेंटर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सौरभ कुमार, काउंसिलर प्रीति कुमारी, मुकुल चौधरी, आहना पीओ रवि शंकर, एफओ गौतम कुमार सहित सभी प्रखंडों के आईसीडीएस सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिका उपस्थित रहीं।

सभी लोगों तक एचआईवी से सुरक्षा की जानकारी पहुँचना आवश्यक : सीएस
प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ. एस के वर्मा ने कहा कि एचआईवी एक वायरस है जिससे संक्रमित व्यक्ति अगर समय से इसकी पहचान कर लें तो वह इससे शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। एचआईवी संक्रमण का कोई पर्याप्त इलाज नहीं है लेकिन समय पर इसकी जांच हो जाने पर लोग आवश्यक दवाइयों का उपयोग कर इसे कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए लोगों को सभी प्रकार की जरूरी जानकारी का होना आवश्यक है। जिसमें इसके लक्षण, जांच केंद्र मुख्य है। आईसीडीएस द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की पहचान आसानी से की जा सकती है।स्थानीय स्तर पर उनको गोपनीयता का ध्यान रखते हुए उसका पर्याप्त इलाज किया जा सकता है। इसलिए सभी लोगों को एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की पहचान कर उसे आवश्यक इलाज व अन्य सरकारी सहायता प्रदान करने में सहयोग करना चाहिए।

एचआईवी पॉजिटिव लोगों को शारीरिक सुरक्षा के लिए दवा सेवन जरूरी :
टेक्नीकल एक्सपर्ट प्रशिक्षक अरविंदम चटर्जी ने कहा कि एचआईवी संक्रमित होने पर लोग इससे पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सकते लेकिन अगर समय पर इसकी पहचान कर लें तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है। एचआईवी पॉजिटिव होने पर लोगों को इससे सुरक्षा के लिए आवश्यक दवा का पूरा जीवन सेवन करना आवश्यक है। इससे लोग एड्स जैसी गंभीर स्थिति से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके साथ ही एचआईवी की पहचान होने और आवश्यक इलाज कराने पर संक्रमित व्यक्ति और उनके बच्चों को सरकार द्वारा सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र के एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को परवरिश योजना के तहत 1000 रुपये प्रतिमाह जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को बिहार शताब्दी योजना के तहत 1500 रुपये प्रतिमाह का पोषण भत्ता दिया जाता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह जांच करने और इसके बाद पूरा जीवन संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक दवाओं का उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आईसीडीएस कर्मियों को अपने क्षेत्र के एचआईवी मरीजों की खोज कर उनकी जांच करवाने और आवश्यक दवाई व सरकारी सहायता उपलब्ध कराने को लेकर प्रशिक्षित किया गया।

जिला एआरटी सेंटर से 811 लोगों को दिया जाता है संक्रमण से सुरक्षित रहने हेतु मेडिसीन :
मेडिकल कॉलेज एआरटी सेंटर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सौरभ कुमार ने बताया कि दिसंबर 2019 से मेडिकल कॉलेज में एचआईवी संक्रमण से सुरक्षा के लिए संचालित एआरटी सेंटर में पूर्णिया जिला के साथ आसपास के जिलों के लोगों को भी आवश्यक दवा उपलब्ध कराई जाती है । जिसमें महिला, पुरुष व बच्चे शामिल हैं। वर्तमान में एआरटी सेंटर से 811 लोगों को आवश्यक दवा उपलब्ध कराई जाती है । जिसमें पूर्णिया जिला के अलावा किशनगंज, अररिया, मधेपुरा, सुपौल, दरभंगा, कटिहार व सहरसा के भी लोग हैं। उन सभी लोगों को अलग-अलग दवा उपलब्ध कराई जाती है जिससे कि एचआईवी संक्रमित लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो सके। इसके इस्तेमाल करने से लोग एड्स जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।

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