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निश्‍चय के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगे रहेंगे, तो मुश्किल समय भी निकल जाएगा. - श्रीनारद मीडिया

निश्‍चय के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगे रहेंगे, तो मुश्किल समय भी निकल जाएगा.

निश्‍चय के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगे रहेंगे, तो मुश्किल समय भी निकल जाएगा.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पिछले करीब पौने दो साल से पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में है। इसका हम सबकी जिंदगी पर असर भी देखा जा रहा है। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कोरोना ने बहुत सकारात्मक प्रभाव डाला है, वह है कंप्यूटर। आज कंप्यूटर का प्रयोग हर क्षेत्र की जरूरत बन गया है। आप पढ़ाई कर रहे हों या जाब या फिर अपना काम कर रहे हों, कंप्यूटर का ज्ञान अनिवार्य सा हो गया है। आज वर्क फ्राम होम, स्टडी फ्राम होम जैसे कांसेप्ट पर काम हो रहा है।

इसको देखते हुए सभी प्रकार की ट्रेनिंग भी आनलाइन हो गई है। बहुत सी कंपनियां आज फ्री में या बहुत ही कम फीस पर बहुत सारी आनलाइन ट्रेनिंग कोर्सेज उपलब्ध करा रही हैं। इसी तरह बहुत सी कंपनियां भविष्य में वर्क फ्राम होम की राह पर चलने का मन बना चुकी हैं या चल पड़ी हैं। ऐसा करने से ट्रैवेलिंग टाइम की बचत, ट्रैफिक में कमी, एनवायरमेंट के सुधार की दिशा में बहुत बड़ा कदम साबित हो सकता है।

प्रयास करना न छोड़ें: एक बहुत पुराना किस्सा मुझे याद आ रहा है जिसने मेरे जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाला। लगभग 25 साल पहले की बात है। उस समय राशन की दुकान पर मिलने वाली चीनी का रेट बाजार में मिलने वाली चीनी से बहुत कम होता था और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए यह अंतर बहुत अधिक होता था। उन दिनों एक दिन मैं भी राशन की दुकान पर थैला और राशन कार्ड लेकर पहुंचा। राशन की दुकान पर बहुत लंबी कतार थी।

मुझे लगा कि लाइन में खड़े होने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि मेरा नंबर आने से पहले ही स्‍टाक समाप्‍त हो जाएगा। लेकिन फिर भी खानापूर्ति के लिए मैं लाइन में लग गया तो पता चला कि राशन की दुकान अभी खुली ही नहीं है, क्योंकि दुकान की चाबी खो गई है। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरे पास एक टेबल और कुर्सी लग गई और दुकानदार ने आवाज लगाई और कहा कि आप लोग अपनी पीठ की तरफ मुंह घुमाकर खड़े हो जाएं, आज मैं इधर से ही सामान दूंगा, क्योंकि शटर नहीं खुल सकता। मैंने गोदाम से सामान मंगाया है।

अब आप देखिये, मैं जो कि कतार में सबसे आखिर में था प्रथम हो गया और सबसे पहले चीनी लेकर घर आ गया और पत्नी को खुश करने में कामयाब हुआ। लेकिन अगर आप मुझसे पूछें तो मैंने उस दिन सीखा कि परिस्थिति कितनी भी खराब क्यों न हो, आपके सफल होने के आसार कितने भी कम क्यों न हो, आप प्रयास करना न छोड़ें। अगर पूरे निश्‍चय के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगे रहेंगे, तो मुश्किल समय भी निकल जाएगा। किसी कवि ने कहा है, ‘असफलता एक चुनौती है देखो और स्वीकार करो, जब तक न सफल हो नींद प्यास सब छोड़ो तुम, बिना कुछ किये किसी की जय-जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की जग में हार नहीं होती।’

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