झारखंड में अफसरशाही को भ्रष्टाचार का घुन लगा है, कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विनय कुमार चौबे का है सबसे ताजा मामला
भ्रष्टाचार के दलदल में फंसने वालों में साल 1999 बैच के आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे का प्रकरण सबसे ताजा है। उन्हें राज्य सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। इस मामले में उन पर आरोप है कि उन्होंने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का सचिव रहते हुए शराब नीति में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं कीं, जिससे छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट को लाभ पहुंचा।
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी नाम
साल 2000 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की कारस्तानी और निराशा पैदा करती है। पूजा सिंघल 21 साल की उम्र में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुई थीं। सबसे कम उम्र की आईएएस के तौर पर उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में शामिल है।
गिरफ्तारी के बाद भी मिली पोस्टिंग
मई 2022 में मनरेगा घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उनकी गिरफ्तारी हुई। खूंटी की उपायुक्त रहते हुए उन्होंने 2008-10 के दौरान 10.16 करोड़ रुपये की अनियमितता की। ईडी ने उनके ठिकानों पर छापेमारी में 19.31 करोड़ रुपये नकदी और 150 करोड़ की अघोषित संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए। उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार के घर से भी भारी मात्रा में नकदी मिली। हालांकि, पूजा सिंघल को दिसंबर, 2024 में जमानत मिली और उन्हें दोबारा पोस्टिंग दी गई। उनका भविष्य आगे की न्यायिक कार्रवाई पर निर्भर करता है।
झारखंड क्यों बना भ्रष्टाचार का गढ़?
राज्य में भ्रष्टाचार के कारणों की गहन पड़ताल करने पर पता चलता है कि यहां के लिए वरदान बना खनिज संसाधन इसका एक बड़ा कारण है। खनन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें आती है। इसके अलावा, जमीन एवं शराब जैसे क्षेत्रों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। भ्रष्ट अधिकारियों को सजा मिलने की दर कम है।
साक्ष्य के अभाव में वे छूट जाते हैं, जिससे इस प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। काफी हद तक राजनीतिक संरक्षण भी इसकी एक बड़ी वजह है, जो नौकरशाहों को अनियंत्रित होने का मौका देता है और वे छूटकर भ्रष्ट कारनामे पर उतर आते हैं।
पहले भी आए कई मामले, पर नहीं हुई कार्रवाई
पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आए। ऐसा भी नहीं है कि भ्रष्टाचार केवल ऊपरी स्तर पर है। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार के कई मामलों में कार्रवाई चल रही है। एंटी करप्शन ब्यूरो लगातार रिश्वत आदि की मिलने वाली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करती है, लेकिन यह प्रवृत्ति कम होने के बजाय बढ़ रही है। कई सरकारी पदाधिकारियों और कर्मियों के पास आय से काफी अधिक धन है, जिसे लक्ष्य बनाकर कार्रवाई की जाए तो भ्रष्टाचार की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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