Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
क्या संसार के व्यसनों और इन्द्रियों पर संयम ही सच्ची विजय है? - श्रीनारद मीडिया

क्या संसार के व्यसनों और इन्द्रियों पर संयम ही सच्ची विजय है?

क्या संसार के व्यसनों और इन्द्रियों पर संयम ही सच्ची विजय है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अहंकार और द्वेष ज्ञानी मनुष्य के विवेक को क्षण भर में नष्ट कर देते हैं। जो व्यक्ति इन दुर्गुणों से दूर रहते हैं वह जीवन के हर क्षेत्र में विजयी रहते है। विवेकशील और संयमी मनुष्य सभी बुराइयों से दूर रहते हैं। साधारणतः यही माना जाता है सत्य रूपी राम ने अहंकार रूपी रावण का वध किया था इसे धर्म पर अधर्म की विजय कहा गया
अहंकार से मुक्त संयमी हृदय को मनुष्य का सहज स्वभाव माना गया है। संयमी व्यक्ति आध्यात्मिक, विवेकशील, ईमानदार और समाज का भला करने वाला होता है। ऐसे लोग ही विजयी कहलाते हैं। संयम के अभाव में व्यक्ति में क्रोध, हिंसा और मानसिक अशांति बनी रहती है। इसका प्रभाव उनके जीवन पर भी देखने को मिलता है,
जिसके फलस्वरूप असंयमी व्यक्ति उद्दंड और सभी को कष्ट देने लगता है। उनके विचार सात्विक नहीं रह जाते। जिस मनुष्य में इन सब गुणों का अभाव होता है वह इन्द्रियों का दास बन जाता है। यदि मनुष्य जीवन में किसी पूजा आचमन या योग ध्यान का अभ्यास नहीं करता है लेकिन जीवन संयमित है तो वह सदा दुर्गुणों से दूर रहेगा और सभी सांसारिक सुखों से पूर्ण जीवन व्यतीत करेगा।

रावण को सभी वेदों का ज्ञान था, उसने शिव तांडव और युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की थी, देवताओं को भी परास्त करने वाला महाज्ञानी था। लेकिन उसे अपनी शक्ति का अहंकार हो गया था, अहंकार जैसे दुर्गुणों के कारण रावण का वध हुआ। रावण वध के उपरांत विभीषण ने श्री राम से कहा रावण महाअहंकारी था उसे अपनी शक्ति का अहंकार था ‘आपने रावण का वध करके महान विजय प्राप्त की है’। तब श्री राम ने कहा ‘यह तो साधारण विजय है, असाधारण विजय तो अपने दुर्गुणों पर संयम पा लेना होता है। संयमित व्यक्ति संसार को जीत सकता है’। संसार के व्यसनों और इन्द्रियों पर विजय ही सच्ची विजय है।

जो मनुष्य धर्म के मार्ग पर चलते हैं वही सच्ची विजय के अधिकारी हैं, धर्म व्यक्ति धैर्यवान बनाता है। यदि मनुष्य सत्य का मार्ग अपनाये तो उसको विजयी होने से कोई नहीं रोक सकता है। शौर्य की प्राप्ति में सत्य ही सहायक है, विवेक, धर्म, दया और संयमी व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता, संयमी और अहंकार से रहित व्यक्ति किसी से छल नहीं करता और असत्य से दूर रहता है। काम, क्रोध, अहंकार, द्वेष, लालच से दूर होकर संसार का भला करता है।

सांसारिक चंचलता से दूर होकर क्षमाशील बनता है। सांसारिक बातों से दूरी बनाकर मन को स्थिर बनाने का प्रयास करें सांसारिक घटनाएं मन को व्यथित करती हैं जिससे शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । भगवदगीता के अनुसार ध्यान और योग के द्वारा हम खुद को जान सकते हैं यह आपको स्वयं पर नियंत्रण के मार्ग प्रदर्शित करता है। कामनाओं से रहित जीवन की ओर अग्रसर करता है ।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!