क्या संग्रहालय में सुरक्षित है ज्ञानवापी का सच?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमेरिका के लास एंजिलिस स्थित ‘गेट्टी म्यूजियम’ के फोटोग्राफ्स विभाग में तस्वीर प्रदर्शित है, जिसके चित्र परिचय में लिखा है- ‘ज्ञानवापी आर वेल आफ नालेज’ यानी ज्ञानवापी-ज्ञान का कुआं। विवरण में आगे लिखा है- ‘वाराणसी में इसी नाम की मस्जिद के अंदर ज्ञानवापी कुएं का दृश्य। तीन अलंकृत नक्काशीदार स्तंभ अग्रभूमि में, एक खोदी गई मेहराब के नीचे और एक नक्काशीदार मूर्ति के सामने खड़े हैं।

एक दूसरी तस्वीर में अलंकृत रूप से सजाई गई मूर्ति दो स्तंभों के बीच दिख रही है और इसके ऊपर स्तंभों में से एक के शीर्ष पर घंटी लटकी हुई है। इस फोटो में दीवार पर बनी बजरंगबली की मूर्ति, घंटियां, नक्काशीदार खंभे व अन्य हिंदू धर्म के प्रतीक चिह्न एकदम स्पष्ट देखे जा सकते हैं। यह तस्वीरें ब्रिटिश फोटोग्राफर सैमुअल बार्न ने 1868 में तब खींची थी, जब वह बनारस यात्रा पर आए थे। ये फोटोग्राफ्स आज से 155 वर्ष पूर्व ज्ञानवापी की असलियत को दर्शाते हैं।

संग्रहालय में सैमुअल के खींचे और नीलामी में प्राप्त लगभग 150 फोटोग्राफ हैं, जो उन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान कैमरे से खींची थीं। इनमें बनारस के घाट, आलमगिरी मस्जिद सहित अनेक मंदिरों और ज्ञानवापी के भीतर तथा बाहर बैठे नंदी की अनेक तस्वीरें हैं।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि सैमुअल बार्न के चित्रों में ज्ञानवापी में दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र, हिंदू धर्म के प्रतीक चिह्न स्पष्ट रूप से उपस्थित दिखते हैं। इससे यह पता चलता है ज्ञानवापी के भीतर आज भी मंदिर के बहुत सारे अवशेष पाए जा सकते ह

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश अदालत ने दिया था, लेकिन अब आगे का आदेश हाईकोर्ट ही देगा. सुप्रीम कोर्ट से सर्वे पर अंतरिम रोक का आदेश आने से पहले करीब चार घंटे तक एएसआई की टीम ने मस्जिद परिसर में जगहों को चिह्नित किया. वीडियो और फोटोग्राफी की. सर्वे में रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया.

मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि सर्वे के दौरान खुदाई की थी लेकिन प्रशासन ने इससे इनकार किया. प्रशासन का कहना है कि मस्जिद परिसर में किसी भी तरह की कोई खुदाई नहीं की गई. फिलहाल 26 तारीख तक वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में पुरातत्व सर्वेक्षण नहीं होगा.

अब बड़ा सवाल ये है कि सर्वे से क्या होगा? और इसका जवाब ये है कि सर्वे से ये पता चलेगा कि किस पक्ष का दावा कितना मजबूत है. सर्वे से दोनों पक्षों के दावों पर पुख्ता सबूत मिल जाएंगे. यही नहीं, इस सर्वे से वैज्ञानिक सबूत मिल जाएंगे जो मामले को आगे ले जाएंगे. सर्वे के नतीजे किस पक्ष के अनुकूल होंगे, ये तो बाद में ही पता चल पाएगा लेकिन इससे ये पुष्टि भी हो जाएगी कि ज्ञानवापी मस्जिद, कभी मंदिर थी या नहीं..

बहरहाल, ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद करीब साढ़े तीन सौ बरस के बाद एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा दिख रहा है, लेकिन इससे न सिर्फ मंदिर-मस्जिद विवाद का सच मालूम होगा, बल्कि राजनीति का एक नया चैप्टर खुल जाएगा.

संग्रहालय में सैमुअल के खींचे और नीलामी में प्राप्त लगभग 150 फोटोग्राफ हैं, जो उन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान कैमरे से खींची थीं। इनमें बनारस के घाट, आलमगिरी मस्जिद सहित अनेक मंदिरों और ज्ञानवापी के भीतर तथा बाहर बैठे नंदी की अनेक तस्वीरें हैं।काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि सैमुअल बार्न के चित्रों में ज्ञानवापी में दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र, हिंदू धर्म के प्रतीक चिह्न स्पष्ट रूप से उपस्थित दिखते हैं। इससे यह पता चलता है ज्ञानवापी के भीतर आज भी मंदिर के बहुत सारे अवशेष पाए जा सकते हैं I

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