क्या बिहार में कमजोर मॉनसून से अकाल की आहट है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

धान बुआई का मौसम जैसे -जैसे बीत रहा है, बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरों पर निराशा दिखने लगी है. राज्य के 30 जिलों में सामान्य से 20 फीसदी से भी कम बारिश हुई है. पांच जिलों की हालत और भी खराब है. यहां 64 फीसदी तक कम बारिश हुई है. कृषि विभाग के छह जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक जमुई, कैमूर और रोहतास जिले में अब तक रोपनी शुरू नहीं हुई है. उत्तर बिहार की अपेक्षा दक्षिण बिहार में सूखे के हालात बनते नजर आ रहे हैं.

सबसे अधिक करीब 56 फीसदी रोपनी पश्चिम चंपारण में

सूबे के 13 जिलों में धान की रोपनी की रफ्तार बहुत धीमी है. सबसे अधिक करीब 56 फीसदी रोपनी पश्चिम चंपारण में हुई है. फिलहाल राज्य में धान की औसतन रोपनी करीब 15 से 20 फीसदी हुई है. ऐसे में बारिश कम होने से फसलों की सिंचाई के वैकल्पिक रास्ते तलाशने की तैयारी तेज हो गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा और निर्देश के बाद जल संसाधन, आपदा प्रबंधन एवं कृषि विभाग सक्रिय हो गया है.

कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने का अलर्ट

प्रदेश में मॉनसून तकरीबन पूरी तरह निष्क्रिय बना हुआ है. शुक्रवार की भांति शनिवार को दिन में भी बिहार में नाम मात्र की भी बारिश नहीं हुई है. इधर, रविवार को उत्तरी-पश्चिमी बिहार के कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया गया है. प्रदेश में अभी तक सामान्य से 28 फीसदी कम केवल 192 मिलीमीटर ही बारिश हुई है़

इन 13 जिलों में रोपनी की रफ्तार बहुत धीमी

कृषि विभाग के मुताबिक अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, बक्सर, गया, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा, नवादा, शेखपुरा और सीतामढ़ी में धान की रोपनी की रफ्तार बहुत धीमी है.

30 जिलों में 20 फीसदी से भी कम बारिश

शनिवार को हुई समीक्षा में अधिकारियों ने बताया था कि एक जून से 8 जुलाई की अवधि में अररिया, बेगूसराय, बक्सर, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, पूर्णिया एवं सुपौल को छोड़ बाकी सभी 30 जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई है. वहीं, कृषि विभाग के सचिव एन सरवन कुमार ने जानकारी दी है कि अब तक राज्य में 15 से 20% रोपनी का कार्य हुआ है.

केवल आठ जिलों में अच्छी बारिश

सूत्रों के अनुसारराज्य में इस माॅनसून में एक जून से आठ जुलाई के दौरान अब तक केवल आठ जिलों में अच्छी बारिश हुई है. इनमें अररिया, बेगूसराय, बक्सर, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, पूर्णिया और सुपौल जिले शामिल हैं. इन जिलों में से बेगूसराय और बक्सर को छोड़कर अन्य छह जिलों में धान की रोपनी रफ्तार पकड़ चुकी है.

26 जिलों में 40 फीसदी या उससे कम बारिश

बांका (-45%), भभुआ (-42%), भागलपुर (-52%), भोजपुर (-48%), गोपालगंज (-48%), जहानाबाद (-43%), कटिहार (-52%), लखीसराय (-56%), नालंदा (-48%), नवादा (-52%), रोहतास (-50%), समस्तीपुर (-40%), सारण (-58%), सीवान (-46%) और वैशाली (-40%) .

(आंकड़े एक जून से नौ जुलाई तक के हैं)

सिंचाई के लिए आठ घंटेमिलेगी बिजली

सूखे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ऊर्जाविभाग ने किसानों को प्राथमिकता के आधार परसिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. इसके तहत किसानों को कम-से-कम आठ घंटेसिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध करायी जायेगी. कंपनियों ने इस संबंध में निर्देश दिये हैं. अधिकारियों के मुताबिक किसानों को बिजली की आपूर्ति कृषि फीडर का प्रबंध किया गया है. जहां कृषि फीडर नहीं हैं, वहां सामान्य फीडरों से भी आपूर्ति होगी.

नहरों से भी सिंचाई की हो रही तैयारी

जमुई, कैमूर औररोहतास सहित अन्य जिलों में नहरों के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए जल संसाधन विभाग ने प्रयास शुरू करदिया है. नहरों में जलापूर्ति लगातार जारी रखने के निर्देश दिये गये हैं. इसके साथ ही धान सहित अन्य खरीफ फसलों के नुकसान होने की स्थिति में कृषि विभाग ने किसानों के बीच वैकल्पिक फसल उपजाने के लिए प्रचारप्रसार करने की तैयारी की है.

 

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