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क्या बिपरजॉय चक्रवात से कम नुकसान हुआ है? - श्रीनारद मीडिया

क्या बिपरजॉय चक्रवात से कम नुकसान हुआ है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केन्द्र व राज्यों की सरकारों, देश की आपदा प्रबंधन टीम, मौसम विज्ञानियों, तटरक्षक बल टीम व इस अभियान से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से जुडे़ सभी के समग्र प्रयासों से अरब सागर पर आये सुपर साइक्लोन बिपरजॉय को गुजरात के लैंड फॉल के दौरान बिफरने से इस तरह बचा लिया कि देश दुनिया में आये इस तरह के किसी भी तूफान में संभवतः यह पहला प्रबंधन होगा जिसमें लगभग नहीं के बराबर जनहानि हुई है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि इस तरह के तूफान से हानि तो होनी ही है पर जनहानि को न्यूनतम रखा जाना किसी भी सरकार की सबसे बड़ी सफलता मानी जा सकती है। यह साफ हो जाना चाहिए कि कुदरती आफत को रोका तो नहीं जा सकता पर पूर्व व योजनावद्ध तैयारी से हानि को कम से कम स्तर पर लाया जा सकता है। बिजली की खंभे गिर जाना, टीन टप्पर उड़ जाना, पेड़ गिर जाना आदि नुकसान तो होना ही है पर नुकसान को कम से कम स्तर पर लाना और तात्कालिक राहत की सभी व्यवस्थाएं समय पर सुनिश्चित करना बड़ी सफलता माना जाना चाहिए।

हांलाकि अब गुजरात और राजस्थान में तेज बरसात का दौर चल गया है। प्राप्त समाचारों के अनुसार लैंड फॉल के बाद केवल दो की मौत के समाचार है। हांलाकि जनहानि एक भी होती है तो उसे स्वीकार्य नहीं माना जा सकता पर जिस तरह से इस चक्रवात के सजीव प्रसारणों के दौरान कुछ लोगों को लाख समझाइश के बाद भी लापरवाही से घूमते हुए देखा गया वह किसी दण्डनीय अपराध से कम नहीं माना जाना चाहिए।

अरब सागर के यह चक्रवाती तूफान भी देखा जाए तो मई जून यानी की मानसून के आसपास ही देखे गये है। बिपरजॉय को लेकर इसलिए अधिक चिंता और गंभीरता रही कि गुजरात में 1996 और 1998 में आये चक्रवाती तूफानों खासतौर से 1998 के टाइफून के दौरान जिस तरह से पोर्ट के इर्दगिर्द हजारों की संख्या में लोगों की मौत और गुम होने का दंश आज भी गुजरात के लोग सह रहे हैं। ऐसे में बिपरजॉय की भयावहता को देखते चिंतित होना स्वाभाविक भी था।

हांलाकि जिस तरह से प्रबंधन दक्षता व परस्पर समन्वय का परिचय दिया गया है उसकी जितनी सराहना की जाएं वह कम है। देष में 2013 के फैलिना तूफान से लेकर, हुदहुद, वरदा, फैनी, अम्फान, ताउते व बिफरजॉय तूफान तक 11 बड़े चक्रवती तूफान आ चुके हैं। दरअसल बिफरजॉय तूफान सुपर साइक्लोन होने के कारण इससे भारी जन-धन हानि होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। यही कारण है कि करीब एक लाख लोगों को गुजरात के तटीय इलाकों खासतौर से मांडवी व आसपास के क्षेत्र से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। लोगों को सावचेत किया गया।

पल पल की जानकारी साझा की जाती रही। लगभग सौ ट्रेनों के फेरे रद्द किए गए या उनकी राह बदली गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्र सरकार के मंत्रीगण, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ना केवल स्थिति पर नजर रखते रहे हैं अपितु उच्चस्तरीय बैठक कर तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं।

मौसम विज्ञानियों की माने तो अरब सागर क्षेत्र में बढ़ते तापमान से चक्रवातों की तीव्रता और बारबारिता में बढ़ोतरी हुई है। 7516 किमी लंबें तटीय क्षेत्र 8 प्रतिषत उष्ण कटीबंधीय चक्रवात भारत में आ रहे हैं। अरब सागर में आने वाले चक्रवातों से 9 प्रदेशों के 82 करोड़ लोग प्रभावित होने के साथ ही अरबसागरीय तूफान का असर पाकिस्तान और यमन ओमान तक देखा जा सकता है।

जिस तरह से बिपरजॉय को लेकर समूचा देश चिंता ग्रस्त रहा उसे देखते हुए और तूफान की भयावहता के बावजूद जिस तरह से मौसम विज्ञानियों की मिनट टू मिनट आकलन सटीक रहा वह मौसम विभाग की भविष्यवाणियों को लेकर अभी तक चली आ रही सभी नकारात्मकता को धो कर रख दिया है। मौसम विभाग ने समय और गति का जिस तरह से आकलन किया वह लगभग खरा उतरा है और हमारे मौसम विज्ञानियों के आकलन ने विश्वस्तर पर लोहा मनवा दिया है।

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