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इंदिरा गांधी होना आसान नहीं- कांग्रेस - श्रीनारद मीडिया

इंदिरा गांधी होना आसान नहीं- कांग्रेस

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने संसद का स्पेशल सेशन बुलाने की सिफारिश की है। मल्लिकार्जुन खरगे का कहना है कि पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर पर बातचीत करने के लिए संसद का खास सदन बुलाया जाए।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर हमले का पूरे विपक्ष ने समर्थन किया है। हालाकि, 4 दिन के संघर्ष के बाद अचानक लागू हुए सीजफायर पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, “22 अप्रैल को भारत पर जो आतंकी आक्रमण हुआ, उसका बदला लेने के लिए पूरे देश ने सरकार को समर्थन दिया। हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया है। उसके लिए हमें उनपर गर्व है।

सरकार अपना मत स्पष्ट करे: सचिन पायलट

पाकिस्तान ने सीजफायर होने के बाद जो बमबारी की है वो चिंता का विषय है और उसकी घोषणा अमेरिका के माध्यम से हो रही है। वो कश्मीर पर चर्चा की बात करते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अपना मत स्पष्ट करे। सीजफायर की बात अमेरिका के माध्यम से क्यों हो रही है? हमने हमेशा कहा है कि PoK भारत का हिस्सा है, उसपर कोई समझौता नहीं हो सकता है”

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौते को लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। PAK के साथ हुए इस संघर्ष की तुलना 1971 में हुए युद्ध से की जा रही है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस जारी है। इस बहस के बीच अब कांग्रेस नेता शशि थरूर का एक बड़ा बयान सामने आया है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि 1971 और 2025 के हालात एक जैसे नहीं हैं। दरअसल कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1971 के नेतृत्व को उभारते हुए मोदी सरकार के युद्ध नीति की आलोचना करने शुरू कर दी है।

‘हमारे लिए शांति जरूरी है’

अब समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद से कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर दिखाए गए इंदिरा गांधी अभियान के बारे में सवाल किए गए। अभियान पर सीधे टिप्पणी किए बिना थरूर ने जवाब दिया, ‘मेरे हिसाब से सच्चाई यह है कि हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां तनाव बेवजह नियंत्रण से बाहर हो रहा है। हमारे लिए शांति जरूरी है। सच्चाई यह है कि 1971 के हालात 2025 के हालात जैसे नहीं हैं। दोनों में अंतर है।’

‘मैं ये नहीं कह रहा कि युद्ध बंद…’

शशि थरूर ने आगे कहा, भारत के लोग शांति के हकदार हैं। हमने बहुत कुछ सहा है, पुंछ के लोगों से पूछिए, कितने लोग मारे गए हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें युद्ध बंद कर देना चाहिए। जब ​​उन्हें जारी रखने के कारण हों, तो हमें जारी रखना चाहिए। लेकिन यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे। हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे। वह सबक सिखाया जा चुका है।

रातों रात नहीं पकड़े जाते आतंकवादी-शशि थरूर

शशि थरूर का मानना है उन्हें भरोसा है कि सरकार पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने की कोशिश जारी रखेगी, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।शशि थरूर अपने बयान में आगे कहा- यह रातों-रात नहीं हो सकता, इसमें महीनों, सालों लग सकते हैं, लेकिन हमें यह करना होगा। किसी को भी निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पूरे देश को एक लंबे युद्ध में खतरे में डाल दें।

जहां तक ​​पाकिस्तान के साथ इस विशेष संघर्ष का सवाल है, तो और अधिक जान, अंग और संपत्ति को जोखिम में डालने का कोई कारण नहीं है। हमें भारतीय लोगों की समृद्धि, कल्याण विकास और प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि इस समय शांति ही सही रास्ता है।

1971 की लड़ाई पर क्या बोले शशि थरूर?

शशि थरूर ने आगे भारत और बांग्लादेश के बीच हुई 1971 की लड़ाई का विस्तार से जिक्र किया। शशि थरूर ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत लोगों को आजादी दिलाने के लिए नैतिक लड़ाई लड़ रहा था। यह एक अलग कहानी है। हम दोनों पक्षों के लोगों की जान जाने के साथ एक बहुत लंबे, लंबे संघर्ष में फंस जाते। क्या आज भारत के लिए यह सबसे बड़ी प्राथमिकता है? नहीं, यह नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा है- हम उन लोगों को सिखाना चाहते थे जिन्होंने इन आतंकवादियों को भेजा था कि उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। कांग्रेस नेता ने आगे ये भी कहा कि 1971 की जीत एक महान उपलब्धि थी जो मुझे एक भारतीय के रूप में गौरवान्वित करती है।

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