Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
  पत्रकारों के आपसी बिखराव की वजह से घटा पत्रकारिता का मान: एपी द्विवेदी - श्रीनारद मीडिया

  पत्रकारों के आपसी बिखराव की वजह से घटा पत्रकारिता का मान: एपी द्विवेदी

पत्रकारों के आपसी बिखराव की वजह से घटा पत्रकारिता का मान: एपी द्विवेदी

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

-सकारात्मक सक्रियता तथा निष्पक्ष पत्रकारिता समाज के लिए सिद्ध होती है वरदान

-पत्रकार प्रेस क्लब की ओर से धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रवादी पत्रकारिता संगोष्ठी सकुशल संपन्न

-संगोष्ठी में उत्कृष्ट पत्रकारिता करने वाले 25 पत्रकारों का हुआ सम्मान

श्रीनारद मीडिया, लक्ष्‍मण सिंह, यूपी डेस्‍क:

वाराणसी। पंचकोशी तीर्थ स्थल के प्रथम पड़ाव कंदवा स्थित परमहंस नगर कॉलोनी में वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन मिश्रा के ऑडिटोरियम में रविवार को पत्रकार प्रेस क्लब की ओर से धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रवादी पत्रकारिता पर एक संगोष्ठी का आयोजन पीपीसी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष कुमार पांडेय की अध्यक्षता में सकुशल संपन्न हुआ।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि मिर्जापुर मंडल के उपनिदेशक “राष्ट्रीय बचत” अरुण प्रकाश द्विवेदी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा परिवेश में पत्रकारिता के समक्ष नई-नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। इनका सामना करने के लिए जरूरी है कि हम सब सजग और सावधान रहें। पत्रकारों की एकजुटता बहुत जरूरी है। पत्रकारों के आपसी बिखराव की वजह से न सिर्फ पत्रकारिता का सम्मान कम हुआ है बल्कि पत्रकारों की अहमियत भी कम हुई है। अपने काम में प्रतिस्पर्धी होना अच्छा है क्योंकि काम से ही आपकी पहचान है, लेकिन समाज में अपनी अहमियत बढ़ाने के लिए अपने ही किसी साथी या समाचार प्रतिष्ठान के बारे में फिजूल की बातें करते हैं तो तात्कालिक तौर पर भले आपको अच्छा महसूस हो लेकिन तय समझिए उससे आपकी भी अहमियत कम होती है और पत्रकारिता के सम्मान पर भी आंच आती है।

श्री द्विवेदी ने कहा कि यह वह दौर है जहां पत्रकारिता पर सबसे अधिक सवाल उठ रहे हैं। आज के दौर में समाज का एक बड़ा वर्ग राष्ट्रवादी पत्रकारिता को धर्मविशेष के विरोध या फिर पार्टी विशेष की हिमायत के रूप में देखता है और उसकी यह कोशिश भी होती है कि बाकी लोग इसे इसी रूप में देखें। उनका साथ मीडिया का भी एक वर्ग बखूबी देता है जो खुद को सेकुलर दिखाने की कोशिश में राष्ट्रवादिता या फिर हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों पर किनारा कर लेता है। वास्तव में देखें तो पत्रकारिता के लिए सेक्यूलरिज्म का कोई पैमाना नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए। राष्ट्रवादी पत्रकारिता समय की जरूरत है और इसे सर्वोच्चता के साथ अपनाया जाना चाहिए। ऐसा करने में किसी तरह के आक्षेप की परवाह भी नहीं होनी चाहिए।

राष्ट्रवाद और पत्रकारिता ये दोनो ही शब्द हमारे समाज के बीच एक बड़ी साख रखते हैं, लेकिन क्या ये दोनो एक साथ चल सकते हैं? अगर हाँ तो कैसे और नहीं तो क्यों नहीं, ये समझने के लिये हमे इनके स्वरूप और इनके साथ आ रही जिम्मेदारियों को समझना होगा।मुख्य अतिथि अरुण प्रकाश द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रवाद का मुद्दा आजकल काफ़ी गरमाया हुआ है, इतना की लोग इसकी तपिश से डरने लगे है और जल जाने के डर से इस बारे मे अपना सही मत नहीं दे पा रहे हैं। राष्ट्रवाद आता हैं राष्ट्र से और हमारा राष्ट्र एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है, लेकिन क्या हमारा राष्ट्रवाद भी हमें इतनी लोकतांत्रिकता दे रहा है? इस समय तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि एक खास सोच रखने वाले कुछ विशिष्ट लोगों ने इसे अपनी बपौती बना लिया है और ये राष्ट्रवाद, धर्मवाद बनता जा रहा है।

एक राष्ट्रवादी पत्रकार कैसा होना चाहिये ? जो राष्ट्र के हित में बात करे और हमारे राष्ट्र का हित लोकतंत्र में है तो वो पत्रकार जो लोकतांत्रिक बात करे। लेकिन इस समय राष्ट्रहित को सरकार-हित और लोकतंत्र को सरकार-तंत्र में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं जिसमें सरकार के विरोधियों के लिये कोई जगह नहीं है। इस सन्दर्भ में एक महान पत्रकार के मत को देखा जा सकता है, ‘गणेश शंकर विद्यार्थी’ जिनका कहना था कि पत्रकार को हमेशा सरकार के विरोध में होना चाहिये। इस समय पत्रकार भी सरकार-हित और लोकतांत्रिक-हित को लेकर दो गुटों में बट गए हैं, इसीलिये कश्मीर में प्रेस पर सेंसरशिप की ख़बर और छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के उत्पीड़न की ख़बर इक्का-दुक्का समाचारपत्रों में ही दिखायी देती हैं। इसके पीछे कारण हैं मीडिया में बढ़ता बाज़ारवाद और इस समय देश का महौल जिसमें पत्रकारों को पीटने के लिये ढ़ूंढ़ा जा रहा हैं तथा सोशल मीडिया में उन पर अभद्र टिप्पणियां की जा रही हैं।

हमें ये समझने की ज़रूरत है कि हमें व्यक्ति के पेशे को देख कर उसके मत को समझने की कोशिश करनी चहिये। हम एक सैनिक और पत्रकार से समान काम की उम्मीद नहीं कर सकते, क्यूंकि इन दोनों की ही कार्यभूमी, कर्तव्य और देशहित में कार्य करने का तरीका अलग-अलग है। शहीदी सर्वोच्च है और रहेगी लेकिन इसके बाद भी कुछ हैं जो हमें विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाये रखने में योगदान देता है और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बने रहने के लिए लोकतंत्र के हित की बात करनी होगी न की सरकार के हित की। सरकार का हित कभी राष्ट्र का हित नहीं होता और राष्ट्र के हित को हमें उदारवादी नज़रिये से समझना होगा न की संकीर्ण नज़रिये से। हमारे देश की संस्कृति भी कभी संकीर्ण नहीं रही है और उसने सबको यहाँ रहने-बसने की आज़ादी दी हैं तो कम से कम अपनी गँगा-जमुना तेहज़ीब की ख्याति बचाने के लिये तो हमें सही रास्ते पर आना ही चाहिये।

कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि अखिलेश कुमार सिंह “डीआरओ सिंचाई विभाग” ने संगोष्ठी में परिचर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता और किसी पार्टी विशेष के एजेंडे को आगे बढ़ाना, यह दोनों दो विषय हैं। इसे गहराई से समझने की जरूरत है। राष्ट्रहित के विषयों पर बिना किसी बैलेंसिंग फार्मूला को अपनाए अपनी बात रखना या फिर उन विषयांयो को अपनी पत्रकारिता के जरिए आवाज देना एक पत्रकार का पहला कर्तव्य है। राष्ट्रवादिता किसी पार्टी विशेष की धरोहर या एजेंड़ा नहीं होती। मौजूदा दौर में राष्ट्रवादी पत्रकारिता पर जो नेरेटिव सेट करने की कोशिशें हो रही हैं, उनका माकूल जवाब दिया जाना जरूरी है। हमेशा से सबसे अधिक सवाल सत्ता और व्यवस्था पर उठते रहे हैं लेकिन मौजूदा दौर में सबसे अधिक सवाल मीडिया पर उठते हैं। उसकी वजह एक तो मीडिया के एक तबके का खुद खेमेबंदी में उलझा होना है, दूसरे पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों से भटकाव है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पत्रकार प्रेस क्लब “पीपीसी” के संस्थापक/प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम पाठक ने कहा कि आज के दौर में भी ऐसे पत्रकार बड़ी संख्या में हैं जो पत्रकारिता के मापदंडों को बनाए रखने के प्रति संकल्पित हैं लेकिन खेमेबंदी में उलझे पत्रकार और मीडिया संस्थानों के चलते समाज में सबकी साख प्रभावित हुई है।
श्री पाठक ने कहा कि पत्रकार समाज का एक सजग प्रहरी होता है। उसकी सकारात्मक सक्रियता तथा निष्पक्ष कार्यशैली समाज के लिए वरदान सिद्ध होती है। संगोष्ठी में वाराणसी, चंदौली, जौनपुर,मऊ,गाजीपुर,आजमगढ़,मिर्जापुर, सोनभद्र,प्रयागराज,भदोही से आए हुए पत्रकारों ने भी परिचर्चा में अपने विचार रखे। धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रवादी पत्रकारिता संगोष्ठी में पीपीसी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम पाठक ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मिर्जापुर राष्ट्रीय बचत विभाग के मंडल उपनिदेशक अरुण प्रकाश द्विवेदी एवं अति विशिष्ट अतिथि सिंचाई विभाग वाराणसी के डीआरओ अखिलेश कुमार सिंह को अंग वस्त्र के साथ बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा भेंट कर सम्मानित किया। इसके साथ ही उत्कृष्ट पत्रकारिता करने वाले पीपीसी के 25 पत्रकारों को भी मुख्य अतिथि श्रीद्विवेदी के कर कमलों द्वारा अंग वस्त्र व गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में पीपीसी के संस्थापक/प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम पाठक,
प्रदेश संयोजक मनीष दीक्षित, प्रदेश संरक्षक अभुलेंद्र नारायण दुबे, प्रदेश संगठन मंत्री मदन मोहन शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, नारायण दुबे, प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष पांडेय, प्रदेश महासचिव पवन तिवारी, प्रदेश वरिष्ठ सचिव पंकज भूषण मिश्र, विजय शंकर विद्रोही, राजेश दुबे, प्रदेश मीडिया प्रभारी विनय पांडेय, पूर्वांचल संयोजक आकाश यादव, मंडल अध्यक्ष मिर्जापुर राहुल सिंह, मंडल महासचिव वाराणसी प्रवीण चौबे, जिला संयोजक पंकज चतुर्वेदी, जिला अध्यक्ष वाराणसी पवन पांडेय, जिला अध्यक्ष जौनपुर कृपा शंकर यादव, जिला अध्यक्ष चंदौली आशुतोष तिवारी, जिला अध्यक्ष मऊ संजय कुमार सिंह, जिला संरक्षक भदोही सुरेश कुमार मिश्रा, जिला

अध्यक्ष गाजीपुर कृष्णा यादव, जिला अध्यक्ष मिर्जापुर आशीष तिवारी, मंडल उपाध्यक्ष वाराणसी अखिलेश सिंह, राजिव रंजन मिश्र, अजय कुमार सिंह, दिलीप प्रजापति, रवि कांत द्विवेदी, रणजीत दुबे, विष्णु शंकर सिंह, रमेश कुमार, जयशंकर अग्रहरि, आशीष चौबे, विशाल चौबे, लवकेश पांडेय, अभिषेक पांडेय, राहुल सिंह, संजय मिश्रा, विवेक कुमार, ओम प्रकाश चौधरी, महेश पांडेय, दिलीप कुमार दुबे, जीत बहादुर राय, राम दुलारे, अशोक कुमार, संतोष कुमार पांडेय, बृजेश प्रजापति, आकाश कुमार, अभिषेक पांडेय, मृत्युंजय पांडेय, वीरेंद्र सिंह, त्र्यंबक नाथ शुक्ला, लालचंद निषाद, राजकुमार केसरवानी, संतोष मौर्या, सुशील कुमार पांडेय, विष्णु दत्त दुबे, उमेश कुमार मिश्रा,

गुलजार अली, कमलेश यादव, विवेक सिंह, विनोद कुमार, अजीत सिंह राजपूत, दीपक कुमार मिश्रा, बृजेश ओझा, रामबाबू, बबलू मास्टर, राजन सिंह, धर्मेंद्र पाठक, पंकज उपाध्याय, बलराम मिश्रा, सुरेश कुमार मिश्रा, ओम प्रकाश चौधरी, राज कुमार सरोज, अनुज श्रीवास्तव, विकेश कुमार, अभिषेक वर्मा, सुजीत कुमार तिवारी, इंद्रकांत, संदीप तिवारी लक्ष्मीकांत पाल नवीन कुमार जयसवाल प्रदीप सिंह, नवीन यादव, नीरज सिंह, धीरज मिश्रा, सुनील उपाध्याय, अखिलेश त्रिपाठी, जितेंद्र अग्रहरी, अभिषेक त्रिपाठी, गौतम सोनकर, आनंद त्रिपाठी, त्रिपुरारी यादव, आनंद कुमार चौबे, विनोद कुमार विश्वकर्मा, रमेश कुमार शर्मा, अख्तर अली हाशमी, कामाख्या नारायण पांडेय सहित सैकड़ो पत्रकार मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अजीत कुमार मिश्र तथा अध्यक्षता पीपीसी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष कुमार पांडेय ने की।

यह भी पढ़े

हेडमास्टर साहब नहीं बता पाए ‘मैं स्कूल जा रहा हूं’ का अंग्रेजी अनुवाद,भड़के SDO

अभाविप विश्व का सबसे बड़ा संगठन है जो दलगत राजनीति से ऊपर उठाकर कार्य करता है : डॉ विवेका तिवारी

सभी नियोजित शिक्षक जिला संघ के चुनाव में दिखाएंगे अपना दमखम

बाबा गरीबनाथ धनौरा से कांवरियां का प्रथम जत्था चला बाबा नगरी देवघर के दरबार में

Leave a Reply

error: Content is protected !!