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कृषि विज्ञान केन्द्र चयनित पांच गांवो को विभिन्न प्रजातियों का बीज करा रहा है उपलब्ध - श्रीनारद मीडिया

कृषि विज्ञान केन्द्र चयनित पांच गांवो को विभिन्न प्रजातियों का बीज करा रहा है उपलब्ध

 

कृषि विज्ञान केन्द्र चयनित पांच गांवो को विभिन्न प्रजातियों का बीज करा रहा है उपलब्ध

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श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

 

कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जलवायु के अनुकुल कृषि कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित गाँवों के लिए धान का बीज उपलब्ध कराएगा। यह बात कार्यक्रम प्रधान सह वरीय बैज्ञानिक डॉ अनुराधा रंजन कुमारी ने बुधवार को कहीं । उन्होंने कहा कि जिले के पाँच गाँव चयन किया गया है-।जिसमें गोरियकोठि प्रखंड के काला डुमरा, सैदपुर तथा बड़हरिया प्रखंड का हरिहरपुर, लकड़ी नवीगंज प्रखंड के बाला भोपतपुर, महराजगंज प्रखंड के सिकटिया गांव को चयनित किया गया है । खरीफ मौसम में धान की जीरोटिल मशीन या ड्रम सीडर से ही बुवाई करने हेतु केन्द्र द्वारा बीज दिया जा रहा है। साथ ही साथ मशीन भी उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे धान की सीधी बुवाई समय से किया जा सके। धान की विभिन्न प्रजाति राजेन्द्र श्वेता, राजश्री एवं राजेन्द्र मंसूरी, लम्बी अविध 140-145 दिन की प्रजाति दी जा रही है । उन्होंने कहा कि जिसकी बुवाई 10 जून तक किसान अवश्य कर दे, नीची जमीन पर इसकी बुवाई करे तो अच्छी उपज होगी। औसत उपज 40-45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज होगी। राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र सुवासिनी, सहभागी धान, राजेन्द्र नीलक की सीधी बुवाई 20 जून तक अवश्य कर दे एवं प्रभात धान की बुवाई 30 जून तक कर सकते है क्योंकि ये प्रजाति 90 से 95 दिन की है एवं औसत उपज 30-35 क्विंटल है। उन्होंने कहा उपरोक्त सभी चयनित गाँवों के किसान जल्दी ही आधार कार्ड के साथ आकर कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट के बीज लेकर सीधी बुवाई करे। उन्होंने कहा कि बुवाई के पहले या बाद में किसान को ध्यान रखना है कि यदि खेत में खरपतवार का जमाव ज्यादा हो तो बुवाई के पूर्व ग्लाइफोसेट 1 क्रि0 ग्राम सक्रिय तत्व का छिड़काव कर खरपतवार नष्ट कर दें। जीरो टील मशीन से धान की बुवाई के 48 घंटे के अंदर 1 लीटर पेन्डीमेथिलीन नामक दवा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। बुवाई के 20-25 दिन बाद उगे खरपतवारेां के नियंत्रण के लिए 100 उसण् विसपाइरीबैक सोडियम 10 एसी0 दवा 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे। धान की सीधी बुवाई करने से खर्च में भी कमी आयेगी।

 

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