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15 अगस्त को दिल्ली से पटना आएंगे लालू यादव - श्रीनारद मीडिया

15 अगस्त को दिल्ली से पटना आएंगे लालू यादव

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही अब पूरा फोकस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर है। मंत्रिमंडल में किन चेहरों को जगह दी जाती है इसको लेकर पार्टियों के अंदर बैठकों का दौर चालू है। बताया जा रहा है कि राजद, कांग्रेस और जदयू कोटे के मंत्रियों का नाम लगभग यह है। इन सब के बीच खबर यह है कि राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव 15 अगस्त को दिल्ली से पटना आ सकते हैं। जिसके बाद वो मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल हो सकते हैं।

डिप्टी सीएम तेजस्वी ने की मीटिंग

मंत्रिमंडल विस्तार से पहले महागठबंधन की पार्टियों अपने-अपने स्तर से मीटिंग कर रही हैं। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों के नाम लगभग तय हो चुके हैं, लेकिन जहां भी थोड़ा बहुत पेंच है उसे दूर करने की कोशिश की जा रही है। इस बीच तेजस्वी यादव ने राबड़ी आवास पर कुछ चुनिंदा विधायकों को मिलने के लिए बुलाया। बाताया जाता है कि बुलाए गए विधायकों को मंत्री पद दिया जा सकता है। डिप्टी सीएम तेजस्वी की बैठक में आलोक मेहता, सुधाकर सिंह, रामानंद यादव, अख्तरुल इस्लाम शाहीन, शमीन अहमद समेत अन्य विधायक शामिल हुए। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि इन लोगों को राजद कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है।

16 अगस्त को पटना आ सकते हैं लालू

जानकारी के मुताबिक राजद सुप्रीमो लोलू प्रसाद यादव सोमवार को पटना आ सकते हैं। 16 अगस्त को संभावित मंत्रिमंडल विस्तार कार्यक्रम में उनके शामिल होने की चर्चा तेज है। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दिल्ली जाकर लालू यादव से मुलाकात की थी। गौरतलब है कि राबड़ी आवास में सीढ़ियों से गिरने के बाद लालू यादव की तबियत खराब हो गई थी। जिसके बाद उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। बेहतर इलाज के लिए फिर उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली के एम्स भेजा गया था। अस्तपताल में डिस्चार्ज होने के बाद वो अपनी बेटी मीसा भारती के आवास पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

नए मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही भाजपा और जदयू के बीच एक और मोर्चा खुलने जा रहा है। यह राज्यसभा के उप सभापति और बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति के पद के नाम पर खुलेगा। उप सभापति के पद पर जदयू के हरिवंश हैं। इधर परिषद के कार्यकारी सभापति का पद भाजपा के अवधेश नारायण सिंह के पास है। दोनों को जदयू और भाजपा ने अब तक पद छोड़ने के लिए नहीं कहा है। समानता यह है कि हरिवंश जहां भाजपा की पसंद हैं, दूसरी तरफ अवधेश नारायण सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पसंद करते हैं। इसका मतलब यह कि भाजपा अपनी तरफ से हरिवंश को पद छोड़ने के लिए नहीं कहने जा रही है। वैसे, उप सभापति के करीबी सूत्रों का दावा है कि वह पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं। यह भी कि राज्य में हुए ताजा राजनीतिक परिवर्तन से भी वे खुश नहीं हैं। हालांकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा था कि फोन पर बातचीत के दौरान हरिवंश ने नेतृत्व के फैसले के साथ रहने की सूचना दी है।

इधर परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह राजनीतिक कारणों से पद पर बने रहने को लेकर अधिक इच्छुक नहीं हैं। वह गया स्नातक क्षेत्र से निर्वाचित हैं। अगले साल मई में इन्हें चुनाव में जाना है। नेतृत्व की इच्छा के विपरीत अगर पद पर बने रहते हैं तो चुनाव के समय उन्हें परेशानी हो सकती है। इसके कारण वह किसी विवाद से बचना चाहते हैं। 75 सदस्यीय विधान परिषद में भाजपा के सदस्यों की संख्या 23 है। एक सदस्य राष्ट्रीय लोजपा के हैं। यह संख्या बल भाजपा को सभापति पद के चुनाव में खड़ा होने से रोकता है। दूसरा पक्ष यह है कि अगर राजद विधानसभा का अध्यक्ष पद लेता है तो परिषद में वह अपना सभापति चाहेगा। यह क्रम उलट भी सकता है। यानी जदयू अगर विस अध्यक्ष का पद लेता है तो परिषद के सभापति का पद राजद के खाता में जा सकता है।

राज्यसभा में क्या होगा

स्ंविधानिक पद पर बैठे हरिवंश की ओेर से पूरे प्रकरण पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। वह अपने पद से स्वतः इस्तीफा देते हैं तो आसानी से विवाद का निदान हो सकता है। ऐसा नहीं होता है तो उन्हें हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लिया जा सकता है। अगर जदयू दल से उनके निलंबन की अनुशंसा करता है, उस हालत में भी पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की जरूरत पड़ेगी। 245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 91 है। जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद भाजपा इस हालत में नहीं है कि अपने दम पर हरिवंश की जीत सुनिश्चित कर सके।

 

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