दीये से दीया जलाएं! चलो दीप वहाँ जलाएं, जहाँ अभी अंधेरा है  : विज्ञान देव जी महाराज

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त्रिदिवसीय जय स्वर्वेद कथा एवं 2100 कुंडीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ प्रारंभ

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

ईश्वर का महान प्रसाद है मानव जीवन। हम जीवन कहें या सत्य कहें बात एक है। जीवन को ठीक-ठीक जान लिया, इसका अर्थ है हमने परमसत्य का साक्षात कर लिया, क्योंकि जीवन का आधार परमात्मा है, जो आनन्द स्वरूप है।

उक्त बातें विहंगम योग के संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने अमनौर प्रखंड के ढोरलाही कैथल में आयोजित त्रिदिवसीय जय स्वर्वेद कथा एवं 2100 कुंडीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ के प्रथम दिवस पर उपस्थित हजारों भक्तों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।

संत प्रवर श्री ने कहा कि हमारे विचार ही हमें सुखी और दुखी बनाते हैं।विचारों से ही हम सुख और दुःख का अनुभव करते हैं। और यह प्रवाह चल रहा है, जैसे हमारा मन बहा जा रहा है। दुःखियों का दुख कैसे कम हो यही श्रेष्ठ चिंतन है। कहा कि विहंगम योगी ही उपयोगी होता है, जो सबके हित का चिंतन करता है, दुःखियों के दुख को कम करता है।

महाराज जी ने कहा कि संतो का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए जीते हैं। मात्र स्वयं के लिए जीवन बिता देना भारतीय संस्कृति का संदेश कभी नहीं रहा है। मानव जीवन अत्यंत अमूल्य है।

उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा।

लगभग तीन घण्टे तक संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी स्वर्वेद कथामृत के रूप में प्रवाहित होती रही। संत प्रवर श्री ने ओजस्वी वाणी में ब्रह्मविद्या विहंगम योग के सैद्धान्तिक पक्ष को प्रकाशित करते हुए स्वर्वेद की अजस्त्र ज्ञानगंगा को प्रवाहित कर दिया। स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी मंत्रमुग्ध हो उठे।

कार्यक्रम का शुभारंभ संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज द्वारा ‘अ’ अंकित श्वेत ध्वजारोहण कर, दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

प्रातः6 से 8 बजे तक शारीरिक आरोग्यता के निमित्त आश्रम के कुशल योग प्रशिक्षकों द्वारा आसन प्राणायाम एवं ध्यान का सत्र संचालित हुआ। जिसमे हजारों योग साधक अनेक असाध्य रोगों से निज़ात पाने का गुर सीखे।

इस आयोजन में प्रतिदिन निःशुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ आदि चिकित्सा पद्धतियों द्वारा कुशल चिकित्सकों के निर्देशन में रोगियों को चिकित्सा परामर्श भी दिया जा रहा है । जिसका लाभ आगत भक्त शिष्यो के साथ क्षेत्रीय लोग भी प्राप्त कर रहे हैं। आगत भक्तों के लिए अनवरत भण्डारा चल रहा है।

आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के पावन सान्निध्य में कश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्र व्यापी संकल्प यात्रा गतिमान है।
जिसका शुभारंभ 17 जुलाई को ध्यान–योग साधना के साथ कश्मीर की धरती से हो चुका है।

17 – 18दिसंबर 2023 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।

सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने कश्मीर, जम्मू, हिमाचल प्रदेश , पंजाब के बाद देवभूमि उत्तराखंड में पिछले 23, 24 एवं25 जुलाई को संकल्प यात्रा का प्रथम चरण पूर्ण करने के पश्चात इस कार्यक्रम के निमित्त छपरा पहुँचे।

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