श्रीराम वनवास की कथा सुनकर भावविह्वल हो गये श्रोता

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श्रीनाद मीडिया, सीवान(बिहार):

सीवान जिले बड़हरिया प्रखंड के गिरिधरपुर गांव में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान महायज्ञ के पांचवें दिन की कथा में भी हजारों की भीड़ उमड़ी। सुप्रसिद्ध श्रीराम कथावाचक डॉ रामाशंकर दास जी महाराज नें कहा कि इस मन से आप क्या करते हो पाप अथवा पुण्य,अपने मन के आप ही गुरु हो,दूसरा कोई तुम्हारे मन का गुरु नहीं हो सकता। मन दूसरे को नहीं दिखता है। जब हम चिंतन करते हैं, तब पता चलता है कि मेरा मन बिगड़ा है, मेरे मन में पाप आया है। ऐसे समय में मन को समझाना होगा कि आप विषय भोगों के चक्कर में पाप करते हो। आप खुद नहीं समझोगे तो कौन समझायेगा।

 

महाराज जी ने कहा कि मन के साथ अत्याचार नहीं कीजिए,उसे अपने वश में रखिए। कथा के दौरान श्रीराम के वनवास की कथा करते हुए श्रीमहाराज नें कहा कि मंथरा के कहने पर कैकयी कोप भवन में जाकर सो गई। इसकी सूचना जब दाई के माध्यम से चक्रवर्ती राजा दशरथ जी मिली तब वे कैकयी के पास गए व नाराजगी का कारण पूछा। कैकयी नें अपने पूर्व के दो वरदान को याद दिलाते हुए कहा कि देवासुर संग्राम के समय में आपने हमें दो वरदान दिए थे। जिसे आज मैं मांग रही हूं तब राजा दशरथ ने कहा कि मांगों।

तब कैकयी ने कहा कि आप मेरे पुत्र भरत को राजा बना दीजिए व राम को 14 वर्षों का वनवास दीजिए। इतना सुनते ही दशरथ जी महाराज अचेत होकर जमीन पर गिर गए।इसकी सूचना भगवान श्रीराम को दी गयी। सूचना मिलते ही भगवान आएं व पूरी बात जानकर वन जाने को तैयार हो गए। तब साथ में माता सीता व भाई लक्ष्मण जी भी तैयार हो गए। माताओं व चक्रवर्ती महाराज जी के लाख मना करने के बाद श्रीराम भाई लखन व मईया सीता के साथ वन जाने के लिए महल से निकल पड़े।यह दृश्य देखकर पूरी अयोध्या रोने लगी।समूचे नगरवासी भी भगवान के रथ के साथ निकल पड़े।सबकी आंखे नम थीं।

 

महाराजा दशरथ तो बार;बार अचेत हो रहे थे। श्रीराम के वनवास की कथा करते हुए कथा वाचक श्री महाराज खुद अपनी आंखों के आंसू को रोक नहीं सके। वहीं अधिकांश महिलाओं की आंखें छलछला गयीं।इस अवसर पर श्रीराम वनवास की भव्य झांकी भी निकाली गई ।इस अवसर पर डॉ सतेंद्र गिरी,परमेश्वर कुशवाहा, वीरेंद्र सोनी,सुजीत कुमार डबलू, अमित कुमार सिंह,उपेंद्र गिरि,प्रभु गिरि,अभय भारती के अलावे हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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