मुस्लिम आबादी वाले राज्यों में प्रजनन दर कम; बिहार में यह औसत से 1.2% ज्यादा तो J&K में 0.4% कम.

मुस्लिम आबादी वाले राज्यों में प्रजनन दर कम; बिहार में यह औसत से 1.2% ज्यादा तो J&K में 0.4% कम.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इन दिनों देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग तेजी से उठ रही है। हालांकि, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कई राज्यों की आबादी इस दशक में स्थिर हो जाएगी। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर राज्यों में फर्टिलिटी रेट (प्रजनन दर) गिरकर रिप्लेसमेंट (प्रतिस्थापन ) रेट (2.1) के बराबर या नीचे आ गया है।

जम्मू-कश्मीर, केरल, प. बंगाल सहित जिन राज्यों में मुस्लिम आबादी 20% से ज्यादा है, वहां भी फर्टिलिटी रेट राष्ट्रीय औसत (1.8) से नीचे है। इसमें UP अपवाद है, जहां, दर 2.4 है। पाॅपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के ज्वाइंट डायरेक्टर आलोक बाजपेयी के मुताबिक प्रजनन दर का सीधा संबंध धर्म से नहीं बल्कि, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सुविधा से है।

5 राज्यों में फर्टिलिटी रेट, रिप्लेसमेंट के बराबर
68% मुस्लिम आबादी वाले जम्मू-कश्मीर में फर्टिलिटी रेट 1.4 है। यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दें तो फर्टिलिटी रेट, रिप्लेसमेंट रेट से कम है। सिर्फ 5 राज्यों में फर्टिलिटी रेट, रिप्लेसमेंट रेट के बराबर या ज्यादा है।

क्या है रिप्लेसमेंट रेट?
रिप्लेसमेंट रेट वह है, जब आबादी नहीं बढ़ती। यानी जितने लोगों की मृत्यु होती है, लगभग उतने पैदा होते हैं। साल 1971 में यह 5 थी, जो अब 2.1 है।

आंकड़ों को भ्रामक मानते हैं BJP सांसद
राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर निजी बिल लाने वाले भाजपा सांसद राकेश सिन्हा सर्वे के आंकड़ों को भ्रामक बताते हैं। सिन्हा कहते हैं कि क्षेत्रीय आंकड़े भ्रामक हैं। इसे समग्र तौर पर देखना चाहिए। कुछ परिवार एक बच्चा पैदा करते हैं तो कुछ 7-8 तक। ऐसे में संसाधनों का वितरण असमान होता है।

सिन्हा ने कहा, बड़ी कंपनियां भी नहीं चाहती कि जनसंख्या नियंत्रण हो क्योंकि उन्हें सस्ता श्रम चाहिए। बिहार और यूपी इसका दुष्परिणाम भोग रहे हैं।

दो बच्चों के नियम से दिक्कत क्या है? वहीं, बाजपेयी आंकड़ों को उत्साहजनक बताते हुए कहते हैं, दो बच्चों की नीति आई तो बेटे की चाह में सेक्स सिलेक्शन बढ़ सकता है। चीन और जापान उदाहरण हैं। बुजुर्ग आबादी बढ़ने पर चीन को एक बच्चे की नीति बदलनी पड़ी। प्रतिस्थापन दर ज्यादा नीचे जाना भी अर्थव्यवस्था के लिए घातक है।

सबसे ज्यादा फर्टिलिटी रेट बिहार में
देश में सर्वाधिक 3 प्रजनन दर बिहार में है। वहीं, मेघालय में 2.9, यूपी में 2.4, झारखंड में 2.3 और राजस्थान में 2.1 है।

यूपी और झारखंड सहित सर्वे के कुछ राज्यों के आंकड़े आने बाकी हैं, लेकिन अनुमानित आंकड़े इन राज्यों का फर्टिलिटी रेट में 10 से 15% गिरावट का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। 2015-16 के मुकाबले 2019-20 में देश में फर्टिलिटी रेट 18% गिरकर 1.8 पहुंच गई। साल 1992-93 में यह दर 3.5 थी। यह इस बात का संकेत है कि आबादी स्थिर होने की ओर बढ़ रही है।

केंद्र सरकार ने 2017 में 3.0 से ज्यादा प्रजनन दर वाले 146 जिलों मे विशेष परिवार नियोजन अभियान शुरू किया था, उसका भी असर दिख रहा है। फर्टिलिटी रेट या टोटल फर्टिलिटी यह बताता है कि बच्चा पैदा करने में सक्षम 15 से 49 साल की महिला कितने बच्चों को जन्म देती है। 1970 में राष्ट्रीय औसत 5 था, जो अब 1.9 से भी कम रह गया है। जाहिर है फर्टिलिटी रेट कम होने से, जनसंख्या वृद्धि दर भी कम होती है।

 

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