मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: जहां अमावस्या के दिन स्वयं भोले शिव और पूर्णिमा के दिन आती हैं माता पार्वती

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: जहां अमावस्या के दिन स्वयं भोले शिव और पूर्णिमा के दिन आती हैं माता पार्वती

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

 

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग देश का दूसरा ज्योतिर्लिंग माना जाता है. मान्यता है कि

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

सावन के महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी भी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं. सावन का महीना आरंभ हो चुका है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है.

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है.

Mallikarjuna Jyotirlinga: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूरे देश में मान्यता है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास पवित्र श्री शैल पर्वत पर स्थित है. इस पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है. यहां पर शिव और पार्वती दोनों का सयुंक्त रूप मौजूद है.

मल्लिकार्जुन का अर्थ यहां मल्लिका से तात्पर्य पार्वती और अर्जुन भगवान शिव के लिए प्रयोग किया गया है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों की ज्योतियां समाई हुई हैं.

पौराणिक कथा: पुत्र से मिलने के लिए ज्योतिरूप धारण किया एक पौराणिक कथा के अनुसार जब गणेश जी और कार्तिकेय पहले विवाह के लिए झगड़ने लगे, तब भगवान शिव ने कहा जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएगा, उसी का विवाह पहले होगा. गणेश जी ने अपने माता-पिता के ही चक्कर लगा लिए, लेकिन जब कार्तिकेय पूरी पृथ्वी के चक्कर लगाने के बाद वापिस आए तो गणेश को पहले विवाह करते हुए देखकर वह भगवान शिव और पार्वती से नाराज़ हो गए.

नाराज होने के बाद कार्तिकेय क्रोंच पर्वत पर आ गए. सभी देवताओं ने कार्तिकेय को लौटने के लिए आग्रह कियाए लेकिन वे नहीं माने. कार्तिकेय के लौटकर न आने पर माता पार्वती और भगवान शिव को पुत्र वियोग होने लगा, वे दुखी हो गए. एक बार जब शिव और माता पार्वती से नहीं रहा गया तो दोनों स्वयं क्रोंच पर्वत पर आ गए.

लेकिन कार्तिकेय माता-पिता को आता देख और दूर चले गए. अंत में पुत्र के दर्शन की लालसा से भगवान शिव ज्योति रूप धारण कर उसी पर्वत पर विराजमान हो गए. कहा जाता है उसी दिन से यह शिवलिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा. मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती प्रत्येक पर्व पर कार्तिकेय को देखने के लिए यहां आते हैं. ऐसी भी प्रबल मान्यता है कि  भगवान शिव स्वयं अमावस्या के दिन और माता पार्वती पूर्णिमा के दिन यहां आती हैं.

दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है शिव भक्तों में इस ज्योतिर्लिंग को लेकर विशेष आस्था है. सावन के महीने में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से विशेष प्रकार की सुख की अनुभूति प्राप्त होती है. यह एक सिद्ध स्थान है जहां दर्शन करने मात्र से जीवन सुख, शांति और समृद्धि से पूर्ण हो जाता है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!