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होली के त्योहार पर गुलाल से सजे बाजार. - श्रीनारद मीडिया

होली के त्योहार पर गुलाल से सजे बाजार.

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बन रहें है आधा दर्जन शुभ योग.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आपसी सौहार्द, प्रेम, रंगों, उमंग और नई ऊर्जा का होली पर्व नजदीक आ गया है तो ऐसे में रंग-गुलाल से बाजार भी सज गए हैं। बाजारों में इस बार हर्बल रंग-गुलाल की मांग देखी जा रही है। वहीं, ज्योतिष विद्या के जानकारों की मानें तो इस बार पांच शुभ योग में 17 मार्च को होलिका दहन होगा जबकि फाग 19 मार्च को खेला जाएगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा की सायं को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

धार्मिक दृष्टि से होली का त्योहार काफी महत्व रखता है। उन्होंने बताया कि इस साल होली का त्योहार काफी खास होने वाला है और होली पर कई शुभ योग बनने जा रहे हैं। होली पर इस साल वृद्धि योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और ध्रुव योग बनने जा रहा है। इसके अलावा, बुध-गुरु आदित्य योग भी बन रहा है। बुध-गुरु आदित्य योग में होली की पूजा करने से घर में सुख और शांति का वास होता है।

हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि होली से जुड़ी अलग अलग पौराणिक कथाएं हैं। जिनमें से एक के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था। उसने घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर होने का दावा किया था। इतना ही नहीं, हिरण्यकश्यप ने राज्य में ईश्वर के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था।

वहीं, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था। एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। लेकिन आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। और तब से ही ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलिका दहन किया जाने लगा। वहीं, दूसरी कथा के अनुसार होली का त्योहार राधा-श्रीकृष्ण के पावन प्रेम की याद में मनाया जाता है।

राधा का रंग भी गोपाल की ही तरह हो जाएगा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण ने यशोदा से पूछा था कि वो राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। इस पर यशोदा ने मजाक में कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधा का रंग भी गोपाल की ही तरह हो जाएगा। इसके बाद श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है। हालांकि अभी रोहतक के बाजारों में रंग-गुलाल की खरीदारी कम है लेकिन दुकानदारों को उम्मीद है कि अगले दिनों में खूब खरीदारी हो सकती है।

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