Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
मोदी सरकार के द्वारा मराठी-पाली समेत पांच को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया - श्रीनारद मीडिया

मोदी सरकार के द्वारा मराठी-पाली समेत पांच को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया

मोदी सरकार के द्वारा मराठी-पाली समेत पांच को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नरेंद्र मोदी सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “यह ऐतिहासिक निर्णय है। पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित किया है। आज मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली जैसी 5 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मंजूरी दी गई है।”  2013 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले यह सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।

गुरुवार को मोदी सरकार के ऐलान के बाद अब कुल 11 शास्त्रीय भाषाएं हो जाएंगी। इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। गुरुवार को अहम फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने ऐलान किया कि शास्त्रीय भाषा में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाएं भी होंगी। ये महाराष्ट्र (मराठी), बिहार (पाली और प्राकृत), पश्चिम बंगाल (बंगाली) और असम (असमिया) से संबंधित हैं।

मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजग सरकार के हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने, हमारी विरासत पर गर्व करने और सभी भारतीय भाषाओं तथा हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के अनुरूप है।’’ सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती हैं।

2004 में केंद्र सरकार ने “शास्त्रीय भाषाओं” के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया था। जिसमें तमिल को सबसे पहले शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया। इसके बाद संस्कृत को 25 नवंबर 2005 को, तेलुगु को 11 अक्टूबर 2008, कन्नड को 31 अक्टूबर 2008, मलयालम को 8 अगस्त 2013 और उड़िया को एक मार्च 2014 को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

2013 में महाराष्ट्र सरकार लाई थी प्रस्ताव

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव को भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति (एलईसी) को भेज दिया गया था। एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की।

महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह राज्य में एक बड़ा चुनावी मुद्दा था। बीते 25 जुलाई को शिवसेना (यूबीटी) ने भी केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए। पार्टी सांसद अरविंद सावंत ने केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान यह मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से कंपनियों को गुजरात ले जाया रहा है। लोकसभा में बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए सावंत ने सवाल किया था कि अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र के नौजवानों को नौकरी कैसे मिलेगी?

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!