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मोदी ने परिवारवाद का विरोध किया किन्तु जनता ने परिवारवादी दलों को सुद्रढ़ कर दिया,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

मोदी ने परिवारवाद का विरोध किया किन्तु जनता ने परिवारवादी दलों को सुद्रढ़ कर दिया,क्यों?

मोदी ने परिवारवाद का विरोध किया किन्तु जनता ने परिवारवादी दलों को सुद्रढ़ कर दिया,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनावों के दौरान परिवारवाद का विरोध करते रहे लेकिन जनता ने विपक्ष को इतनी ताकत दे दी कि सभी परिवारवादी दल चुनाव भी जीते और अब अपने राजनीतिक परिवारवाद को और आगे बढ़ाने लग गये हैं। इसी कड़ी में गांधी परिवार ने राजनीतिक परिवारवाद को आगे बढ़ाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को भी चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है।

वर्ष 2019 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद से प्रियंका गांधी वाड्रा के कभी अमेठी, तो कभी रायबरेली और यहां तक की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर समय-समय पर अटकलें लगाई जाती रहीं, लेकिन कांग्रेस के उन्हें वायनाड सीट से उपचुनाव में मैदान में उतारने की घोषणा के बाद अब इन पर विराम लग गया है। हम आपको बता दें कि कांग्रेस ने सोमवार को फैसला किया कि राहुल गांधी रायबरेली के सांसद बने रहेंगे और वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे।

जहां तक प्रियंका की बात है तो अमेठी, रायबरेली और वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवारी की चर्चा के बाद 52 वर्षीय प्रियंका अंततः केरल के वायनाड से चुनावी राजनीति में पदार्पण करेंगी। उल्लेखनीय है कि केरल एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस ने 2019 के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनावी राजनीति में पदार्पण पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय की बात करें तो आपको बता दें कि ‘‘24 अकबर रोड: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस’’ सहित कई किताबें लिखने वाले रशीद किदवई ने कहा, ‘‘कांग्रेस लंबे समय से एक प्रभावी प्रचारक की तलाश में थी और 2024 के चुनाव में प्रियंका गांधी ने जिस तरह से मोदी को जवाब दिया है,

उससे वह बड़े विकल्प के तौर पर उभरी हैं। प्रियंका गांधी ने दिखाया कि मोदी का मुकाबला किया जा सकता है और उन्होंने पूरे भारत में कांग्रेस के लिये चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।” इसके अलावा, राजनीतिक टिप्पणीकार और कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा ने प्रियंका गांधी को “शानदार प्रचारक” बताया। उन्होंने कहा, “मोदी के कटाक्षों का तीखा और त्वरित जवाब देकर उन्होंने प्रचार के दौरान कमाल कर दिया। उनकी मौजूदगी जादुई रही है।”

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन ने 543 में से 234 सीट जीतीं, जबकि 99 सीट जीतकर कांग्रेस विपक्षी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस चुनाव अभियान में जोरदार वापसी करती दिखी और प्रियंका ने मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के लगातार हमलों का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभायी।

प्रधानमंत्री मोदी के “सोने और मंगलसूत्र” वाले बयान पर पलटवार करते हुए भावुक प्रियंका ने मतदाताओं को याद दिलाया था कि उनकी मां सोनिया गांधी ने देश के लिए अपना मंगलसूत्र बलिदान कर दिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2014 और 2019 के चुनावों की तुलना में, हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी को संसद में मजबूत स्थिति में पहुंचाने के बाद वायनाड से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है।

वायनाड लोकसभा सीट पर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने आगामी उपचुनाव में प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि संसद में उनकी उपस्थिति से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और मजबूत होगा। हम आपको बता दें कि आईयूएमएल केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में एक प्रमुख भागीदार है।

दूसरी ओर, भाजपा की केरल इकाई के प्रमुख के. सुरेन्द्रन ने राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने के फैसले का मजाक उड़ाया और कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी राज्य को एक राजनीतिक ‘एटीएम’ समझ रही है। भाजपा ने साथ ही मुख्य विपक्षी पार्टी पर ‘‘परिवारवाद की राजनीति’’ में लिप्त होने का आरोप लगाया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनवाला ने आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और उनकी बहन के वहां से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद आज यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि परिवार की एक कंपनी है।’’

पीएम मोदी कहते हैं, “अगर एक परिवार के दो लोग आगे बढ़ते हैं तो उसका स्वागत है, अगर 10 लोग आगे बढ़ते हैं तो भी उसका स्वागत है.” लेकिन अगर परिवार पार्टी चलाता है तो उनके बेटे के अध्यक्ष बनने का विरोध होना चाहिए. कांग्रेस एक परिवार में उलझी है. वे देश के करोड़ों परिवारों की आकांक्षाओं और उपलब्धियों को नहीं देख सकते.”

एनडीए की ‘परिवारवादी’ पार्टियां

1. आरएलडी:  चौधरी चरण सिंह परिवार

2. निषाद पार्टी: संजय निषाद परिवार

3. अपना दल (एस): सोनीलाल परिवार

4. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी: ओपी राजभर परिवार

5. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (पशुपति पारस): पासवान परिवार

6. लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास): पासवान परिवार

7. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा: मांझी परिवार

8. जनता दल (सेक्युलर): देवगौड़ा परिवार

9. नेशनल पीपुल्स पार्टी: संगमा परिवार

10. एनसीपी (अजित पवार): पवार परिवार

I.N.D.I.A गठबंधन की ‘परिवारवादी’ पार्टियां

1. डीएमके: करुणानिधि परिवार

2. टीएमसी: ममता बनर्जी परिवार

3. समाजवादी पार्टी: मुलायम सिंह यादव परिवार

4. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस: अब्दुल्ला परिवार

5. जेएमएम: शिबू सोरेन परिवार

6. आर जेडी: लालू प्रसाद परिवार

7. अपना दल (कमेरावाड़ी): सोनीलाल परिवार

8. शिवसेना (यूबीटी):ठाकरे परिवार

9. NCP का शरद पवार गुट: पवार परिवार

10. पीडीपी: मुफ़्ती परिवार

 

 

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