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भारत में बिजली गिरने से एक लाख से अधिक लोगों की गई है जान - श्रीनारद मीडिया

भारत में बिजली गिरने से एक लाख से अधिक लोगों की गई है जान

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1967 और 2020 के बीच भारत में आकाशीय बिजली गिरने से हुईं हैं कुल 1,01,309 मौतें

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आकाशीय बिजली गिरने से मौत के मामलों के लिहाज से वर्ष 2010 से 2020 का दशक सबसे घातक रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि प्रति राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में औसत वार्षिक मृत्यु दर 1967-2002 के दौरान 38 थी, जो 2003-2020 की अवधि में बढ़ कर 61 हो गई है। 1967 और 2020 के बीच आकाशीय बिजली गिरने से 1,01,309 मौतें हुईं, वहीं 2010-2020 के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से मौतों के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के विश्लेषण में यह बात सामने आई है। पर्यावरण, विकास और स्थिरता पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से चरम मौसमी घटनाओं के मामले बढ़ रहे हैं। आने वाले वर्षों में देश में हालात और खराब हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि मध्य प्रदेश में बिजली गिरने से मौतों के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें हुईं हैं।

छोटे राज्यों में हुई अधिक मौतें

हालांकि प्रति 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मौतों की बात करें तो बड़े राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटे राज्यों में सबसे अधिक मौतें हुईं हैं। बिहार में बिजली गिरने से 79 मौतें, बंगाल में 76 मौतें और झारखंड में बिजली गिरने से 42 मौतें हुईं हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि विकासशील और अविकसित देशों में आकाशीय बिजली गिरने से मौतों की ऊंची दर के लिए बारिश के दौरान खेतों में काम करना, मानव विकास सूचकांक कम होना और अप्रभावी अर्ली वार्निंग सिस्टम जैसे कारण जिम्मेदार हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है भारत जैसे विकासशील देश चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी घटनाओं का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं, लेकिन आकाशीय बिजली और लू को लेकर सरकारी स्तर पर इन देशों की तैयारी कमजोर है। अध्ययन में इस बात का भी आकलन किया गया है कि कितने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं को लेकर नीतियां और कार्य योजना बनाई है।

कई राज्यों ने नहीं बनाई कार्य योजना

अध्ययन के अनुसार अब तक 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सिर्फ सात ने आकाशीय बिजली पर नीतियां और कार्य योजना बनाई है। आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं के लिहाज से सबसे संवेदनशील मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु सहित उत्तरी और उत्तर पूर्व के राज्यों ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निर्देश के बावजूद अब तक कोई कार्य योजना नहीं बनाई है।

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