मातायें अपनी संतान की लम्बी आयु और सुख – समृद्धि की कामना के लिए करती हैं जिउतिया व्रत
श्रीनारद मीडिया, उतम पाठक, दरौंदा, सीवान (बिहार):
सीवान जिला के विभिन्न प्रखंडों सहित दारौंदा प्रखण्ड में जिउतिया व्रत मातायें अपनी संतान की लम्बी आयु और सुख – समृद्धि की कामना के लिए करती हैं।
जीवित्पुत्रिका व्रत महत्त्वपूर्ण व्रतों में से एक हैं। इसे जीउतिया व्रत भी कहा जाता है।
वही इस व्रत के बारे में बगौरा के सम्मानित आचार्य श्री जितेंद्रनाथ पांडेय जी ने बताया कि सप्तमी से रहित और उदया तिथि की अष्टमी को व्रत करें और नवमी में पारण करें। ऐसा व्रत निर्णय में वर्णित हैं।
जिउतिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता हैं।
इस बार यह व्रत 25 सितम्बर बुधवार को किया जायेगा।
25 सितम्बर बुधवार को शाम 04:56 तक अष्टमी तिथि रहेगी। ऐसे में इस दिन व्रत करना श्रेष्ठकर होगा । यह व्रत माताएं अपनी पुत्र की दीर्घायु और आरोग्यता के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
जीउतिया व्रत 24 सितंबर मंगलवार को नहाय खाय होगा और दिनभर बीतने के बाद रात में 04:00 बजे भोर से पहले सरगही की जा सकती है।
25 सितम्बर बुधवार को माताएं दिन और रात निर्जला उपवास पर रहेंगी और
26 सितंबर गुरूवार को प्रातः काल दान पुण्य कर जीवित्पुत्रिका व्रत की पारण कर व्रत समाप्त करेंगी।
जिउतिया व्रत में कुशा से बनी जिमुतवाहन देवता को धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित कर विधि विधान से पूजा करें और जिमुतवाहन व्रत की कथा अवश्य सुनें।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जिउतिया व्रत महिलाएं संतान की लम्बी उम्र और मंगल कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
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