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नागेंद्र शर्मा ने दुबई में दिखाया अभिनय कौशल, नाटक नपुंसक की दी दमदार प्रस्तुति  - श्रीनारद मीडिया

नागेंद्र शर्मा ने दुबई में दिखाया अभिनय कौशल, नाटक नपुंसक की दी दमदार प्रस्तुति 

नागेंद्र शर्मा ने दुबई में दिखाया अभिनय कौशल, नाटक नपुंसक की दी दमदार प्रस्तुति

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक। कुरुक्षेत्र :

कुरुक्षेत्र : हरियाणा प्रदेश के विभिन्न कलाकार अपनी प्रतिभा के माध्यम से निरंतर हरियाणा प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। स्थानीय प्रस्तुतियों के अलावा बॉलीवुड फिल्मों में भी हरियाणा के कलाकार अपनी एक विशेष पहचान बनाए हुए है। इसी कड़ी में अम्बाला के रंगकर्मी व हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने अपने अभिनय कौशल दिखाते हुए दुबई में नाटक नपुंसक का मंचन किया। 26 मई को दुबई में आयोजित भारत सांस्कृतिक यात्रा कार्यक्रम के तहत मंजुल भारद्वाज के लिखे एकल नाटक नपुंसक को नागेंद्र शर्मा ने अपने अभिनय व निर्देशन से दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। किन्नर समाज की पीड़ा को दर्शाते नाटक नपुंसक में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी को दिखाया गया,

 

जो अपने बाल्यकाल में होनहार होता है। लेकिन बचपन में ही उसके परिवार में उसके पिता के द्वारा उसे प्यार नहीं मिलता। परिवार वालों से ही प्यार की अपेक्षा दुत्कार मिलना उस बच्चे के मन में एक टीस पैदा कर देता है। एक दिन एक चमेली नाम की मंगलमुखी उसे अपने साथ में ले जाती हैं। अनजान लोगों के बीच एक अलग सी दुनिया में उस बच्चे को अलग से रहना पड़ता है। बहुत सारे कड़वे अनुभवों से गुजरते हुए उसका जीवन बीतता है। जब वह बड़ा हो जाता है तो उसे एक लड़की से प्यार हो जाता है लेकिन वह अपना पुरुषत्व साबित नहीं कर सकता।

एक दिन लड़की भी उसे छोड़ कर चली जाती है और नाम दे जाती है कि तुम नपुंसक हो। धीरे-धीरे वह अपनी इस पहचान को स्वीकार करते हुए अपने उसी जीवन में ढल जाता है। लेकिन कहीं न कहीं समाज के लिए एक सवाल खड़ा कर जाता है कि नपुंसक वह है या समाज। वह समाज को अपना रहा है लेकिन समाज उसे अपनाने को तैयार नहीं है। लोग अपनी मानसिक संकीर्णताओं के कारण समाज को बांटने का प्रयास करते रहते हैं।

फिर चाहे वो धार्मिक पहलू हों, आर्थिक पहलू या फिर धर्म के नाम पर सामाजिक अव्यवस्था। नाटक के जरिए यह संदेश दिया गया कि किन्नर समाज के लोग भी आम जीवन जीना चाहते हैं, समाज का अंग बनकर रहना चाहते हैं। समाज का अगर प्यार मिले तो वो भी समाज का अंग बन कर रह सकते हैं। इस तरह से एक अच्छे संदेश के साथ नाटक नपुंसक ने समाज को आईना दिखाने का प्रयास किया।

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