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मरकर भी अमर हो गयी नैंसी शर्मा,  जाते- जाते 9 लोगों को नई जिंदगी दे गयी - श्रीनारद मीडिया

मरकर भी अमर हो गयी नैंसी शर्मा,  जाते- जाते 9 लोगों को नई जिंदगी दे गयी

मरकर भी अमर हो गयी नैंसी शर्मा,  जाते- जाते 9 लोगों को नई जिंदगी दे गयी

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

फरीदाबाद.. ब्रेन डेड हुई 32 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर नैंसी शर्मा की वजह से 9 लोगों को नई जिंदगी मिली। नैंसी के ब्रेन डेड घोषित होने पर उनके पिता अशोक शर्मा ने अपनी बेटी के अंगदान करने का निर्णय लिया। नैंसी का हार्ट, किडनी, आंख, लीवर 9 लोगों को लगे।

– नैंसी के भाई डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि 12 मार्च को उनकी बहन अम्बाला अपने पिता से मिलने गई थी। वहां कुछ तकलीफ हुई।

– नैंसी को एक निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया। डॉक्टरों ने बताया कि नैंसी का ब्रेन डेड हो गया है। इसके बाद नैंसी को पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया। कई दिन इलाज चला।

– डॉक्टरों ने कहा कि नैंसी की बचने की उम्मीद नहीं है, हालांकि ब्रेन डेड के बावजूद बाकी अंग काम कर रहे थे।

– डॉक्टरों ने कहा अगर उनके बाकी अंग दान कर दिए जाते हैं तो कई लोगों को नई जिन्दगी मिल सकती है।

पिता बोले-बेटी कहती थी, ऐसा काम करूंगी कि लोग याद रखेंगे

– नैंसी अक्सर कहती थी-पापा देखना एक दिन में ऐसा काम करूंगी की दुनिया मुझे हमेशा याद रहेगी।

– वो ऐसा कर भी गई। बेटी का चले जाने का दुख हमेशा रहेगा, लेकिन सुकून है कि उसका दिल दुनिया में धड़क रहा है। उसकी आंखें आज दुनिया को देख रही हैं।

– नैंसी पेशे से सॉफ्टेवयर इंजीनियर थी। पति अनुदीप शर्मा भी गुड़गांव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। सात साल का बेटा है। बेटी ब्रेन डेड हुई तो दामाद से बात की।

– 6 अप्रैल को परिवार की सहमति से बेटी के अंग दान करने के लिए निर्णय लिया, लेकिन जब पेपर पर सिग्नेचर करने का समय आया तो हाथ कांपने लगे।

– नैंसी का हार्ट 13 साल की बच्ची को प्रत्यारोपित किया गया। किडनी भी दो लोगों को दी गई। लीवर के चार पार्ट भी चार लोगों को डोनेट किए गए।

– आंखों से दो लोगों को रोशनी मिली। इससे पहले शायद ही किसी के इतने अंग दान हुए हों। इसमें डॉक्टरों का योगदान भी सराहनीय रहा।

– मोहाली एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन अंगों को हवाई जहाज से नोएडा, दिल्ली और चंडीगढ़ जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाकर ट्रांसप्लांट कराया।

– बेटी जाते-जाते समाज को भी यह संदेश दे गई कि बेटियां वरदान हैं। नैंसी ने बेटी होने का वह फर्ज अदा किया है, जो शायद बेटे भी पूरा न कर सकें।

– परिजनों ने फरीदाबाद पहुंचकर नैंसी की तेरहवीं मनाई। इसमें हर शख्स ने नैंसी को सलाम किया।

पिता अशोक शर्मा की जुबानी.

 

 

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