प्राकृतिक खेती खेत एवं किसान के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक दो दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण समापन

प्राकृतिक खेती खेत एवं किसान के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक दो दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण समापन
श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण,  भगवानपुर हाट ( सिवान ):

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सीवान जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित दो दिवसीय प्राकृतिक खेती के पर आधारित तीसरे चरण का प्रशिक्षण मंगलवार को सम्पन्न हो गया । प्रशिक्षण में 40 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया ।प्राकृतिक खेती परियोजना के अंतर्गत आयोजित इस प्रशिक्षण के समापन समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष द्वारा प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला गया ।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खेत एवं किसान के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है । उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में पोषण तत्वों के रूप में गोबर की खाद, कमपोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष एवं प्रकृति में उपलब्ध खनिज तत्वों द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओ , मित्रकीट एवं जैविक कीटनाशक द्वारा फसलों के हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है । रासायनिक खेती करने से खेती में लागत बढ़ता जा रहा है।

मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी घटती जा रही है। इसलिए किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर अपनी मिट्टी पोषक तत्वों को बचाकर अधिक उत्पादन ले सकते हैं। प्रशिक्षक डॉ हर्षा बी आर ने बीजामित्र, जीवामित्र, मलचिंग, वाफसा पर विस्तृत जानकारी दी गई। बीजामित्र का प्रयोग बीज के शोधन के लिए, जीवामृत की मदद से जमीन के पोषक तत्वों में वृद्धि होती है, मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाते हैं एक एकड़ जमीन के लिए 200 लीटर जीवामृत मिश्रण की आवश्यकता है एक महीने में दो बार छिड़काव करना होगा या सिंचाई के समय पानी में मिलाकर उपयोग किया जाता है।

धन जीवामृत सुखी खाद है जिसे खेतों में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाने के लिए डालते हैं। 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में बुवाई के समय डालते हैं। मल्चिंग से मिट्टी में नमी का संरक्षण करते हैं। इस अवसर पर कृषि अभियंता कृष्ण बहादुर क्षेत्री , शिवम चौबे आदि उपस्थित थे ।

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