नेताजी ने गांधीजी को चुनौती देने का साहस किया-NSA डोभाल

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नेताजी को याद करते हुए डोभाल ने अपने भाषण में कहा कि सुभाष चंद्र बोस चाहते थे कि भारतीय पक्षियों की तरह आजाद महसूस करें और उन्होंने देश की आजादी से कम किसी चीज के लिए कभी समझौता नहीं किया। डोभाल ने कहा, ‘नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) ने कहा कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी चीज के लिए समझौता नहीं करूंगा।

डोभाल ने आगे कहा कि नेताजी न केवल इस देश को राजनीतिक गुलामी से मुक्त करना चाहते हैं, बल्कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है और उन्हें आकाश में आजाद पंछी की तरह महसूस करना चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस अगर आजादी के वक्त जीवित होते तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता। डोभाल दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नेताजी की तरह जीनियस बहुत कम हुए हैं।

डोभाल ने कहा कि नेताजी ने अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों पर दुस्साहस दिखाया और गांधी को चुनौती देने का दुस्साहस किया। डोभाल ने कहा, ‘लेकिन गांधी अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष पर थे। फिर उन्होंने इस्तीफा दे दिया और जब वह कांग्रेस से बाहर आए तो उन्होंने नए सिरे से अपना संघर्ष शुरू किया। केवल वही थे जिनमें महात्मा गांधी को चुनौती देने का दुस्साहस था।

आजादी की भीख नहीं मांगूंगा
डोभाल ने कहा, ‘मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास में बहुत कम ऐसे लोग हैं, जिनमें धारा के खिलाफ चलने का दुस्साहस था। और ब्रिटिश साम्राज्य की धारा आसान के खिलाफ जाना आसान नहीं था। उनके दिमाग में यह विचार आया कि ‘मैं अंग्रेजों से लड़ूंगा, मैं आजादी की भीख नहीं मांगूंगा। यह मेरा अधिकार है और मुझे इसे प्राप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि नेताजी इसमें अकेले थे, जापान के अलावा किसी देश ने उनका समर्थन नहीं किया था।

उनका नेतृत्व एक अलग शैली का था। डोभाल नेताजी को याद करते हुए कहा कि बोस ने जोर दिया था कि ‘भारत एक वास्तविकता थी, भारत एक वास्तविकता है और भारत एक वास्तविकता होगी।’

आजादी से कम कुछ मंजूर नहीं
नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) ने कहा कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता और स्वतंत्रता से कम कुछ नहीं लूंगा। उन्होंने कहा कि बोस न केवल इस देश को राजनीतिक पराधीनता से मुक्त करना चाहते हैं, बल्कि कहते थे कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है और उन्हें आकाश में स्वतंत्र पक्षियों की तरह महसूस करना चाहिए।

जिन्ना को भी मंजूर थे नेताजी
डोभाल ने कहा कि ‘सुभाषचंद्र बोस के रहते भारत का विभाजन नहीं होता। जिन्ना ने कहा था मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वह सुभाष बोस हैं। उन्होंने कहा, एक सवाल अकसर मन में आता है। जीवन में हमारे प्रयास मायने रखते हैं या परिणाम… सुभाष बोस के महान प्रयासों पर कोई संदेह नहीं कर सकता, गांधी भी उनके प्रशंसक थे। लेकिन लोग अकसर आपके दिए नतीजों के जरिये आपको आंकते हैं। तो क्या सुभाषचंद्र बोस का पूरा प्रयास व्यर्थ गया?’

अजित डोभाल ने कहा, उनकी मृत्यु के बाद भी- मुझे नहीं पता कि कब- हम उनके द्वारा बनाए गए राष्ट्रवाद के विचारों से डरते हैं। इतिहास नेताजी के प्रति निर्दयी रहा है, मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे फिर से जीवित करने के इच्छुक हैं।डोभाल ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस की विरासत अद्वितीय थी और उनका दुस्साहस और तप दो गुण थे जो अतुलनीय थे।

 

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