Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
पूजा स्थल अधिनियम को लेकर पुराने मामलों के सुनवाई तक कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं होगा-सुप्रीम कोर्ट - श्रीनारद मीडिया

पूजा स्थल अधिनियम को लेकर पुराने मामलों के सुनवाई तक कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं होगा-सुप्रीम कोर्ट

पूजा स्थल अधिनियम को लेकर पुराने मामलों के सुनवाई तक कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं होगा-सुप्रीम कोर्ट

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

देशभर में 10 स्थानों पर 18 सूट दाखिल किए गए हैं

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई ने संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से जुड़ी किसी भी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जाएगा।  चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की।
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाओं के एक समूह में हलफनामा दायर करने को कहा है, जो किसी पूजा स्थल पर पुनः दावा करने या 15 अगस्त, 1947 को प्रचलित स्वरूप में उसके स्वरूप में परिवर्तन की मांग करने के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई और उनका निपटारा होने तक देश में कोई और मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई और उनका निपटारा होने तक देश में कोई और मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है।

इस मामले पर निचली अदालत कोई भी प्रभावी आदेश न दें: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि निचली अदालत कोई भी प्रभावी या अंतिम आदेश नहीं दें। सर्वे का भी आदेश न दें। केंद्र 4 सप्ताह में एक्ट पर SC में जवाब दाखिल करे।याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि अलग-अलग अदालतों में 10 सूट दाखिल हुए हैं और इनमें आगे की सुनवाई पर रोक लगाए जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने इस मांग का विरोध किया। सुप्रीम ने मथुरा का मामला जिक्र करते हुए कहा कि यह मामला और दो अन्य सूट पहले से ही कोर्ट के सामने लंबित है।

पोर्ट का व्यवस्था बनाया जाए: जस्टिस के वी विश्वनाथन

सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों ने विभिन्न अदालतों के सर्वे के आदेशओं पर एतराज जताया। हालांकि, इन एतराज पर कोर्ट ने टिप्पणी नहीं की। जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा,”अगर सुप्रीम कोर्ट में कोई सुनवाई लंबित है, तो सिविल कोर्ट उसके साथ रेस में नहीं है। सीजेआई ने कहा कि चार सप्ताह में केंद्र जवाब दाखिल करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि एक पोर्टल या कोई व्यवस्था बनाई जाए, जहां सभी जवाब देखे जा सकें। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि गूगल ड्राइव लिंक बनाया जा सकता है।

कानून कहता है कि पूजा स्थलों का धार्मिक स्वरूप वैसा ही बना रहेगा, जैसा वह 15 अगस्त, 1947 को था। यह कानून किसी धार्मिक स्थल पर फिर से दावा करने या उसके स्वरूप में बदलाव के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाता है।

याचिका में कहा गया है कि अधिनियम के प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल पर पुन: दावा करने के न्यायिक समाधान के अधिकार को छीन लेते हैं। महाराष्ट्र के विधायक जितेंद्र सतीश अव्हाड (माकपा) ने पूजा स्थल अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई लंबित याचिकाओं के खिलाफ याचिका दायर करके कहा है कि यह कानून देश की सार्वजनिक व्यवस्था, बंधुत्व, एकता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करता है।

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?

1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार एक कानून लेकर आई थी, जिसे प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट कहा जाता है। इसके मुताबिक, 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है।

क्यों पड़ी थी कानून की जरूरत?

1990 के दौर में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। सोमनाथ से निकली रथयात्रा को अयोध्या पहुंचना था, लेकिन उससे पहले ही बिहार में लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। नरसिम्हा राव की सरकार आते-आते अयोध्या जैसे कई विवाद उठ खड़े हुए। इसे ही रोकने के लिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लाया गया। लेकिन तब भी संसद में भाजपा ने इसका विरोध किया था। बिल को जेपीसी के पास भेजने की मांग की गई थी, लेकिन बावजूद इसके यह पास हो गया था।

Leave a Reply

error: Content is protected !!