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 सीवान जिले में अब मिशन मोड में होगा हाइड्रोसिल का  निशुल्‍क ऑपरेशन: जिलाधिकारी - श्रीनारद मीडिया

 सीवान जिले में अब मिशन मोड में होगा हाइड्रोसिल का  निशुल्‍क ऑपरेशन: जिलाधिकारी

सीवान जिले में अब मिशन मोड में होगा हाइड्रोसिल का  निशुल्‍क ऑपरेशन: जिलाधिकारी

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हाइड्रोसिल जैसी बीमारी से निजात दिलाने के लिए ऑपरेशन ही इसका मुख्य इलाज़, ऑपरेशन में आधा घंटा का लगता है समय: सिविल सर्जन

सीवान जिले के तीन स्वास्थ्य समथनो में हाइड्रोसील का कराया जाएगा ऑपरेशन: डॉ ओपी लाल

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


अंडकोष यानी की (हाइड्रोसील) जो मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या है। हाइड्रोसिल से पीड़ित पुरुषों के अंडकोषों में पानी भर जाता है, जिस कारण अंडकोष में सूजन आ जाती है। हालांकि हाइड्रोसील की बीमारी किसी भी पुरुष को हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह 40 से अधिक उम्र के पुरुषों में देखा जाता है। जिसको लेकर जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में समीक्षात्मक बैठक हुई । जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में फाइलेरिया रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मिशन मोड में हाईड्रोसील के मरीजों का ऑपरेशन अभियान चला करने के लिए सिविल सर्जन डॉ श्री निवास प्रसाद और जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल को संयुक्त रूप से आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। ताकि जिले से अंडकोष जैसी बीमारी का इलाज़ सुनिश्चित कराया जा सकें।

हालांकि हाइड्रोसिल जैसी बीमारी से निजात दिलाने के लिए ऑपरेशन ही इसका मुख्य इलाज़ है। जिसके लिए अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़हरिया और सदर अस्पताल सिवान को चिह्नित किया गया है।जहां अनुभवी सर्जन के द्वारा ऑपरेशन किया जाएगा। जिले में हाईड्रोसील के मरीजों का सर्वें कार्य पूरा करने के लिए जिले के प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम), वीबीडीएस और आशा कार्यकर्ताओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

हाइड्रोसिल जैसी बीमारी से निजात दिलाने के लिए ऑपरेशन ही इसका मुख्य इलाज़, ऑपरेशन में आधा घंटा का लगता है समय: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्री निवास प्रसाद के अनुसार छांटें हाइड्रोसील मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। जिसमें पहला कम्युनिकेटिव जबकिं दूसरा नॉन कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील होता हैं। पुरुषों में कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील होने पर अंडकोष की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होता है। साथ ही इसमें सूजन के साथ साथ दर्द की शिकायत भी होती है। जबकि हर्निया से पीड़ित रोगियों में कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील का खतरा अत्यधिक रहता है।

वहीं नॉन कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील में अंडकोष की थैली बंद रहती है और बचा हुआ द्रव शरीर में जमा हो जाता है। इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में अधिक देखने को मिलता है और कुछ समय के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। ऐसे मरीज जिन्हे अंडकोष की शिकायत रहती है। उनको हाइड्रोसील की सर्जरी को पूरा होने में लगभग 20 से 30 मिनट का समय लगता है। सर्जरी ख़त्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को स्वास्थ्य संस्थान से घर जाने के लिए बोल दिया जाता हैं।

जिले के तीन स्वास्थ्य समथनो में हाइड्रोसील का कराया जाएगा ऑपरेशन: डॉ ओपी लाल
जिले के अंडकोष (हाइड्रोसील) के मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगे दर पर ऑपरेशन कराने से छुटकारा दिलाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देश के आलोक में जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता और सिविल सर्जन डॉ श्री निवास प्रसाद ने पहल शुरू कर दिया है। जिसके लिए जिले के तीन सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को चिन्हित किया गया है। जहां पर हाइड्रोसिल के मरीजों का निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। जिले में फिलहाल 783 हाइड्रोसिल के मरीजों की पहचान कराई गई है। जिसमें 205 का ऑपरेशन कराया जा चुका है। जिनका सफलतापूर्वक वरीय सर्जन द्वारा ऑपरेशन कराया जाना है।

वहीं फाइलेरिया जैसी बीमारी से निजात पाने के लिए रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता की रोकथाम (एमएमडीपी) का वितरण करना है। हालांकि अधिकांश स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा वितरण किया जा चुका है लेकिन अभी भी कुछ संस्थानों द्वारा वितरण करना शेष है। जिनको जल्द से जल्द वितरण करने को लेकर निर्देशित किया गया है।

इस अवसर पर जिला उप विकास आयुक्त मुकेश कुमार, सिविल सर्जन डॉ श्री निवास प्रसाद, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल, लेप्रोसी विभाग के नोडल अधिकारी डॉ सुनील कुमार, वीडीसीओ विकास कुमार और कुंदन कुमार सहित कई कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

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