कभी पिता ने सोनिया के खिलाफ लड़ा था चुनाव, आज बेटा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक जितिन प्रसाद का भाजपा ज्वाइन करना 2022 के चुनाव के लिहाज से अहम हो सकता है। बता दें कि जितिन प्रसाद को यह बगावत विरासत में मिली है। दरअसल, जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे। हालांकि, वह हार गए थे।

सोनिया गांधी के लगातार पार्टी अध्यक्ष बनने का किए थे विरोध

जितेंद्र प्रसाद ने सांसद रहते हुए सोनिया गांधी के लगातार पार्टी अध्यक्ष बनने का विरोध किया। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जितेंद्र प्रसाद बतौर कार्यकर्ता पार्टी में सोनिया गांधी से बहुत वरिष्ठ थे। हालांकि, साल 2000 में जब पार्टी अध्यक्ष पद के लिए वह सोनिया गांधी के खिलाफ खड़े हुए तो उन्हें इसमें हार मिली।

दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के सलाहकार थे जितिन प्रसाद के पिता

जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के सलाहकार भी रह चुके थे। इसके साथ ही जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस के नेता थे। उनकी परनानी पूर्णिमा देवी नोबेल विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्रनाथ टैगोर की बेटी थीं।

चिट्ठी लिखने वाले G-23 नेताओं में जितिन प्रसाद भी

बता दें कि बीते साल ही कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर बड़े बदलावों की मांग की थी। इन नेताओं के समूह को जी-23 के नाम से जाना जाता है। चिट्ठी लिखने वालों में से एक प्रमुख नाम जितिन प्रसाद का भी था। हालांकि, इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जितिन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी उठाई गई थी। प्रदेश इकाई ने चिट्ठी लिखने वाले सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिसमें जितिन प्रसाद का खास जिक्र था।

जितिन प्रसाद का राजनीतिक जीवन

जितिन प्रसाद 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने। 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट, शाहजहांपुर से 14वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी और जीते। पहली बार जितिन प्रसाद को 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया। उसके बाद सन् 2009 में जितिन प्रसाद 15 वीं लोकसभा चुनाव लोकसभा धौरहरा से लड़े और 184,509 वोटों से विजयी भी हुए। जितिन प्रसाद 2009 से जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं। जितिन प्रसाद शाहजहांपुर, लखीमपुर और सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता हैं। जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय व विकासवादी राजनीती के लिए जाना जाता है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने आज भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में जितिन प्रसाद का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है. जितिन प्रसाद यूपीए के कार्यकाल में सड़क परिवहन मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में राज्य मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा वो यूपी में शिक्षा मंत्रालय संभाल चुके हैं.

गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाने वाले जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं. जब से उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री हुई थी उसके बाद से जितिन प्रसाद हाशिये पर चले गये थे. क्योंकि यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष का पद उन्हें नहीं देकर अजय कुमार लल्लू को दे दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन कर लिया.

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में लंबे समय से कांग्रेस के अंदर अंदरूनी कलह चल रही है. भीतरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है इस बीच जितिन प्रसाद का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए सदमे जैसा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खबर यह भी है कि जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने से यूपी में ब्राहम्ण वोट साधने में बीजेपी कामयाब होगी.

जितिन प्रसाद इन जी-23 नेताओं का हिस्सा थे जिन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखकर अपना असंतोष जाहिर किया था. बीजेपी में ज्वाइन करने के बाद उन्होंने पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्हें काम करने का मौका दिया गया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जो राष्ट्र निर्माण के लिए काम कर रही है.

इंडियन यूथ कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाले जितिन प्रसाद सबसे पहले 2001 में यूथ कांग्रेस के महासचिव बनाये गये. इसके बाद उन्होंने शाहजहांपुर सीट से 2004 में चुनाव लड़ा और वो जीत गये. इसके बाद 2009 में जीतिन प्रसाद ने धौरहरा सीट से चुनाव लड़ा और एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी. इसके बाद से उन्हें लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा है.

 

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