तिरुपति मामले पर सुप्रीम कोर्ट में PIL

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 घी सप्लाई करने वाली कंपनी के 4 सैंपल हुए थे फेल

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद में मिलावट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय का रुख करते हुए प्रसाद के लड्डू बनाने में जानवर की चर्बी के कथित उपयोग की न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भाजपा नेता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह आंध्र प्रदेश सरकार को लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए घी के स्रोत और नमूने पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दे। स्वामी ने न्यायालय से संबंधित अधिकारियों से विस्तृत फोरेंसिक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अंतरिम निर्देश जारी करने की भी मांग की।

सप्लायर की आंतरिक जांच होनी चाहिए थी’

याचिका में कहा गया है, ‘मंदिर का प्रसाद बनाने में इस्तेमाल होने वाली विभिन्न सामग्रियों की आपूर्ति करने वाले सप्लायर की गुणवत्ता या उसकी कमी की निगरानी और सत्यापन के लिए आंतरिक रूप से जांच होनी चाहिए थी।’ स्वामी ने अपनी याचिका का विवरण देते हुए एक्स पर पोस्ट किया।

उन्होंने लिखा, ‘आज मैंने एक जनहित याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से सीएम सी.बी. नायडू के निराधार आरोपों की जांच करने का निर्देश देने की मांग की है। नायडू ने आरोप लगाया है कि तिरुपति तिरुमाला मंदिर के प्रसाद में जानवरों के मांस और अन्य सड़े हुए पदार्थों की मिलावट की गई है, जिससे भक्तों में अफरा-तफरी मच गई है।’

टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष ने भी की है जांच की मांग

इसके अलावा, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी, जो राज्यसभा के सदस्य हैं, ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक स्वतंत्र समिति द्वारा जांच की मांग की है।

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के पिछली वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करने के दावे ने बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है।

 घी सप्लाई करने वाली कंपनी के 4 सैंपल हुए थे फेल

तिरुपति के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में जानवर की चर्बी मिला घी सप्लाई करने वाली कंपनी एआर डेयरी का लाइसेंस रद्द हो सकता है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथोरिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने कंपनी को मिलावट की शिकायत पर लाइसेंस रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा भेजे गए सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर एफएसएसएआइ ने नोटिस जारी किया है। ध्यान देने की बात है कि किसी भी तरह का खाद्य पदार्थ को बाजार में बेचने के लिए एफएसएसएआइ का लाइसेंस अनिवार्य है ताकि उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टीटीडी द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के अनुसार मंदिर में लड्डू बनाने के लिए चार कंपनियों द्वारा घी सप्लाई किया जाता था। इनमें से सिर्फ एक कंपनी एआर डेयरी के नमूने फेल हुए।

लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन

टीटीडी के अनुसार, कंपनी के चार नमूने लिए गए थे और चारों में फेल हो गए। इन नमूनों में जानवरों की चर्बी की मिलावट के प्रमाण पाए गए। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एफएसएसएआइ के नियम के मुताबिक घी सिर्फ दूध से ही बना होना चाहिए और उसमें किसी भी तरह की चर्बी की मिलावट लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है।

सैंपल की जांच रिपोर्ट

तिरूपति लड्डू विवाद के सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की थी। बातचीत में नड्डा ने नायडू के घी के सैंपल की जांच रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजने को कहा था और साथ ही एफएसएसएआइ से उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दिया था।

क्या था विवाद?

यह विवाद बुधवार को तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने लड्डू में घटिया सामग्री और पशु वसा के इस्तेमाल की अनुमति दी थी।अमरावती में एनडीए विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए नायडू ने दावा किया, ‘यहां तक ​​कि तिरुमाला के लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाए गए थे, उन्होंने घी के बजाय पशु वसा का इस्तेमाल किया।’

‘अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है’

मुख्यमंत्री ने आगे इस मामले में सफाई देते हुए कहा, ‘अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है और मंदिर में हर चीज को साफ कर दिया गया है, जिससे गुणवत्ता में सुधार हुआ है।’

 

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