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प्रभात झा का राजनीति जीवन प्रेरक रहा,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

प्रभात झा का राजनीति जीवन प्रेरक रहा,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रभात झा पत्रकार, लेखक स्तंभकार रहे हैं, वही उनका राजनीति जीवन भी प्रेरक रहा हैं। वे मध्य प्रदेश राज्य से राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। वे 2010 से दिसंबर 2012 तक मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। यही वो दौर रहा जिसमें मध्यप्रदेश में भाजपा की जमीन गहरी हुई। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।

झा का जन्म 4 जून 1957 को हरिहरपुर, दरभंगा जिला, बिहार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ग्वालियर, मध्य प्रदेश से की। यहां के पीजीवी कॉलेज से उन्होंने बीएससी, माधव कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए और एमएलबी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ली। उनके करीबियों का कहना है कि वह शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से खास जुड़ाव रखते थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। स्वदेश अखबार में भी लंबे समय तक जुड़े रहे। झा की शादी रंजना झा से हुई है और उनके दो बेटे तुष्मुल और आयत्न हैं।

प्रभात झा जितने सफल जननायक थे उतने ही प्रखर लेखक थे। उन्हें निर्भीक विचारों, स्वतंत्र लेखनी और बेबाक राजनैतिक टिप्पणियों के लिये जाना जाता रहा है। उनको पढ़ने वाले लोगों की संख्या लाखों में है और अपने निर्भीक लेखन से वे काफी लोगों के चहेते थे। उन्होंने पत्रकारिता में उच्चतम मानक स्थापित किये।

वे न केवल अपने वैचारिक आलेखों के जरिये राष्ट्र की ज्वलंत समस्याओं को सशक्त तरीके से प्रस्तुति देते रहे बल्कि गरीबों, अभावग्रस्तों, पीड़ितों और मजलूमों की आवाज बनते रहे। अपनी कलम के जरिये उन्होंने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कलम जब भी चली उन्होंने लाखों लोगों की समस्याओं को सरकारों और प्रशासन के सामने रखा और भारतीय लोकतंत्र में लोगों की आस्था को और मजबूत बनाने में योगदान दिया।

प्रभात झा को हम भारतीयता, पत्रकारिता एवं भारतीय राजनीति का अक्षयकोष कह सकते हैं, वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्हें पत्रकार जगत का एक यशस्वी योद्धा माना जाता है। उन्होंने आमजन के बीच, हर जगह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।

लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई प्रभात झा जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला में विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजर कर महानता का वरण करता है, विकास के उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, कलम, जिजीविषा, पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। उन्होंने आदर्श एवं संतुलित समाज निर्माण के लिये कई नए अभिनव दृष्टिकोण, सामाजिक सोच और कई योजनाओं की शुरुआत की। देश और देशवासियों के लिये कुछ खास करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। वे समाज के लिये पूरी तरह समर्पित थे।

प्रभातजी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सफल राजनेता, प्रखर पत्रकार, लेखक, कुशल प्रशासक के रूप में अनेक छवि, अनेक रंग, अनेक रूप में उभरकर सामने आता हैं। आपके जीवन की दिशाएं विविध एवं बहुआयामी थीं। आपके जीवन की धारा एक दिशा में प्रवाहित नहीं हुई, बल्कि जीवन की विविध दिशाओं का स्पर्श किया। यही कारण है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र आपके जीवन से अछूता रहा हो, संभव नहीं लगता।

आपके जीवन की खिड़कियाँ समाज एवं राष्ट्र को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रही। उनकी सहजता और सरलता में गोता लगाने से ज्ञात होता है कि वे गहरे मानवीय सरोकार से ओतप्रोत एक अल्हड़ व्यक्तित्व थे। बेशक प्रभातजी अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने सफल लेखक-पत्रकार जीवन के दम पर वे हमेशा भारतीय पत्रकारिता एवं हिन्दी साहित्य के आसमान में एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे।

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