प्रेमचंद का साहित्य युगांतकारी है- प्रो.प्रसून दत्त सिंह

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प्रेमचंद जीवन मूल्यों के रचनाकार है-प्रो. प्रमोद कुमार सिंह

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के चाणक्य परिसर स्थित राजकुमार शुक्ल सभागार में हिंदी विभाग की ओर से दो दिवसीय प्रेमचंद साहित्य उत्सव -2023 के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आरंभ सोमवार को हुआ।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे मानविकी व भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो.प्रसून दत्त सिंह ने कहां की प्रेमचंद का पूरा साहित्य तत्कालीन समाज का समसामयिक बोध है। प्रेमचंद ने भारतीय समाज को जागृत करने का कार्य किया। प्रेमचंद का साहित्य युगांतकारी है। राजनीति में जो कार्य महात्मा गांधी ने किया वही कार्य प्रेमचंद्र ने साहित्य के माध्यम से समाज के लिए किया।


समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि प्रेमचंद के लेखन मंजूषा में भूख, गरीबी, अशिक्षा, असमानता का अख्यान है। प्रेमचंद जागरण के मंत्रोच्चारण के साथ साहित्य में आते हैं, जिसकी विविधता भारत के मूल में है। प्रेमचंद जीवन मूल्यों के रचनाकार है,उनका पूरा साहित्य संकेत देता है। प्रेमचंद का साहित्य भारत के अपराजित मानसिकता का प्रतीक है। वे आदर्शोन्मुख यथार्थवाद के प्रतीक है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर निदेशक,मानव संसाधन केन्द्र, मुजफ्फरपुर से आये प्रो. राजीव कुमार झा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेमचंद के लेखन का काल हिंदी साहित्य में छायावाद का काल है। लेकिन वह इससे निकलकर अपने लेखन को विश्व पटल पर पहुंचा देते है। वह तत्कालीन भारत के प्रतिनिधि रचनाकार है।


कार्यक्रम में सम्माननीय अतिथि के रूप में क्वांनगतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय,चीन से पधारे सहायक आचार्य डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृति राष्ट्र की आत्मा होती है और साहित्य उसकी वाहक होती है। साहित्य इतिहास से कहीं आगे हैं क्योंकि साहित्य में संवाद है। क्रांति विचारों के माध्यम से प्रारंभ होती है। साहित्य के माध्यम से हम विचार को समाज तक ले जा सकते हैं। इस धरती पर वही लोकप्रिय होगा जो लोक के निकट होगा अर्थात लोक साहित्य, लोक भाषा हमारी थाती है। साथ ही उन्होंने चीन के प्रेमचंद लूसूंग का प्रेमचंद के साथ तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया।

इससे पहले कार्यक्रम में सर्वप्रथम सभी अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन करते हुए उत्सव का आरंभ किया गया।
सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ,अंगवस्त्र,प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।


हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि समारोह में गुरुवर प्रो. प्रमोद कुमार सिंह का आना गौरव का क्षण है। प्रेमचंद को भारत बोध की तरह देखना चाहिए। प्रेमचंद आर्थिक राष्ट्रवाद की समीक्षा करते हैं, लेकिन उन्हें प्रचार के तहत कई प्रकार के नामों से पुकारा जाता है। प्रेमचंद भारतीय मूल्यों और नैतिकता को लेकर चलते है। प्रेमचंद की रचना को आदर्शवादी एव॔ यथार्थवादी कह कर हम कमजोर नहीं कर सकते।

उद्घाटन सत्र का सफल संचालन हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ. गरिमा तिवारी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी सुप्रिया तिवारी ने किया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ.विमलेश कुमार सिंह, संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. श्याम कुमार झा,अंग्रेजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. उमेश पात्र, संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य विश्वेश वागमी, सहरसा स्थित एल.एन.टी महाविद्यालय के सहायक आचार्य डाॅ. मयंक भार्गव, मोतिहारी स्थित एल.एन.डी महाविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. संतोष बिश्नोई, मोतिहारी स्थित श्री कृष्ण सिंह महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. अपर्णा सहित कई संकाय के शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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