भारत की आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति में सन्तों का अभूतपूर्व योगदान रहा है – ज्योतिष्पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’

भारत की आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति में सन्तों का अभूतपूर्व योगदान रहा है – ज्योतिष्पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’

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श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी 23 दिसम्बर 2023 / भारत की आध्यात्मिक उन्नति में यदि साधु-सन्तों का योगदान है तो आर्थिक उन्नति में भी भारत के सन्त पीछे नहीं रहे हैं । भगवान वेदव्यास जी ने वेद के चार विभाग किए , 18 पुराणों व उप-पुराणों की रचना की और उसमें यह स्पष्ट रूप से निरूपित किया कि भारत के इन तीर्थों में जाकर दर्शन करने से पुण्यलाभ होगा।आज देश में जो भी धार्मिक यात्राएं चल रही है वे सभी हमारे पूर्वज ऋषि – मुनियों की देन है और आप सब भी इन बात को स्पष्ट रूप से समझते ही हैं कि उत्तराखण्ड में आर्थिक उन्नति के पीछे इन धार्मिक यात्राओं का बहुत बडा योगदान है । उक्त बातें ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने अपनी आगामी शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा को लेकर समस्त देशवासियों को सन्देश देते हुए कही है ।

*शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा ऐतिहासिक पहल है, ज्ञात इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं*

यह सर्वविदित है कि शीतकाल के छः मास उत्तराखण्ड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को शीतकालीन पूजन स्थलों में विधि-विधान से उत्सव सहित विराजमान कर दिया जाता है । इन स्थानों पर भी देवता की पूजा छः मास तक पारम्परिक पुजारी आदि निरन्तर करते रहते हैं परन्तु सामान्य लोगों में यह धारणा बनी रहती है कि अब छः मास के लिए पट बन्द हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे ।

ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी ने बताया कि जन-सामान्य की इसी अवधारणा को हटाने और उत्तराखण्ड की *शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा* को आरम्भ कर देवताओं के इन शीतकालीन प्रवास स्थल पर दर्शन की परम्परा का शुभारम्भ करने के लिए ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 जी आगामी मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तदनुसार दिनांक 26 दिसम्बर 2023 को देवभूमि उत्तराखण्ड के हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में पहुँच रहे हैं ।
27 दिसम्बर 2023 से 2 जनवरी 2024 तक चलेगी ये यात्रा ।

देव-दर्शन से जहाँ एक ओर यात्रियों को धार्मिक-आध्यात्मिक लाभ होगा वहीं इस यात्रा से पहाड़ के स्थानीय लोगों का भौतिक लाभ भी निहित है ।

ज्योतिर्मठ के मीडिया प्रभारी डा बृजेश सती ने बताया कि शंकराचार्य जी महाराज के यात्रा को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं ।

*कार्यक्रम विवरण*
27/12/23 को प्रातः 8 बजे हरिद्वार स्थित- श्रीशंकराचार्य मठ, ज्ञानलोक कालोनी, फेज 2- , कनखल, हरिद्वार से निकलकर – ऋषिकेश – देहरादून – मसूरी – यमुना पुल – नैनबाग – डामटा – नौगाव – बड़कोट – छटांगा- खरादी – कुथनौर- कुनसाला – राना – हनुमान चट्टी – जानकी चट्टी – होते हुए यमुना जी की शीतकालीन पूजा स्थली खरसाली गांव आगमन ।
सायं 3:30 बजे से यमुना मन्दिर परिसर में धर्मसभा / यमुना जी की आरती के बाद खरसाली गांव में रात्रि-विश्राम करेंगे ।
विश्राम स्थल –

28/12/23 को प्रातः 10 बजे यमुना जी की शीतकालीन पूजा स्थली खरसाली गांव से प्रस्थान कर – बडकोट- होते हुए उत्तरकाशी आगमन ।
सायं 4 बजे श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय, उजेली, उत्तरकाशी में आयोजित अभिनन्दन सभा में पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज का आशीर्वचन सभी भक्तों को प्राप्त होगा ।
रात्रि-विश्राम – श्रीविश्वनाथ संस्कृत विद्यालय परिषद भवन , उजेली, उत्तरकाशी में ।

29/12/23
श्रीविश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय परिषद भवन से प्रातः 8 बजे भटवाडी- गंगनानी – हर्षिल होते हुए गंगा जी की शीतकालीन पूजा स्थली मुखवा गांव पहुँच आगमन।मध्याह्न 11 बजे से 1 बजे तक मुखवा गांव में भगवती जी की पूजा / आशीर्वचन सभा / महाआरती/ भण्डारा आदि सम्पन्न होगा ।
मध्याह्न 1 बजे मुखवा गांव से उत्तरकाशी की ओर रवाना होंगे ।
सायं 5 बजे गंगा घाट, कैलास आश्रम, उजेली, उत्तरकाशी में भगवती गंगा जी की महाआरती श्रीशंकराचार्य जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न की जाएगी ।
रात्रि-विश्राम- उत्तरकाशी में ।

30/12/23 को प्रातः भगवान काशी विश्वनाथ जी के दर्शन के बाद 9 बजे उत्तरकाशी से चमियाला – घनशाली – जाखोली- तिलवाडा- अगस्तमुनि- होते हुए भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजा स्थली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मन्दिर में सायं 3:30 बजे स्वागत / आशीर्वचन/ भगवान ओंकारेश्वर जी की महाआरती/ प्रसाद वितरण किया जाएगा ।
रात्रि-विश्राम-

31/12/23 को प्रातः भगवान ओंकारेश्वर जी की महापूजा के बाद – प्रातः 9 बजे जोशीमठ प्रस्थान – दो रास्ते हैं मौसम के आधार पर तय किया जाएगा
पहला रास्ता – ऊखीमठ- अगस्तमुनि- तिलवाडा- रुद्रप्रयाग- गौचर – कर्णप्रयाग – नन्दप्रयाग – चमोली – पीपलकोटि होते हुए जोशीमठ
दूसरा रास्ता – ऊखीमठ- चोपता – मण्डल- गोपेश्वर- चमोली- पीपलकोटि- होते हुए जोशीमठ पहुँचेंगे । सायं पांच बजे ज्योतिर्मठ परिसर में काशी की विश्वप्रसिद्ध 5 महाआरती की जाएगी ।
रात्रि-विश्राम- तोटकाचार्य गुफा, ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम, हिमालय

01/01/24 –
प्रातः 8 बजे नृसिंह मन्दिर परिसर में महापूजा / प्रातः 9 बजे / विष्णुप्रयाग के विष्णु मन्दिर में महापूजा प्रातः 10 बजे पाण्डुकेश्वर स्थित श्री योग-ध्यान बदरी मंदिर में महापूजा / प्रसाद वितरण कर ज्योतिर्मठ आगमन दोपहर 12 बजे ज्योतिर्मठ में भण्डारा का आयोजन है , जहां सबको प्रसाद वितरित किया जाएगा । दोपहर 2 बजे पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज की पत्रकार वार्ता , ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम, हिमालय में
रात्रि-विश्राम- ज्योतिर्मठ

02/01/23 को प्रातः 8 बजे ज्योतिर्मठ से प्रस्थान – जोशीमठ पीपलकोटि- चमोली- नन्दप्रयाग- कर्णप्रयाग – गौचर – रुद्रप्रयाग में अल्प विश्राम- पत्रकार मिलन के बाद रुद्रप्रयाग से – श्रीनगर- देवप्रयाग – ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार आगमन- श्रीशंकराचार्य निवास, ज्ञानलोक कालोनी, फेज- 2, कनखल , हरिद्वार में रात्रि-विश्राम। उक्त जानकारी परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी मजराज के मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय के माध्यम से प्राप्त हुई है।

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