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सकारात्मकता और सद्प्रेरणा के सशक्त संबल साकेत सिंह   - श्रीनारद मीडिया

सकारात्मकता और सद्प्रेरणा के सशक्त संबल साकेत सिंह  

सकारात्मकता और सद्प्रेरणा के सशक्त संबल साकेत सिंह

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भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, वर्तमान में डीआईजी, सीआरपीएफ श्री साकेत कुमार सिंह जी को जन्मदिन (02अक्टूबर) की हार्दिक शुभकामनाए।

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

स्थान जिया सराय, दिल्ली का। हिंदी माध्यम का विद्यार्थी होने के कारण मेरी अंग्रेजी थोड़ी डगमग ही थी। एक दिन आए साकेत भैया। अंग्रेजी में निबंध लिखने का सख्त आदेश। अगले कुछ पल मेरे बड़े तनाव में बीते। प्रेशर था। जहां कुछ लाइन ही लिखने का विश्वास नहीं था, वहां पूरा पेज लिखा जा चुका था। अशुद्धियों को लेकर धड़कन बढ़ चुकी थी। फिर समझाइश की एक बड़ी प्रेरक डोज। असर साफ, मेरी अंग्रेजी की सेहत दुरुस्त। इतनी की कुछ आर्टिकल अंग्रेजी अखबारों में भी प्रकाशित हो गए। पत्रकारिता के पूरे सफर में अंग्रेजी कभी बाधा नहीं बन पाई। तो ऐसे परिवर्तनकारी और प्रेरणादायक क्षमता के धनी श्री साकेत भैया को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।

प्रेरणा के प्रबल पुंज

2002 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, वर्तमान में डीआईजी, सीआरपीएफ श्री साकेत कुमार सिंह जी प्रेरणा के प्रबल पुंज रहे हैं। झारखंड के गढ़वा, बोकारो आदि क्षेत्रों में रहते हुए भी स्थानीय युवाओं के मोटिवेशन को बढ़ाने के लिए उनका विशेष प्रयास रहता था। निश्चित तौर पर पद की गरिमा बातों के वजन को बढ़ा ही जाती है। फिर वे बातें अपार प्रेरणा की सबब बन जाया करती हैं। झारखंड में, वे जहां जहां भी पदस्थापित रहे, वहां विशेषकर सिविल सेवा परीक्षा के स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा के प्रबल पुंज ही रहे।

लंबे प्रशासनिक प्रतिष्ठा के बावजूद वहीं सरलता

जब बहुत दिनों यानी तकरीबन बीस वर्षों बाद रांची में मुलाकात हुई तो मन सशंकित था। फोन नंबर मिला नीरज कुमार जी के सौजन्य से। मन सोच रहा था, कहीं प्रशासनिक सफर की प्रतिष्ठा का असर पुरानी यादों पर न पड़ा हो। पर यह क्या? फोन पर बात होते ही बुलावा। लोकेशन भी फटाफट व्हाट्सएप पर। तकनीकी सुविधाओं ने मिलन की बाधा को दूर कर दिया। जब मुलाकात हुई तो मन तो बदलाव को परखने की पर्याप्त कोशिश कर रहा था। पर साकेत भैया तो वही थे। जैसे समय का पहिया थम गया हो। वहीं संवेदना, वहीं सरलता, वहीं साफगोई।

कैलकुलेशन की तीव्रता बनी सफलता की सहभागी

दिल्ली के जिया सराय में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दिनों में उनके उंगलियों की कैलकुलेशन की क्षमता के चर्चे हम सुना करते थे। सिविल सेवा परीक्षा में गणित में उनके प्राप्त अंक शायद इसी तथ्य को साबित कर रहे थे। परंतु कालांतर में जगुआर में रहने के दौरान एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी परिस्थितियों के कैलकुलेशन से सहायता के भी संकेत समाचार पत्र की सुर्खियां बयां करती दिख जाती थी।

समय प्रबंधन के सबल सारथी

हमारे साकेत भैया तैयारी के दिनों से ही समय प्रबंधन में महारत रखते थे। वे बातों के शौकीन थे। पर बातों में समय जाया करने के बिलकुल खिलाफ। रास्ता यह निकला कि रात के खाने के बाद निकट के आईआईटी दिल्ली के परिसर में टहलने का कार्यक्रम बहुआयामी स्वरूप का कार्यक्रम बन गया। यानी गपशप टहलते समय ही। उसके न पहले, न बाद में। उनके साथी संतोष जी बताते हैं कि समय साकेत का सबसे प्रिय साथी है। जिसका पल पल उपयोग, उनकी सबसे बड़ी हसरत। आज के डिजिटल युग में मोबाइल पर अत्यधिक समय व्यतीत करनेवाले अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ा संदेश भी। सफलता के लिए समय प्रबंधन ही सबसे कारगर हथियार। इसके प्रबल पैरोकार रहे साकेत भैया।

बैडमिंटन के प्रति असीम अनुराग

खेलों में विशेषकर बैडमिंटन के प्रति उनका असीम अनुराग रहा है। जिया सराय में दौड़ कर ही शारीरिक गतिविधि को सक्रिय करने का अलहदा अंदाज पुलिस की सेवा के दौरान प्रतिस्पर्धात्मक श्रेष्ठता का आधार भी बना। कई स्पर्धाओं में बैडमिंटन ने जीत का स्वाद भी चखाया। पर संदेश का फलसफा बिलकुल साफ फिट इंडिया बेहतर इंडिया।

राजनीतिक तटस्थता ही पहचान

श्री साकेत सिंह जी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी होते हुए भी राजनीतिक तौर पर तटस्थता के पैरोकार हैं। एक बार झारखंड में सत्ता परिवर्तन होने पर मैने फोन किया तो बातचीत में कुछ राजनीतिक बात भी आई। लेकिन उन्होंने साफगोइ से कहा कि हम तो जनसेवक हैं। हमें राजनीतिक दलों से क्या? सरकार किसी की भी हो, हमे तो बस संविधान का सम्मान और शासन के आदेश के परिपालन को ही सुनिश्चित करना हैं।

संवेदनशीलता जब पहचान बनी एक सख्त पुलिस अधिकारी की

पुलिस अधिकारियों को सामान्यतया बेहद कड़क माना जाता रहा है लेकिन गढ़वा, बोकारो में एसपी, रांची के एसएसपी और जगुआर में डीआईजी के तौर पर उनकी तैनाती जनता के प्रति असीम संवेदनशीलता को ही समर्पित रही। पूरी पुलिस सेवा के दौरान उनका मानवाधिकार और सुचिता का कलेवर उनको प्रशासनिक प्रतिष्ठा ही प्रदान करता रहा।

कुल मिलाकर कहा जा सकता हैं कि श्री साकेत जी समय के प्रबंधन में माहिर होने के साथ प्रेरणा के प्रबल ज्वार और संवेदनशीलता के समंदर ही हैं। देवाधिदेव महादेव इन्हें अपने मंगल आशीष से सदैव अभिसिंचित करते रहें।

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