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सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को अनोखे अंदाज में दी श्रद्धांजलि - श्रीनारद मीडिया

सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को अनोखे अंदाज में दी श्रद्धांजलि

सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को अनोखे अंदाज में दी श्रद्धांजलि

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सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्रने ‘द मैजिशियन ऑफ हॉकी’ के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद की आकृति उकेर दी श्रद्धांजलि

श्रीनारद मीडिया, मोतिहारी (बिहार):

दुनियाभर में ‘द मैजिशियन ऑफ हॉकी’ के नाम से मशहूर भारतीय हॉकी के सबसे दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की 119वीं जयंती के अवसर पर भारतीय रेत कलाकार मधुरेंद्र ने एक बार फिर से अपनी बेमिसाल कला के प्रदर्शन कर भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी ध्यानचंद अनोखे अंदाज में नमन किया हैं। सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने गुरुवार को अपनी 5 घंटों के मेहनत के बाद दुनिया की सबसे छोटी 3 सेमी वाली हरे पत्तों पर हॉकी टीम की टोली के साथ मेजर ध्यानचंद की अनुपम तस्वीर बनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने मीडिया को बताया कि चौथाई सदी तक विश्व हॉकी जगत के शिखर पर जादूगर की तरह छाए रहने वाले मेजर ध्यानचंद को हॉकी खेल की प्रतिभा जन्मजात नहीं थी, बल्कि उन्होंने सतत साधना, अभ्यास, लगन, संघर्ष और संकल्प के सहारे यह प्रतिष्ठा अर्जित की थी। जब वे हॉकी लेकर मैदान में उतरते थे तो गेंद इस तरह उनकी स्टिक से चिपक जाती थी जैसे वे किसी जादू की स्टिक से हॉकी खेल रहे हों।ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी और वो गेंद को अपने नियंत्रण में रखने में इतने निपुण थे कि वो ‘हॉकी जादूगर’ और ‘द मैजिशियन’ जैसे नामों से प्रसिद्ध हो गए। इनका निधन 3 दिसंबर 1979 को नई दिल्ली में हो गया। आज के युवा खिलाड़ियों को भी इनके हॉकी खेल से प्रेरणा लेना चाहिए।

बता दें कि ध्यानचंद ने ध्यानचंद ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान हॉकी खेलना शुरू किया और 1922 और 1926 के बीच, उन्होंने कई सेना हॉकी टूर्नामेंट और रेजिमेंटल खेलों में भाग लिया। तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। भारत ने 1932 में 37 मैच में 338 गोल किए, जिसमें 133 गोल ध्यानचंद ने किए थे। दूसरे विश्व युद्ध से पहले ध्यानचंद ने 1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिल्स) और 1936 (बर्लिन) में लगातार तीन ओलिंपिक में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल दिलाए। वियना में ध्यानचंद की चार हाथ में चार हॉकी स्टिक लिए एक मूर्ति लगी है।

गौरतलब हो कि दूसरे विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में हॉकी के खेल पर अपना वर्चस्व कायम करने वाली भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी ध्यानचंद एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। जिन्होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को ओलंपिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1956 में उन्हें पद्म ध्यानचंद को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके जन्मदिन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया हैं। इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। भारतीय ओलम्पिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था।

मौके पर उपस्थित दर्जनों प्रबुद्ध नागरिकों ने ने मेजर ध्यानचंद की हॉकी खेल की सराहना करते कलाकार मधुरेंद्र की कला का सराहना करते बधाई दी।

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