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सीवान के लाल विवेक ने टोक्यो ओलंपिक में लहराया परचम - श्रीनारद मीडिया

सीवान के लाल विवेक ने टोक्यो ओलंपिक में लहराया परचम

सीवान के लाल विवेक ने टोक्यो ओलंपिक में लहराया परचम

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भारतीय हॉकी टीम में फारवर्ड खिलाड़ी का दायित्व निभा रहा है सीवान का विवेक सागर

विवेक की इस उपलब्धि से एक बार फिर से जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ गौरवान्वित

श्रीनारद मीडिया, प्रकाश चन्द्र द्विवेदी, सीवान (बिहार)

49 साल बाद भारत ओलंपिक में हॉकी के सेमीफाइनल में पहुंचा है व सीवान के रघुनाथपुर का लाल इस टीम का हिस्सा है। वह है भारतीय हॉकी टीम का सितारा विवेक सागर।मूल रूप से रघुनाथपुर के कंहौली गांव के रहने वाले विवेक सागर फिलहाल सपिरवार मध्य प्रदेश के होशांगाबाद के इटारसी में रहते है।पिता रोहित प्रसाद शिक्षक व माता कमला देवी गृहणी हैं। चार  भाई-बहनों में विवेक सबसे छोटा है। शिक्षा-दीक्षा इटारसी में ही हुई। गांव में उनके एक रिश्‍तेदार डॉ धनंजय प्रसाद ने बताया कि विवेक की इस उपलब्धि से हम सब गौरवान्वित हैं। मिडफिल्‍डर विवेक सागर ने अपने शानदार खेल से सबका ध्यान खींचा है।

कौन जानता था कि घर वालों के डांट के डर व टूटे हुये हॉकी से छुप-छुप कर खेलने वाले व अपने पिता से इस खेल को न खेलने के लिए अक्सर थप्पड़ खाने वाले को यही खेल एक दिन उसे टोक्यो ओलम्पिक में पहुँचा देगा। विवेक सागर प्रसाद ( फारवर्ड हॉकी खिलाड़ी) भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख खिलाड़ियो में से एक है। विवेक के माता-पिता उसके 17 वर्ष के उम्र तक सीवान में ही रहे थे। उसके बाद उनके पिता नौकरी-पेशा करने के क्रम में मध्य प्रदेश में पूरे परिवार के साथ रहने लगे। भारतीय हॉकी टीम ने खेलों के महाकुंभ टोक्यो ओलम्पिक में अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह बना ली है व सोमवार की सुबह 6 बजे भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए सेमीफाइनल मैच में युवा फॉरवर्ड खिलाड़ी विवेक सागर ने अपने शानदार खेल से सबका ध्यान खींचा है।

हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद की खोज विवेक के खेल से कई महान खिलाड़ी काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं। हालांकि विवेक का जीवन काफी ज्यादा संघर्ष में गुजरा है विवेक के पिता को उनका हॉकी खेलना पसंद नहीं था कई बार इसी वजह से विवेक की घर में पिटाई भी हुई है। लेकिन उनकी मां और बड़े भाई ने विवेक का पूरा समर्थन किया। कई बार जब विवेक हॉकी खेलने जाता था तो उनकी मां झूठ बोल देती थी। लेकिन जब विवेक बड़े स्तर पर खेलने लगा तो उनके पिता भी उस1का समर्थन करने लगे थे। बता दें कि विवेक ने जब खेलना शुरू किया था तब उनके घर के आर्थिक हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे इस वजह से उन्होंने अपने दोस्तों से हॉकी मांगकर इस खेल को खेलना शुरू किया था।

जिसके बाद एक बार विवेक अकोला में हुए एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे थे इस दौरान अशोक ध्यानचंद की नजर उन पर पड़ी। विवेक की दौड़ने की तकनीक और पैरों के गजब के तालमेल को देखकर अशोक ध्यानचंद भी उनसे प्रभावित हुए और उन्हें एमपी एकेडमी जॉइन करने का ऑफर दिया। जिसे विवेक ने स्वीकार कर लिया और भोपाल आ गए। कहते हैं कि सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है कुछ ऐसा ही विवेक के साथ हुआ है एक मैच के दौरान उन्हें चोट लग गई थी इस चोट की वजह से खराब खून उनके फेफड़ों तक पहुंच गया था जिस वजह से उनकी जान पर भी बन आई थी। लेकिन हौसले और जुनून के आगे हर दिक्कत हार मान लेती है। इस चोट से उभरने के बाद विवेक एक बार फिर से मैदान में आए। इस दौरान उन्होंने सिर्फ एक हाथ से ही अभ्यास शुरू किया। इंडिया हॉकी टीम में खेलने के जुनून व जिद्द में खुद को आग में ऐसा जलाया कि ये अब कुंदन बन कर सबका ध्यान खींच रहे है और आज भारतीय हॉकी टीम के मुख्य खिलाड़ियों में से एक है।

इन सब के अलावा विवेक सागर और भी कई सारे मैच Asian game, champion trophy, summer youth olympic आदि खेल चुके है। विवेक सागर की इस उपलब्धि ने पूरे भारत को गौरवान्वित किया है आपके इस उपलब्धि के लिए ‘श्रीनारद मीडिया परिवार’ व जिले की समस्त जनता की तरफ से बहुत-बहुत बधाई व ढेर सारी शुभकामनाएं।

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