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भोजपुरी की आत्मा के मधुर संदेशवाहक! - श्रीनारद मीडिया

भोजपुरी की आत्मा के मधुर संदेशवाहक!

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सिवान के लाल श्री मनोज भावुक ने अपनी साहित्य सृजन की बहुआयामी प्रतिभा से अंतराष्ट्रीय स्तर पर बनाई प्रतिष्ठित पहचान

प्रख्यात भोजपुरी व्यक्तित्व श्री मनोज भावुक पर विशेष आलेख
श्रीनारद मीडिया‚  लेखक: गणेश दत्त पाठक

सिवान मेधा की धरती रही है। इस धरती के सपूतों ने अपनी प्रतिभा के प्रकाश से संपूर्ण जगत को आलोकित किया हैं। चाहे वो देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की सादगी हो या आईआईटी इंजीनियर सत्येंद्र दुबे की सत्यनिष्ठा। अपने सपूतों की हर मेधा के प्रतिभा की गूंज से सिवान गौरव की अनुभूति करता रहा हैं। इस आलेख में हम बात कर रहे हैं सिवान के उस लाल के बारे में, जिन्होंने भोजपुरी भाषा के विश्वस्तर पर प्रसार में अद्वितीय भूमिका निभाई हैं। उनकी भोजपुरी की रचनाएं सीधे पाठक के आत्मा से संवाद करती दिखती है। भोजपुरी शब्दों के प्रवाह में गुम हुआ पाठक अपनी सुधबुध तक खो बैठता है। वे जब मंच का संचालन करते हैं तो श्रोतागण उत्साह और उमंग के समंदर में गोते लगाते दिख जाते हैं। वे जब प्रसिद्ध लोगों के साक्षात्कार लेते हैं तो अतिथि साक्षात्कार के दायरे को भूल स्वाभाविक स्वरूप में अवतरित हो जाते हैं। उनके गीत, उनकी पटकथा लेखन, उनका संपादन कौशल, उनका अभिनय, उनकी फिल्मों की समीक्षा और इतिहास लेखन सब कुछ नायाब ही तो होता हैं। स्थिति कभी कभी यह भी आ जाती है कि उनके सम्मान की बेला में सम्मान भी गौरांवित हो उठते हैं। हम बात कर रहे हैं सिवान के लाल प्रख्यात भोजपुरी साहित्य साधक श्री मनोज भावुक की। जिन्होंने अपने कृतित्व के बल बूते सिवान की मेधा की परंपरा को एक नवीन सौंदर्ययुक्त आयाम दिया है।

पेशे से इंजीनियर, शौक से साहित्य साधक

श्री मनोज कुमार सिंह उर्फ मनोज भावुक सिवान के रघुनाथपुर प्रखंड के कौसड़ गांव के मूल निवासी हैं। उनके पिता श्री रामदेव सिंह हिंडालको के रेणुकूट प्लांट में मजदूर यूनियन के नेता रहे। श्री मनोज भावुक पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने एक अफ्रीकी कंपनी के लिए बतौर इंजीनियर काम भी किया है लेकिन उनके शौक ने साहित्य साधना की तरफ अग्रसर कर दिया तो भोजपुरी शब्दों ने उनके भाव के प्रवाह का सुंदर मार्ग दिखा दिया। जब उनके शब्द उनके भावों को व्यक्त करने लगे तो फिर अंतर्राष्ट्रीय मंच तक उनकी प्रतिभा के कायल हो गए।

भोजपुरी लेखन में हासिल किया प्रतिष्ठित मुकाम

भोजपुरी का संबंध श्री भावुक की आत्मा से हैं। इसलिए भोजपुरी लेखन में वे निरंतर प्रतिष्ठा अर्जित करते जा रहे हैं। उनके भोजपुरी गजल संग्रह ‘तस्वीर जिंदगी की ‘ को भारत भाषा परिषद् सम्मान (2006) ठुमरी गौरव गिरिजा देवी और सीने जगत के ख्यात गुलजार साहब के हाथों मिला। भोजपुरी लेखन के लिए भारत भाषा परिषद् का यह सम्मान पहली बार मिला था। ‘चलनी में फनी ‘ उनका विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त भोजपुरी काव्य संग्रह है। कविता कोष के वेबसाइट पर मौजूद उनकी कविताएं आपको भावविभोर कर जाएंगी। एक छोटी बानगी देख लीजिए
‘अगर दिल में लगन चाह आ भरोसा बा।
कसम से चांद भी अंगना में तब उतर जाला।’

मंच संचालन के गौरव पुरुष

मंच संचालक के उद्गार के तार अगर श्रोताओं के दिल से जुड़ जाए तो सभा श्रृंगारित हो उठती हैं। श्री मनोज भावुक इस कला के सिद्धहस्त कलाकार हैं। देश विदेश में कई प्रतिष्ठित मंचों की शोभा बढ़ा चुके श्री मनोज भावुक अपने मंच संचालन द्वारा अब तक लाखों श्रोताओं के दिलों पर अपनी गहरी छाप छोड़ चुके हैं। भोजपुरी फिल्म ‘सांची पिरितिया’ में उनका अभिनय भी जोरदार रहा था।

शोध और इतिहास लेखन की विशिष्ठ प्रतिभा से लैस

श्री मनोज भावुक की विद्वता और मेधा, उन्हें शोध और इतिहास लेखन की विशेष प्रतिभा से लैस करती भी दिखती है। भोजपुरी फिल्मों के इतिहास लेखन से सीरियल और फिल्मों के लिए पटकथा लेखन तक में श्री भावुक विशेष संजीदगी और गंभीरता को दिखाते हुए शोध परक तथ्यों को उभारते नजर आते हैं। फिल्मों की समीक्षा के दौरान भी श्री मनोज भावुक की गंभीर और तार्किक सोच ही सामने आती दिखती है।

अद्वितीय संपादन कौशल से युक्त

श्री मनोज भावुक की संपादन कला को देखना हो तो भोजपुरी जंक्शन और अचीवर्स जंक्शन के कंटेंट को देख लीजिए। एक एक शब्द और प्रसंग श्री भावुक की संपादन योग्यता का गुणगान करते दिख जाएंगे।

टेलीविजन के सबसे प्रिय एंकर

श्री मनोज भावुक टेलीविजन के सर्वाधिक लोकप्रिय एंकर में शुमार किए जाते रहे हैं। जी टीवी, टाइम्स नाउ, महुआ, अनजान, हमार टीवी के कई कार्यक्रम श्री मनोज भावुक की लोकप्रियता के परिचायक रहे हैं। उनके द्वारा सेलिब्रेटी के लिए जानेवाले साक्षात्कार कभी कभी अदभुत दृश्य उत्पन्न करते दिखते हैं। इनके मधुर व्यवहार और वाणी से प्रभावित सेलेब्रिटी भावुक के बारे में बोलना शुरू कर देते हैं। भावुक के प्रश्नों के स्वर में सेलेब्रिटी स्वाभाविक स्वरूप में अवतरित हो उठते हैं। जो शायद किसी भी साक्षात्कर्ता के लिए एक अद्भुत उपलब्धि ही होती हैं।

सम्मान से प्रतिभा को मिलती रहती सदैव प्रतिष्ठा

श्री मनोज भावुक को मिलनेवाले सम्मानों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उन्हें यहां बताना संभव नहीं। फिर भी भारत भाषा परिषद् सम्मान, भाऊ राव देवरस सम्मान, पंडित प्रताप नारायण मिश्र सम्मान, भोजपुरी रत्न सम्मान आदि इनकी प्रतिभा को सुप्रतिष्ठित करते दिख जाते हैं। तमाम अंतराष्ट्रीय स्तर के भोजपुरी संगठनों के ये मानद सदस्य रहे तो यूके हिंदी समिति ने भी इन्हें अपना सदस्य बनाकर इनकी प्रतिभा को सराहा।

कुलमिलाकर सिवान जिले के लाल श्री मनोज भावुक की बहुआयामी प्रतिभा उनकी मेधा का श्रृंगार करती दिख जाती हैं। सदियों तक उनकी उपलब्धियां सिवान और बिहार के युवाओं को प्रेरित करती रहेगी। उम्मीद हैं कि सरस्वतीपुत्र श्री मनोज भावुक आगे भी अपनी प्रतिभा के माध्यम से भोजपुरी जगत को अपनी दिव्य आभा से आलोकित करते रहेंगे।

‘ कबहूं लिखा सकल ना तहरीर जिंदगी के..’ तस्वीर में ख्यात भोजपुरी व्यक्तित्व श्री मनोज भावुक के साथ कुछ दिनों पूर्व मेरी मुलाकात के मधुर क्षण।

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