टीबी उन्मूलन: टीबी से जंग में अब जन-जन बनेगा योद्धा, निगरानी से लेकर पोषण तक हर कदम मजबूत

टीबी उन्मूलन: टीबी से जंग में अब जन-जन बनेगा योद्धा, निगरानी से लेकर पोषण तक हर कदम मजबूत

• अब आशा और सीएचओ बनेंगे टीबी वॉरियर्स, हर मरीज तक पहुंचेगा इलाज और सहारा
• कमजोर आबादी वाले क्षेत्र में टीबी मरीजों की पहचान के लिए किया जायेगा स्क्रीनिंग
• सभी जिलो में लागू होगा 100 दिवसीय “टीबी मुक्त भारत अभियान”
• टीबी के मरीजों को मिलेगा निक्षय पोषण योजना का लाभ

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श्रीनारद मीडिया, छपरा (बिहार):

 

देश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में अब सारण सहित पूरे बिहार के सभी जिलों में 100 दिवसीय “टीबी मुक्त भारत अभियान” को लागू किया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की यह पहल 7 दिसंबर 2024 से 17 मार्च 2025 तक देश के 347 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाई गई थी, जिसकी उल्लेखनीय सफलता को देखते हुए अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार दिया जा रहा है। इस अभियान के तहत सारण जिले में भी घर-घर जाकर टीबी मरीजों की पहचान और उपचार की निगरानी की जाएगी।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर टीबी की एक्सरे स्क्रीनिंग की जायेगी:

अभियान की सबसे बड़ी ताकत जनभागीदारी होगी। इसके तहत निर्वाचित जनप्रतिनिधि, एनजीओ, मीडिया संस्थान, स्व-सहायता समूहों और सामाजिक संगठनों को जागरूकता कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा। सामुदायिक सहभागिता से टीबी मरीजों को पहचानने, उनकी सहायता करने और उपचार में सहयोग करने की रणनीति को बढ़ावा मिलेगा। कमजोर आबादी की टीबी स्क्रीनिंग और एक्स-रे परीक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से एनसीडी मरीजों के लिए टीबी की एक्स-रे स्क्रीनिंग की जाएगी।

मातृत्व मृत्यु ऑडिट की तर्ज़ पर होगा मौत का विश्लेषण:
सभी पंचायतों और कमजोर आबादी वाले क्षेत्रों में 100% टीबी जांच का लक्ष्य। उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान कर Differentiated TB Care को अपनाया जाएगा। सभी पात्र मरीजों को नि-क्षय पोषण योजना का लाभ, नि-क्षय मित्र सहायता और पोषण किट दी जाएगी। मातृत्व मृत्यु ऑडिट की तर्ज़ पर टीबी मौतों का विश्लेषण किया जाएगा।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर में दो टीबी चैंपियन नियुक्त किए जाएंगे:

जिला क्षमा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि सीएचओ हर 15 दिन में और आशा कार्यकर्ता साप्ताहिक रूप से टीबी मरीजों के घर जाकर सेवाओं की निगरानी करें। एनजीओ और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से पोषण पोटली की समय पर आपूर्ति। प्रत्येक आयुष्मान आरोग्य मंदिर में दो टीबी चैंपियन नियुक्त किए जाएंगे। नजदीकी संपर्कों को भी टीबी संक्रमण से बचाव हेतु जांच और उपचार मिलेगा। ज़िला स्तर पर कॉल सेंटर की स्थापना कर उपचार की निगरानी होगी। सभी गतिविधियों की समीक्षा कर सुधार के बिंदु चिन्हित किए जाएंगे।

अब किसी भी मरीज को इलाज से वंचित नहीं छोड़ा जाएगा

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि टीबी से मृत्यु दर में तेजी से गिरावट लाने के लिए इस बार स्वास्थ्य विभाग ने “Differentiated TB Care” मॉडल को अपनाया है, जिसके तहत उच्च जोखिम वाले मरीजों की अलग पहचान कर उन्हें विशेष निगरानी में रखा जाएगा। मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिजनों और अन्य लोगों की भी जांच की जाएगी ताकि संक्रमण की चैन को वहीं रोका जा सके।

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