न्यायालयों में तकनीकी संसाधन बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हमारे जीवन के हर हिस्से में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है. कोरोना काल में तो इसने यह भी साबित कर दिया कि आपात स्थितियों में इसका महत्व कुछ अधिक ही है. लेकिन व्यापक उपयोगिता और संभावनाओं से परिचित होने के बाद भी तकनीक को अपनाने में कई लोगों में हिचक भी बाकी है. न्यायालयों में भी डिजिटल संसाधनों का विस्तार हो रहा है, पर उसकी गति अपेक्षित नहीं है.

इसे रेखांकित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूढ़ ने उचित ही कहा है कि कागज पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए जब न्यायपालिका तकनीक को अपना रही है, तो यह जरूरी है कि उसे लेकर मानसिक सोच में भी बदलाव हो. यदि हम उसके महत्व और क्षमता को ठीक से समझ लेंगे, तो उसे इस्तेमाल करना भी आसान हो जायेगा. न्यायमूर्ति चंद्रचूढ़ सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के प्रमुख भी हैं, जो मौजूदा मामलों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बदलने में लगी है.

इस प्रक्रिया में लंबित मामलों को रोजाना डिजिटल करने की योजना है. हमारे देश में लंबित मामलों की बड़ी संख्या है. ऐसा करने से दस्तावेजों से न केवल मामले से जुड़े लोगों की पहुंच आसान हो जायेगी, बल्कि उनकी सुनवाई भी जल्दी हो सकेगी. कुछ दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि जमानत के आदेश तुरंत जेल अधिकारियों को मिलने चाहिए ताकि बंदी को तत्काल छोड़ा जा सके.

प्रक्रिया की देरी का खामियाजा किसी और को नहीं भुगतना चाहिए. अगर सभी संबद्ध कागजात डिजिटल रूप में होंगे, तो दोनों पक्ष और जज उन्हें आसानी से देख सकेंगे. यह जगजाहिर तथ्य है कि अक्सर दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने से सुनवाई टल जाती है तथा अदालतों पर लंबित मामलों का बोझ बढ़ता जाता है. सर्वोच्च न्यायालय और कई उच्च न्यायालयों में निर्णयों को तत्काल ऑनलाइन करने की प्रक्रिया पहले से लागू है.

इसका विस्तार किया जाना चाहिए. देश में जिस प्रकार से स्मार्ट फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उसके फायदे भी बढ़ते जा रहे हैं. डिजिटल लेन-देन ने छोटे ग्राहकों और खुदरा कारोबारियों को बहुत सहूलियत दी है. वित्तीय सहायता एवं अनुदान मुहैया करानेवाली सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को सीधे मिल रहा है. पुलिस समेत विभिन्न सरकारी महकमों से जुड़ी सूचनाएं आम आदमी को तत्काल मिल जा रही हैं तथा शिकायतों को दर्ज कराना भी आसान हो गया है.

स्वास्थ्य व शिक्षा में भी इसका प्रयोग बढ़ रहा है. न्यायमूर्ति चंद्रचूढ़ ने रेखांकित किया है कि आधुनिक तकनीक का सबसे बड़ा पहलू उसका सरल होना है. डिजिटल तकनीक ने पारदर्शिता भी सुनिश्चित किया है. ऑनलाइन की गयी शिकायत या मांगी गयी सूचना के साथ हेर-फेर करना या उसे टालना सरकारी विभागों के लिए असंभव हो गया है. निजी क्षेत्र की सेवाओं के साथ भी यह बात लागू होती है. न्याय पाना नागरिक का आधारभूत अधिकार है. इसमें तकनीकी संसाधन बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

 

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