Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के पश्चात् वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को पेश किया गया। - श्रीनारद मीडिया

संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के पश्चात् वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को पेश किया गया।

संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के पश्चात् वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को पेश किया गया।

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के पश्चात् वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को पेश किया गया।

  • इस वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण का केंद्रीय विषय ‘त्वरित दृष्टिकोण’ है।
  • इस वर्ष का सर्वेक्षण देश में ढाँचागत विकास को दर्शाने हेतु उपग्रह और भू-स्थानिक डेटा के उपयोग को उजागर करने के लिये विभिन्न उदाहरणों का उपयोग करता है।

Indian-Economy

क्या होता है ‘आर्थिक सर्वेक्षण’?

  • भारत का ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक वार्षिक दस्तावेज़ है।
  • इसे भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित डेटा का आधिकारिक और अद्यतन स्रोत माना जाता है।
    • यह एक प्रकार की रिपोर्ट है, जिसमें सरकार द्वारा पिछले एक वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित आँकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं, साथ ही सरकार इसमें अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियों का अनुमान लगाती है और उनके संभावित समाधान प्रस्तुत करती है।
  • इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा तैयार किया जाता है।
  • इसे प्रायः संसद में केंद्रीय बजट पेश किये जाने से एक दिन पहले प्रस्तुत किया जाता है।
    • भारत में पहला आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 1964 तक इसे केंद्रीय बजट के साथ पेश किया जाता था। वर्ष 1964 से इसे बजट से अलग कर दिया गया।

आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के प्रमुख बिंदु 

  • अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति (GDP वृद्धि):
    • वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के 9.3 प्रतिशत (प्रारंभिक अग्रिम अनुमान) बढ़ने का अनुमान है।
    • वर्ष 2022-23 में ‘सकत घरेलू उत्पाद’ की विकास दर 8-8.5 प्रतिशत रह सकती है।
      • वर्ष 2022-23 से संबंधित यह अनुमान ‘विश्‍व बैंक’ और ‘एशियाई विकास बैंक’ की क्रमश: 8.7 एवं 7.5 प्रतिशत जीडीपी विकास की संभावना के अनुरूप है।
      • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के हालिया ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ अनुमान के अनुसार, वर्ष 2022-23 में भारत की रियल जीडीपी विकास दर 9 प्रतिशत और 2023-24 में 7.1 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था आगामी तीन वर्ष तक दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्‍यवस्‍था बनी रहेगी।
    • उच्च विदेशी मुद्रा भंडार, सतत् प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश और निर्यात में वृद्धि के संयोजन से वर्ष 2022-23 में वैश्विक स्‍तर पर तरलता में संभावित संकुचन (Tapering) के विरुद्ध भारत को पर्याप्‍त समर्थन मिलेगा।
      • ‘संकुचन’ मात्रात्मक सहजता (QE) नीतियों का एक सैद्धांतिक रिवर्सल है, जो एक केंद्रीय बैंक द्वारा लागू किया जाता है और जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

fiscal-deficit

  • राजकोषीय विकास:
    • सतत् राजस्‍व संग्रह और एक लक्षित व्‍यय नीति के परिणामस्वरूप अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान राजको‍षीय घाटे को बजट अनुमान के 46.2 प्रतिशत के स्‍तर पर सीमित रखने में सफलता मिली है।
    • वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान- 9.6 प्रतिशत की तुलना में केंद्र सरकार की राजस्‍व प्राप्तियों (अप्रैल-नवंबर, 2021) में 67.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
    • वर्ष-दर-वर्ष (YoY) आधार पर अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान सकल कर-राजस्‍व में 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
    • यह वर्ष 2019-20 के महामारी से पहले के स्‍तरों की तुलना में भी बेहतर प्रदर्शन है।
    • ‘कर राजस्व’ केंद्र सरकार के ‘प्राप्ति बजट’ का वह हिस्सा है, जो स्वयं केंद्रीय बजट के ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ का एक हिस्सा होता है।
    • अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान ‘पूंजीगत व्यय’ में 13.5% (YoY) की वृद्धि हुई है, जिसमें मुख्य तौर पर बुनियादी ढाँचा-गहन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • कोविड-19 के चलते ऋण में बढ़ोतरी के साथ वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार का ऋण बढ़कर जीडीपी का 59.3 प्रतिशत हो गया, जो कि वर्ष 2019-20 में जीडीपी के 49.1 प्रतिशत के स्‍तर पर था। हालाँकि अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के साथ इसमें गिरावट आने का अनुमान है।
    • कर राजस्व और सरकारी नीतियों ने ‘अतिरिक्त राजकोषीय नीति हस्तक्षेप हेतु एक अवसर’ प्रदान किया है।
    • पूंजीगत व्यय पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में संकेत दिया गया है कि सरकार चालू वर्ष (2021-22) के लिये सकल घरेलू उत्पाद के 6.8% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।

forex-reserve

  • बाह्य क्षेत्र:
    • भारत के वाणिज्यिक निर्यात एवं आयात ने बेहतरीन रिकवरी की है और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान यह कोविड महामारी से पहले के स्‍तरों से अत्यधिक हो गया है।
    • पर्यटन से कमज़ोर राजस्‍व के बावजूद प्राप्तियों और भुगतान के महामारी से पहले के स्‍तरों पर पहुँचने के साथ सकल सेवाओं में अच्‍छी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
    • विदेशी निवेश में निरंतर बढ़ोतरी, सकल बाह्य वाणिज्यिक उधारी में बढ़ोतरी, बैंकिंग पूंजी में सुधार और अतिरिक्‍त विशेष आहरण अधिकार (SDR) आवंटन के आधार पर वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सकल पूंजी प्रवाह बढ़कर 65.6 बिलियन डॉलर हो गया है।
      • नवंबर, 2021 के अंत तक चीन, जापान और स्विट्ज़रलैंड के बाद भारत चौथा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश था।
  • मौद्रिक प्रबंधन तथा वित्तीय मध्यस्थताः
    • समग्र प्रणाली में ‘तरलता’ अधिशेष की स्थिति बनी रही।
      • वर्ष 2021-22 में रेपो दर 4 प्रतिशत पर बनी रही।
      • भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि प्रदान करने के लिये सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम और विशेष दीर्घकालिक रेपो संचालन जैसे विभिन्न उपाय किये।
    • वाणिज्यिक बैंकिंग प्रणाली ने अच्छी तरह से महामारी के आर्थिक प्रभाव का सामना किया हैः
      • वर्ष 2021-22 में वार्षिक आधार पर ऋण वृद्धि अप्रैल, 2021 के 5.3 प्रतिशत से बढ़कर 31 दिसंबर, 2021 तक 9.2 प्रतिशत हुई।
      • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का कुल अनुत्पादक अग्रिम अनुपात 2017-18 के अंत के 11.2 प्रतिशत से घटकर सितंबर, 2021 के अंत में 6.9 प्रतिशत हो गया।
      • समान अवधि के दौरान शुद्ध अनुत्पादक अग्रिम अनुपात 6 प्रतिशत से घटकर 2.2 प्रतिशत हो गया।
      • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी-जोखिम भारांक परिसंपत्ति अनुपात वर्ष 2013-14 के 13 प्रतिशत से बढ़ते हुए सितंबर, 2021 के अंत में 16.54 प्रतिशत रहा।
      • सितंबर, 2021 में समाप्त होने वाली अवधि के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों हेतु परिसंपत्तियों और इक्विविटी पर रिटर्न सकारात्मक बना रहा।
    • पूंजी बाज़ारों के लिये असाधारण वर्षः
      • अप्रैल-नवंबर, 2021 में 75 प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) से 89,066 करोड़ रुपए अर्जित किये गए, जो पिछले एक दशक के किसी भी वर्ष में सबसे अधिक है।
  • मूल्य तथा मुद्रास्फीतिः
    • औसत शीर्ष सीपीआई-संयुक्त मुद्रास्फीति 2021-22 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधरकर 5.2 प्रतिशत हुई, जबकि 2020-21 की इसी अवधि में यह 6.6 प्रतिशत थी।
    • खुदरा स्फीति में गिरावट खाद्य मुद्रास्फीति में सुधार के कारण आई। 2021-22 (अप्रैल से दिसंबर) में औसत खाद्य मुद्रास्फीति 2.9 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 9.1 प्रतिशत थी।
    • वर्ष के दौरान प्रभावी आपूर्ति प्रबंधन ने अधिकतर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित रखा। दालों और खाद्य तेलों में मूल्य वृद्धि नियंत्रित करने के लिये सक्रिय कदम उठाए गए।
    • सैंट्रल एक्साइज़ में कमी तथा बाद में अधिकतर राज्यों द्वारा मूल्यवर्द्धित कर में कटौती से पेट्रोल तथा डीज़ल की कीमतों में सुधार लाने में मदद मिली।
    • थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक मुद्रास्फीति 2021-22 (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान 12.5 प्रतिशत बढ़ी।
    • ऐसा निम्नलिखित कारणों से हुआः
      • पिछले वर्ष में निम्न आधार
      • आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी
      • कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में भारी वृद्धि तथा अन्य आयातित वस्तुओं और
      • उच्च माल ढुलाई लागत
    • सीपीआई-सी तथा डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति के बीच अंतर: मई, 2020 में यह अंतर शीर्ष पर 9.6 प्रतिशत  रहा। लेकिन इस वर्ष खुदरा मुद्रास्फीति के दिसंबर, 2021 की थोक मुद्रास्फीति के 8.0 प्रतिशत के नीचे आने से इस अंतर में उलटफेर हुआ।
    • इस अंतर की व्याख्या निम्नलिखित कारकों द्वारा की जा सकती हैः
      • बेस प्रभाव के कारण अंतर
      • दो सूचकांकों के स्कोप तथा कवरेज में अंतर
      • मूल्य संग्रह
      • कवर की गई वस्तुएँ
      • वस्तु भारों में अंतर तथा
      • आयातित कच्चे माल की कीमत ज़्यादा होने के कारण डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति संवेदी हो जाती है।
    • डब्ल्यूपीआई में बेस प्रभाव की क्रमिक समाप्ति से सीपीआई-सी तथा डब्ल्यूपीआई में अंतर कम होने की आशा की जाती है।
  • सतत् विकास तथ जलवायु परिवर्तन:
    • नीति आयोग के एसडीजी इंडिया इंडेक्स तथा डैशबोर्ड पर भारत का समग्र स्कोर 2020-21 में सुधरकर 66 हो गया, जबकि यह 2019-20 में 60 तथा 2018-19 में 57 था।
    • फ्रंट रनर्स (65-99 स्कोर) की संख्या 2020-21 में 22 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में बढ़ी, जो 2019-20 में 10 थी।
    • नीति आयोग पूर्वोत्तर क्षेत्र ज़िला एसडीजी सूचकांक 2021-22 में पूर्वोत्तर भारत में 64 ज़िले फ्रंट रनर्स तथा 39 ज़िले परफॉर्मर रहे।
    • भारत, विश्व में दसवाँ सबसे बड़ा वन क्षेत्र वाला देश है।
    • वर्ष 2010 से 2020 के दौरान वन क्षेत्र वृद्धि के मामले में 2020 में भारत का विश्व में तीसरा स्थान रहा।
    • अगस्त, 2021 में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2021 अधिसूचित किये गए, जिनका उद्देश्य 2022 तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक को समाप्त करना है।
    • प्लास्टिक पैकेजिंग के लिये विस्तारित उत्पादक दायित्व पर प्रारूप विनियमन अधिसूचित किया गया।
    • गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के तटों पर अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) की अनुपालन स्थिति 2017 में 39 प्रतिशत से सुधर कर 2020 में 81 प्रतिशत हो गई।
    • उत्सर्जित अपशिष्ट में वर्ष 2017 के दैनिक रूप से 349.13 मिलियन लीटर से वर्ष 2020 में 280.20 मिलियन लीटर की कमी आई।
    • प्रधानमंत्री ने नवंबर, 2021 में ग्लास्गो में आयोजित COP-26 के राष्ट्रीय वक्तव्य के हिस्से के रूप में उत्सर्जन में कमी लाने के लिये वर्ष 2030 तक प्राप्त किये जाने वाले महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की घोषणा की।
    • एक शब्द ‘LIFE’ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली) प्रारंभ करने की आवश्यकता महसूस करते हुए बिना सोचे-समझे तथा विनाशकारी खपत के बदले सोचपूर्ण तथा जान-बूझकर उपयोग करने का आग्रह किया गया है।

Foodgrains_Prodction

  • कृषि तथा खाद्य प्रबंधनः
    • पिछले दो वर्षों में कृषि क्षेत्र में विकास देखा गया। देश के कुल मूल्यवर्द्धन में 18.8 प्रतिशत (2021-22) की महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई, इस तरह वर्ष 2020-21 में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वर्ष 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति का उपयोग फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिये किया जा रहा है।
    • वर्ष 2014 की ‘एसएएस रिपोर्ट’ की तुलना में नवीनतम ‘सिचुएशन असेसमेंट सर्वे’ (एसएएस) में फसल उत्पादन से शुद्ध प्राप्तियों में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
    • पशुपालन, डेयरी तथा मछली पालन सहित संबंधित क्षेत्र तेज़ी से उच्च वृद्धि वाले क्षेत्र के रूप में तथा कृषि क्षेत्र में संपूर्ण वृद्धि के प्रमुख प्रेरक के रूप में उभर रहे हैं।
      • वर्ष 2019-20 में समाप्त होने वाले पिछले पाँच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 8.15 प्रतिशत के सीएजीआर पर बढ़ा रहा।
    • सरकार सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को औपचारिक रूप देने के लिये समर्थन और बुनियादी ढाँचे के विकास, रियायती परिवहन जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण को सहायता प्रदान करती है।
    • सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) जैसी योजनाओं के माध्यम से खाद्य सुरक्षा नेटवर्क कवरेज का और अधिक विस्तार किया है।
  • उद्योग और बुनियादी ढाँचा:
    • अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) बढ़कर 17.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गया है, जो अप्रैल-नवंबर, 2020 में (-)15.3 प्रतिशत था।
    • भारतीय रेलवे के लिये पूंजीगत व्यय वर्ष 2009-2014 के दौरान 45,980 करोड़ रुपए के वार्षिक औसत से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 155,181 करोड़ रुपए हो गया और वर्ष 2021-22 में इसे 215,058 करोड़ रुपए तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, इस प्रकार इसमें वर्ष 2014 के स्तर की तुलना में पाँच गुना बढ़ोतरी हुई है।
    • वर्ष 2020-21 में सड़क निर्माण की सीमा को बढ़ाकर 36.5 किलोमीटर प्रतिदिन कर दिया गया है जो  वर्ष 2019-20 में 28 किलोमीटर प्रतिदिन थी, इस प्रकार इसमें 30.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
    • बड़े कॉरपोरेट के बिक्री अनुपात से निवल लाभ वर्ष 2021-22 की जुलाई-सितंबर तिमाही में महामारी के बावजूद 10.6 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुँच गया है। (आरबीआई अध्ययन )
    • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के शुभारंभ से लेन-देन लागत घटाने और व्यापार को आसान बनाने के कार्य में सुधार लाने के उपायों के साथ-साथ डिजिटल और वस्तुगत दोनों बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा मिला है, जिससे रिकवरी की गति में मदद मिलेगी।
  • सेवाएँ:
    • सकल मूल्य वर्द्धित (Gross Value Added):
      • जीवीए (GVA) की सेवाओं ने वर्ष 2021-22 की जुलाई-सितंबर तिमाही में पूर्व-महामारी स्तर को पार कर लिया है।
      • व्यापार, परिवहन आदि जैसे कॉन्टेक्ट इंटेन्सिव सेक्टरों का GVA अभी भी पूर्व-महामारी स्तर से नीचे बना हुआ है।
      • समग्र सेवा क्षेत्र जीवीए में 2021-22 में 8.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Invest):
      • वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र ने 16.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDIप्राप्त किया जो भारत में कुल एफडीआई प्रवाह का लगभग 54 प्रतिशत है।
    • सुधार:
      • प्रमुख सरकारी सुधारों में आईटी-बीपीओ (IT-BPO) क्षेत्र में टेलिकॉम विनियमों को हटाना और निजी क्षेत्र के दिग्गजों के लिये अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलना शामिल है।
    • निर्यात: 
      • सेवा निर्यात ने वर्ष 2020-21 की जनवरी-मार्च तिमाही में पूर्व-महामारी स्तर को पार कर लिया और इसमें वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 21.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सॉफ्टवेयर व आईटी सेवा निर्यात के लिये वैश्विक मांग से इसमें मज़बूती आई है।
    • स्टार्ट-अप्स:
      • भारत अब अमेरिका और चीन के बाद विश्व में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप्स इकोसिस्टम बन गया है। नए मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप् की संख्या वर्ष 2021-22 में बढ़कर 14 हज़ार से अधिक हो गई है जो वर्ष 2016-17 में केवल 735 थी।
      • 44 भारतीय स्टार्ट-अप्स ने 2021 में यूनिकॉर्न दर्जा हासिल किया, इससे यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप्स की कुल संख्या 83 हो गई है और इनमें से अधिकांश सेवा क्षेत्र में हैं।
  • सामाजिक बुनियादी ढाँचा और रोज़गार:
    • रोज़गार:
      • अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान से रोज़गार सूचकांक वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही के दौरान वापस पूर्व-महामारी स्तर पर आ गए हैं।
      • मार्च, 2021 तक प्राप्त तिमाही आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PFLS) आँकड़ों के अनुसार, महामारी के कारण प्रभावित शहरी क्षेत्र में रोज़गार लगभग पूर्व महामारी स्तर तक वापस आ गए हैं।
      • कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के आँकड़ों के अनुसार, दूसरी कोविड-19 लहर के दौरान रोज़गारों का औपचारीकरण जारी रहा। कोविड-19 की पहली लहर की तुलना में रोज़गारों के औपचारीकरण पर कोविड का प्रतिकूल प्रभाव कम रहा है।
    • सामाजिक अवसंरचना:
      • सामाजिक सेवाओं (स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य) पर जीडीपी के अनुपात के रूप में केंद्र और राज्यों का व्यय जो वर्ष 2014-15 में 6.2 प्रतिशत था, वर्ष 2021-22 (बजट अनुमान) में बढ़कर 8.6 प्रतिशत हो गया।
      • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार:
        • कुल प्रजनन दर (TFR) वर्ष 2019-21 में घटकर 2 हो गई, जो वर्ष 2015-16 में 2.2 थी।
        • शिशु मृत्यु दर (IMR), पाँच वर्ष से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु दर में कमी आई है और अस्पतालों/प्रसव केंद्रों में शिशुओं के जन्म में वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2019-21 में सुधार हुआ है।
      • जल जीवन मिशन के तहत 83 ज़िले ‘हर घर जल’, प्रदान करने वाले ज़िले बन गए हैं।
      • महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में असंगठित श्रम के लिये बफर उपलब्ध कराने हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MNREGS) के लिये निधियों का अधिक आवंटन।
      • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अलावा केंद्रीय बजट वर्ष 2021-22 में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन, प्राथमिक, माध्यमिक एवं तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की क्षमता विकसित करने, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थानों को मज़बूत करने और ज़रूरतों को पूरा करने तथा उभरती बीमारियों का पता लगाने व उनका इलाज़ करने के लिये नए संस्थान बनाने हेतु एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की घोषणा की गई है।
      • भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो कोविड-19 के टीके तैयार कर रहे हैं। देश ने भारत में बने दो कोविड-19 टीकों के साथ शुरुआत की। आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत की पहली घरेलू कोविड-19 वैक्सीन (COVAXIN), भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से विकसित और निर्मित की गई थी।
      • टीकाकरण की प्रगति को न केवल स्वास्थ्य प्रतिक्रिया संकेतक के रूप में देखा जाना चाहिये, बल्कि बार-बार महामारी की लहर के कारण होने वाले आर्थिक व्यवधानों के खिलाफ एक बफर के रूप में भी देखा जाना चाहिये।
    • यह भी पढ़े…….
    • मण्डल रेल प्रबंधक ने सिधवलिया रेलवे स्टेशन का किया निरीक्षण
    • क्या सरकार द्वारा खर्च में की गई बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित होगी?
    • ग्लोबल कायस्थ कान्फ्रेंस का प्रथम स्थापना दिवस मनाया गया
    • किस प्रकार से अग्रसर होगी शिक्षा?
    • ताड़ी व देशी शराब से जुड़े परिवारों का सर्वेक्षण को लेकर बीडीओ ने की  बैठक

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!