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गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट,भारत के लिए मील का पत्थर है,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट,भारत के लिए मील का पत्थर है,कैसे?

गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट,भारत के लिए मील का पत्थर है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)  के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा कि इसरो के मिशन गगनयान की सफल मानव रहित परीक्षण उड़ान आने वाले समय में इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के भारत के कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए जी माधवन नायर ने कहा कि मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि इसरो का टीवी-डी1 मिशन आज सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।

क्या है टेस्ट फ्लाइट का मकसद?

गौरतलब है कि आज की परीक्षण उड़ान (टेस्ट व्हीकल डी1 मिशन) का मकसद इसके क्रू मॉड्यूल के आपातकालीन बचाव प्रणाली का परीक्षण करना था। टेस्ट व्हीकल डी 1 मिशन को सुबह 10 बजे लॉन्च किया गया। इससे पहले, आठ बजे और आठ बजकर 45 मिनट पर इसकी लॉन्चिंग को रद करना पड़ा था। इसरो के पूर्व अध्यक्ष नायर के मुताबिक, श्रीहरिकोटा में खराब मौसम के कारण लॉन्चिंग में करीब 40 मिनट की देरी हुई। इसके बाद स्वचालित प्रक्षेपण प्रणाली में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। हालांकि, सुबह 10 बजे तक सभी तकनीकी खामियों को दूर कर लिया गया।

जीएसएलवी रॉकेट प्रणाली का हिस्सा है प्रक्षेपण यान

पूर्व इसरो प्रमुख ने प्रक्षेपण यान के बारे में बताया कि यह जीएसएलवी रॉकेट प्रणाली का हिस्सा है। आज की उड़ान मैन कैप्सूल को लगभग 10 किलोमीटर की ऊंचाई और ध्वनि के वेग से 1.2 गुना अधिक वेग तक ले गई है। उसी समय क्रू मॉड्यूल को रॉकेट प्रणाली के एक सेट का उपयोग करके मूल वाहन से बाहर निकाल गया और बंगाल की खाड़ी में सुरक्षित लैंडिंग के लिए एक अलग प्रक्षेपवक्र के माध्यम से ले जाया गया।

माधवन नायर ने कहा कि जहां तक मेरी समझ है, टीवी- डी1 मिशन को अंतिम समय में कुछ गड़बड़ी के कारण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था। यदि इनमें से किसी भी सिस्टम में कोई विसंगति देखी जाती है तो कम्प्यूटर स्वचालित रूप से लॉन्च को रोक देगा और मिशन को फेल होने से बचा लेगा।इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने वैज्ञानिकों को क्रू एस्केप मॉड्यूल की सफल लैंडिंग पर बधाई दी है। इस मौके पर मिशन के निदेशक एस शिवकुमार ने कहा कि यह पहले कभी न किए गए प्रयास की तरह है। यह एक साथ रखे गए तीन प्रयोगों के गुलदस्ते की तरह है।

भारत मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला बनेगा चौथा देश

गगन परियोजना के जरिए इसरो ने तीन सदस्यीय एक दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में भेजने और फिर उन्हें समुद्र में उतारकर सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाने की योजना बनाई है। अगर यह कार्यक्रम सफल होता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) की पहली टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक लॉन्च हो गई है। गगनयान की टेस्ट फ्लाइट में क्रू एस्केप मॉड्यूल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। मॉड्यूल बंगाल की खाड़ी में उतर गया है। इसका लेटेस्ट वीडियो सामने आया है। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। क्रू मॉड्यूल के आपातकालीन बचाव प्रणाली का परीक्षण किया जो थ्रस्टर से अलग हो गया और लॉन्च के लगभग 10 मिनट बाद समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की।

शनिवार के रॉकेट ने अपने क्रू मॉड्यूल के आपातकालीन बचाव प्रणाली का परीक्षण किया, जो थ्रस्टर से अलग हो गया और लॉन्च के लगभग 10 मिनट बाद समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की। यह मिशन वाहन के क्रू एस्केप सिस्टम की क्षमता का परीक्षण करने के लिए आयोजित किया गया था, जिसका उपयोग आपातकालीन स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकलने की आवश्यकता होने पर किया जाएगा।

एस सोमनाथ ने क्या कहा?

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मिशन केंद्र से कहा , “हमें मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मिशन का उद्देश्य क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करना था। क्रू एस्केप सिस्टम शुरू करने से पहले वाहन ध्वनि की गति से थोड़ा ऊपर चला गया।” उन्होंने कहा, “बचाव प्रणाली चालक दल के मॉड्यूल को वाहन से दूर ले गई और समुद्र में टच-डाउन सहित बाद के ऑपरेशन बहुत अच्छी तरह से पूरे किए गए हैं।”

2024 में लॉन्च होगा मिशन

परीक्षण वाहन डी1 मिशन को सुबह 8 बजे पहले लॉन्च पैड से लॉन्च करने के लिए निर्धारित किया गया था, जिसे बाद में सुबह 8.45 बजे कर दिया गया, लेकिन लॉन्च से ठीक 5 सेकंड पहले उल्टी गिनती बंद हो गई। इसरो ने कारण की पहचान की और सुबह 10 बजे परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।

भारत 2024 में लॉन्च होने वाले गगनयान नामक मिशन में अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। देश 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा और वीनस ऑर्बिटर के साथ-साथ मंगल लैंडर पर भी काम करेगा।

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