जिस मैदान पर शेरशाह सूरी और हुमायूं के बीच  जंग हुई थी अब  बदलेगी उसकी सुरत

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

बक्सर. जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर चौसा में कर्मनाशा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है ऐतिहासिक युद्धस्थल, जहां 25 जून 1539 में शेरशाह सूरी और मुगल बादशाह हुमायूं के बीच भीषण लड़ाई हुई थी. कहा जाता है कि चौसा के इसी धरती पर युद्ध में 8000 से अधिक मुगल सैनिक मारे गए थे जबकि शेरशाह सूरी से युद्ध में बुरी तरह घायल हुमायूं को अपनी जान बचाकर युद्ध के मैदान से भागना पड़ा था. वहीं वर्षो से बदहाली का दंश झेल रहे शेरशाह के शौर्यस्थल की तकदीर अब बदलने वाली है.

इस युद्धस्थल को लेकर कई बार स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों की ओर से आवाज भी उठायी गयी थी. आखिरकार शौर्यस्थल के विकास के लिए राज्य पर्यटन विभाग से मंजूरी मिल गई है और जल्द इसका कायाकल्प होगा. इस जगह को ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा.12 माह में शौर्यस्थल के विकास का काम करना है पूराजिला सूचना जनसम्पर्क पदाधिकारी विनोद कुमार सिंह से प्राप्त जानकारी के मुताबिक लगभग चार करोड़ रुपये की लागत से शेरशाह शौर्यस्थल का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. इसके लिए प्रथम किश्त का आवंटन भी कर दिया गया है. 12 माह में शौर्यस्थल का कायाकल्प किया जाना है.

इसको लेकर सौंदर्यीकरण निगम ने जिले को पत्र भी भेज दिया है. इसमें बताया गया है कि राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा तीन करोड़ 89 लाख 77 हजार रुपये ऐतिहासिक मैदान के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए स्वीकृत किए गए हैं. इसमें प्रथम किश्त के रूप में 1 करोड़ 94 लाख 88 हजार 500 रुपये जिला को भेज दिया गया है.

इस राशि से चहारदीवारी का जीर्णोद्धार, टिकट कक्ष, शौचालय, चबूतरे का कार्य, मुख्य द्वार व पिछला द्वार, पार्क का जीर्णोद्धार, कंक्रीट सड़क, लैंड स्केपिंग, गुड अर्थ, सैंड स्टोन से पाथवे, पार्क में 10 बेंच तथा 35 सोलर लाइट लगाया जाना है.पर्यटन स्थल बनने से लोगों को मिलेगा रोजगारचौसा नगर पंचायत के मुख्य पार्षद प्रतिनिधि डॉ. मनोज यादव ने विकास और सौंदर्यीकरण की मंजूरी के साथ प्रथम किश्त की राशि जारी करने पर खुशी जताते हुए कहा कि वर्षों से उपेक्षित ऐतिहासिक स्थल का कायाकल्प होने से चौसा का गौरव बढ़ जाएगा.

उन्होंने कहा कि अब तक इतिहास पढ़कर यहां घूमने आने वाले पर्यटक निराश होकर वापस चले जाते थे, लेकिन युद्धस्थल का कायाकल्प होने से अब ऐसा नहीं होगा. उन्होंने बताया कि शौर्यस्थल के सौंदर्यीकरण से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा जिससे यहाँ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की मांग पर जिला प्रशासन ने मनरेगा योजना के तहत शेड तथा ईट बिछाने का काम किया गया है.

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