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मानवता का ज्ञान हमे अपनी मां और दूसरों की मां में भेद सिखाती है.तभी तो अपनी जिभ्या के स्वाद खातिर एक मेमने के सामने उसकी मां को काटकर खा जाते हैं - श्रीनारद मीडिया

मानवता का ज्ञान हमे अपनी मां और दूसरों की मां में भेद सिखाती है.तभी तो अपनी जिभ्या के स्वाद खातिर एक मेमने के सामने उसकी मां को काटकर खा जाते हैं

मानवता का ज्ञान हमे अपनी मां और दूसरों की मां में भेद सिखाती है.तभी तो अपनी जिभ्या के स्वाद खातिर एक मेमने के सामने उसकी मां को काटकर खा जाते हैं

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रघुनाथपुर निवासी दीपक पांडेय की कलम से मातृ दिवस पर एक शानदार प्रस्तुति

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)

माँ….मा अपनी माँ, धरती माँ, गौ माँ, प्रत्येक व्यक्ति की वो जननी जो अपनी जान की बाजी लगाकर जन्म देती और बनती हैं… माँ ! दुनिया की वो हर माँ एक जैसी होती है उतनी ही पीड़ा, उतना ही दर्द मेरा इशारा उस मेमने की माँ की तरफ है जिसको हम कभी उसके बच्चे के सामने केवल अपनी इस दरिंदि मांसिकता को शांत करने के लिए काटकर खा जाते हैं वो भी तो माँ है न क्या करुणा से भरा यह शब्द” माँ” हमे इतना असम्बेदनशील बना पाता है की हम किसी माँ के सामने उसके बच्चे को मार देते हैं ..क्या ममता की कसौटी यही है कि हम समझदार है और वो बेजूबान…! हमारी वो भी तो माँ है जो गर्भ से निकलने के बाद हमारी सांसो का ख्याल करती हैं और फिर आजीवन कभी हमारे भूख और प्यास का ! आज पूरी दुनिया मातृ दिवस् मना रही है हम अपनी माँ के साथ selfie ले रहे है “अच्छी बात है… पर हमारा कर्तब्य क्या श्रृष्टि के उन सारी माँ के प्रति नहीं है जो माँ है क्या हमारी मानवता का ज्ञान हमे अपनी माँ और दूसरी माँ मे इतना भेद सिखाती है ? क्या करुणा से भरा यह शब्द” माँ ” हमे इतना असम्बेदनशील बना पाता है की हम किसी माँ के सामने उसके बच्चे को मार कर खा जाते हैं आइये आज मातृ दिवस पर हम संकल्पित हो की हम एक वैसा बेटा बने जिसकी अभिलाषा दुनिया की हर एक माँ करती हैं ,…… Be A Best son Happy mother’s Day???दीपक पांडेय रघुनाथपुर

 

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