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इश्क का इम्तिहान है एक जलप्रपात, जहां कभी रानी शिरोमणि ने पहाड़ से कूद कर दे दी थी जान. - श्रीनारद मीडिया

इश्क का इम्तिहान है एक जलप्रपात, जहां कभी रानी शिरोमणि ने पहाड़ से कूद कर दे दी थी जान.

इश्क का इम्तिहान है एक जलप्रपात, जहां कभी रानी शिरोमणि ने पहाड़ से कूद कर दे दी थी जान.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

झारखंड के गुमला व छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के सीमावर्ती पहाड़ व जंगलों के बीच रानीदह है. यह रायडीह प्रखंड से सटा हुआ है. यह अद्भुत प्राकृतिक स्थल है. देश का विख्यात पिकनिक स्पॉट है. नववर्ष की बेला में यह घूमने का सबसे सुंदर जगह है. रानीदह से एक कहानी भी जुड़ी हुई है, जिसे जानने लोग यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि एक रानी ने पहाड़ की ऊंचाई से नदी में कूदकर जान दे दी थी. इसलिए इसका नाम रानीदह पड़ा. रानीदह का एक नाम सुसाइड प्वाइंट भी है क्योंकि रानी ने यहां आत्महत्या की थी. इस कारण इसे रानीदह के साथ सुसाइड प्वाइंट भी कहा जाता है.

अभी नववर्ष की खुमारी है. पूरे जनवरी माह यहां झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा राज्य के पर्यटक घूमने आते हैं. रानीदह, नाम सुनने से ही लगता है कि इसके पीछे राजा-रानी का इतिहास छिपा हुआ है. इसमें यही सच्चाई है. बताया जाता है ओड़िशा राज्य के एक राजा की एक बेटी थी. जिसका नाम शिरोमणि था. शिरोमणि के विवाह की बात चल रही थी. इस बात से शिरोमणि नाराज हो गयी. वह अपने राज्य से बाहर निकल गयी. साथ में उसकी दासियां भी थीं.

राजा की बेटी शिरोमणि ओड़िशा से निकली तो झारखंड के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड (हीरादह) से कुछ दूरी पर स्थित पहाड़ पर पहुंची. पहाड़ की ऊंचाई अधिक थी. उसने उस पहाड़ से गिरमा नदी के झील में छलांग लगा दी. जिससे उसकी मौत हो गयी. शिरोमणि की मौत के बाद उसके पांच भाई भी उसकी तलाश में यहां आये तो वह भी श्राप के कारण पत्थर बन गये जो यहां पंच भैया के नाम से प्रसिद्ध है. तब से यह स्थान सुसाइड प्वाइंट के नाम से मशहूर हो गया.

रानीदह में रानी की मौत व उसके पांच भाइयों के पत्थर बनने की कहानी प्राचीन है. अपने प्यार को पाने के लिए युवा अपनी जान हथेली पर रख कर उस पहाड़ पर चढ़ते हैं. मान्यता है कि यदि कोई सफलता पूर्वक अपनी चढ़ाई पूरी कर ले तो उसका प्यार सफल हो जाता है. यह पहाड़ करीब 80 फीट ऊंचा है. कुछ लोग डर से आधा रास्ता चढ़ने के बाद नीचे उतर जाते हैं तो कुछ इश्क के दीवाने चढ़ाई पूरी कर ही दम लेते हैं. इसलिए कहा गया है कि इश्क का इम्तिहान है, 80 फीट ऊंचे पहाड़ की चढ़ाई. दूर-दूर से यहां युवक अपने इश्क का इम्तिहान देने आते हैं, हालांकि रानीदह के इस 80 फीट ऊंचे पहाड़ पर चढ़ना खतरनाक है.

यहां अभी तक किसी की मौत की सूचना नहीं है. न ही पहाड़ पर चढ़ने में कभी कोई बड़ा हादसा हुआ है, लेकिन जिस प्रकार की यहां फिसलन भरी दुर्गम चढ़ाई है. यहां जरा सी चूक मौत का कारण बन सकती है. रानीदह के निकट महाकालेश्वर मंदिर है. रानीदह जलप्रपात से एक किमी दूर दक्षिण में ऐतिहासिक स्थल पंचभैया प्राचीन शिवमंदिर है. यहां से कुछ दूरी पर रामरेखा धाम है जो सिमडेगा जिले में पड़ता है. रानीदह के बगल में गुमला जिले के रायडीह प्रखंड स्थित हीरादह है. यहां कई गुफाएं हैं. प्राचीन मंदिर है. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. सबसे सुंदर इस क्षेत्र की बनावट है. जिसे खुद प्रकृति ने संवारा और सजाया है.

अगर झारखंड के लोग रानीदह जाना चाहते हैं तो उनके लिए गुमला व सिमडेगा से रास्ता है. हालांकि सुगम रास्ता गुमला जिले से होकर जाता है. गुमला से जशपुर की दूरी 50 किमी है और जशपुर से रानीदह की दूरी 12 किमी है यानी गुमला से 62 किमी दूर रानीदह है. अगर शॉर्टकट रास्ता पकड़ना है तो कोंडरा, हीरादह से होकर रानीदह जाया जा सकता है. रास्ता ठीक है, लेकिन अनजान लोगों के लिए यह रास्ता सफर के लिए ठीक नहीं है. अगर आप रानीदह घूमना चाहते हैं तो आप गुमला व जशपुर जिला के होटल में ठहर सकते हैं. इसके बाद समय का ख्याल रखते हुए आप रानीदह भ्रमण का पूरा आनंद ले सकते हैं.

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