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ठेकुआ छठ पूजा का प्रसाद है, उपासना के साथ सेहत के लिए भी आवश्यक - श्रीनारद मीडिया

ठेकुआ छठ पूजा का प्रसाद है, उपासना के साथ सेहत के लिए भी आवश्यक

ठेकुआ छठ पूजा का प्रसाद है, उपासना के साथ सेहत के लिए भी आवश्यक

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

शुद्धता, स्वच्छता और सात्विकता का महापर्व है छठ पूजा। सूर्योदय के साथ सूर्यास्त काे भी नमन। यानी उदय के साथ अस्त का भी महत्व संदेश देने वाले प्रकृति आराधना के इस महापर्व की उमंग में पूरब से लेकर पश्चिम तक हर कोइ डूबा है। छह महापर्व का आज तीसरा दिन है। सुबह से घरों में महिलाओं ने स्वच्छता का ध्यान रखते हुए नये मिट्टी के चूल्हे पर ठेकुआ प्रसाद बनाना शुरू कर दिया है। निराहार रहकर व्रती सायंकाल की पूजा की तैयारियों में जुटे हुए हैं। प्रसाद की टोकरियां व्रती तैयार कर रहे हैं।

प्रसाद में सबसे महत्वपूर्ण ठेकुआ होता है। इस बारे में ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि छठ पूजा में वैसे तो कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं लेकिन उसमें सबसे अहम ठेकुए का प्रसाद होता है। जिसे गुड़ और आटे से बनाया जाता है। छठ की पूजा इसके बिना अधूरी मानी जाती है। छठ के सूप में इसे शामिल करने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि छठ के साथ सर्दी की शुरुआत हो जाती है और ऐसे में ठंड से बचने और सेहत को ठीक रखने के लिए गुड़ बेहद फायदेमंद होता है।

केले का महत्व

छठ में केले का भी खास महत्व है। यही वजह है कि प्रसाद के रूप में इसे बांटा और ग्रहण किया जाता है। इसके पीछे तर्क यह है कि छठ पर्व बच्चों के लिए किया जाता है और सर्दियों के मौसम में बच्चों में गैस की समस्या हो जाती है। ऐसे में उन्हें इस समस्‍या से बचाने के लिए प्रसाद में केले को शामिल किया जाता है।

प्रसाद में डाभ नींबू

छठ के प्रसाद में डाभ नींबू जो कि एक विशेष प्रकार का नींबू है चढ़ाया जाता है। ये दिखने में बड़ा और बाहर से पीला व अंदर से लाल होता है। आपको बता दें डाभ नींबू हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है और ये हमें कई रोगों से दूर रखता है। डाभ नींबू हमें बदलते मौसम में बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है।

लोक आस्था के महापर्व छठ के रंग में पूरा बिहार रंगा दिख रहा है. रविवार को छठ का तीसरा दिन है. व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देना शुरू कर दिए हैं. कई लोग अभी आ भी रहे हैं. 31 अक्टूबर सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ व्रति खरना के बाद से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं. पटना समेत पूरे बिहार के अन्य जिलों के घाटों पर छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देना शुरू कर दिया है. अर्घ्य को लेकर पटना समेत अन्य घाटों पर सरकार की तरफ से खास व्यवस्था की गई है.

लोक आस्था के इस महापर्व को बिहार में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. बिहार में इसे पूरी श्रद्धा और पारंपरिक तरीरके से मनाया जाता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास सात सर्कुलर रोड पर इसे पूरे धूम धाम से मनाया गया.इस महापर्व को लेकर छठ व्रतियों में खासा उत्साह रहा. इस महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने दिन भर निर्जला रहकर संध्या समय रसियाव रोटी व मिठाई चढ़ाकर परिवार के सदस्यों के बीच प्रसाद वितरण किया.

श्रद्धा और भक्ति के साथ होने वाले इस महापर्व की तैयारी में परिवार वाले भी काफी व्यस्त हैं. इसके साथ ही दूरदराज से घर के सदस्यों के अलावा सगे संबंधियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है. पर्व को लेकर हर घर में ठेकुआ को बनाने में श्रद्धालु लगे रहे. वहीं शनिवार को मार्केट में काफी भीड़ रही. भीड़ की वजह से वाहनों को छोड़ दें तो पैदल चलना भी मुश्किल था. सभी को खरीदारी की उत्सुकता थी.

वहीं छठ गीतों के गूंजायमान होने एवं घाटों को पंडाल व रोलर्स गेट, बिजली के रंगीन बल्बों आदि से आकर्षक ढंग से सजाया गया है. किसी तरह की कोताही न हो इसके लिए स्थानीय छठ पूजा समिति के सदस्य लगातार टेंट के मजदूरों के साथ प्रयासरत हैं. वहीं सरकारी निर्देशों के अनुसार कई घाटो पर नियंत्रण कक्ष एवं ध्वनि विस्तारक की व्यवस्था की गई है.

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