Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बिहार में गोपालगंज के लाइब्रेरी की चर्चा है- पीएम मोदी - श्रीनारद मीडिया

बिहार में गोपालगंज के लाइब्रेरी की चर्चा है- पीएम मोदी

बिहार में गोपालगंज के लाइब्रेरी की चर्चा है- पीएम मोदी

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

बिहार को धीरे-धीरे रीडिंग कल्चर की तरफ शिफ्ट करें-सूर्य प्रकाश

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में एक लाइब्रेरी का जिक्र किया. खास बात यह कि उन्होंने बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित उस लाइब्रेरी का जिक्र किया, जिस लाइब्रेरी के कारण आज की तारीख में करीब कई गांव के बच्चों, युवकों को सहूलियत मिल रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि लाइब्रेरी से समाज में बड़ा बदलाव आ रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकें छात्रों के काम आ रही है. उन्होंने छात्रों से किताबों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि किताबों से दोस्ती बढ़ाने में जीवन में बड़ा बदलाव आएगा.

इस लाइब्रेरी की नींव स्थानीय युवक सूर्य प्रकाश राय ने रखी थी. इस लाइब्रेरी के शुरू होने के बारे में सूर्य प्रकाश बताते हैं कि इसे शुरू करने के पीछे उद्देश्य यही था कि उन बच्चों तक शिक्षा रोशनी पहुंचे, जो अब तक इस रोशनी से वंचित थे. सूर्य प्रकाश बताते हैं कि इसे कुचायकोट ब्लॉक के बनिया छापर गांव में शुरू किया गया था. इसकी शुरूआत 2013 में की गयी थी.

शिक्षा से ही बदलाव

सूर्य प्रकाश बताते हैं, हमारी सोच केवल एक ही थी कि शिक्षा के माध्यम से उन सबके के बीच शिक्षा की अलख जगाई जाए, जो अब तक शिक्षा से महरूम रहे हैं. हमारी कोशिश यह थी कि हम बच्चों को बाल साहित्य उपलब्ध करा पाए, जिस भी बच्चे के पास किताब पहुंचे, सभी बच्चे उसे पढ़े और समझ सके. तीसरा उद्देश्य हमारा यह था कि पूरे बिहार को धीरे-धीरे रीडिंग कल्चर की तरफ शिफ्ट करें. इसी उद्देश्य के साथ हमने शुरुआत की थी.

आईआईटी मुंबई से स्टडी

सूर्य प्रकाश ने आईआईटी मुंबई से एमफिल किया हुआ है. सूर्य प्रकाश कहते हैं कि गोपालगंज में इस प्रयोग लाइब्रेरी को शुरू करने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह थी कि मेरा पैतृक निवास गोपालगंज है. हालांकि परिवार के लोग रांची में रहते थे, लेकिन गांव से रिश्ता हमेशा बना रहा है. जब भी मैं गांव आता था तो यही सोचता था कि शिक्षा ही ऐसी चीज है, जिससे स्थिति को बदला जा सकता है. मैं तभी सोचता था कि मैं अपने जीवन में अगर कुछ करुंगा तो शिक्षा के क्षेत्र में ही करूंगा.

सूर्य प्रकाश ने कहा कि मैंने कर्म को हमेशा ऊपर रखा. जब इस काम को शुरू किया तब मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी सफलता मिलेगी. मैं जब काम शुरू किया तो लोगों का साथ मिलता चला गया. लोग जुड़ते चले गए. जब-जब जिले में नए जिलाधिकारी आए उन्होंने हमारे काम की भरपूर सराहना की. आम लोगों में भी जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने भी हमारी भरपूर मदद की.

सरकारी स्कूलों में भी कार्य

सूर्य प्रकाश कहते हैं, शुरुआत तो हमने सामुदायिक पुस्तकालय के रूप में अपने गांव से की थी लेकिन इसके बाद हमारा कारवां बढ़ता चला गया. इसके बाद हम लोगों ने सरकारी स्कूलों में भी काम करना शुरू कर दिया. जब हमने इसकी शुरुआत की थी तब केवल 15 बच्चे आए थे और वह सारे बच्चे 10 से 12 साल की उम्र के थे. जब हमने उनके साथ काम करना शुरू किया तब हमें यह अंदाजा हुआ कि हमें इससे कम उम्र के बच्चों के लिए भी काम करना होगा. क्योंकि जब हम लोग अपना काम शुरू किए थे तो उस समय ऐसे बच्चे भी आते थे जो 6-7 साल के होते थे.

हमारे पास जगह नहीं होता था तो वह बाहर खड़े रहते थे. शुरुआत तो हमने सातवीं आठवीं क्लास के बच्चों के साथ की थी लेकिन 2017-18 में हमने इसे कक्षा एक के बच्चों के साथ शुरू कर दिया. अभी हम लोग क्लास वन से लेकर के क्लास फाइव तक के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.

90 टोले में काम

15 बच्चों से 2013 में इस प्रयोग लाइब्रेरी की शुरुआत करने वाले सूर्य प्रकाश राय आज की तारीख में 24 सरकारी विद्यालय में काम कर रहे हैं. कुचायकोट ब्लॉक के करीब 80-90 गांव टोले में उनका काम चल रहा है, जिसमें सरकारी विद्यालय भी हैं. सूर्य प्रकाश यह भी बताते हैं कि जिला स्तर पर हमें 24 और विद्यालय में काम करने का अप्रूवल मिल चुका है. अब हम लोग 48 विद्यालयों में काम करेंगे.

चार लोगों से आगाज

सूर्य प्रकाश बताते हैं, 2013 में जब मैं इसकी नींव रखी थी, तब 2020 तक पूरी मुहिम को लगभग मैंने अकेले ही चलाया. हालांकि शुरुआती दौर में तीन से चार लोग मुझसे जुड़े हुए थे. अब हमारी टीम में तकरीबन 40 लोग हैं और इनमें से करीब 90 प्रतिशत महिलाएं हैं जो कि स्थानीय हैं. हम जिस किसी का भी सिलेक्शन करते हैं, उनका प्रशिक्षण हमारा दायित्व होता है. हम लोग स्थानीय लेवल पर उनको प्रशिक्षित करते हैं साथ ही साथ बिहार के बाहर भी जहां ट्रेनिंग चलती है. वहां भी भेजते हैं ताकि वह बच्चों के साथ साहित्य में बेहतर तरीके से कम कर सके. हमारी कोशिश यह रहती है कि हम ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोग को जोड़ें क्योंकि बदलाव के प्रथम वाहक वही हो सकते हैं.

Leave a Reply

error: Content is protected !!