छोटे बच्चों की गृह आधारित देखभाल की प्रक्रिया को दुरुस्त करने की है जरूरत: जिलाधिकारी
बाल मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिहाज से एचबीवाईसी कार्यक्रम का सफल संचालन जरूरी:
एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मियों के लिये कार्यशाला आयोजित:
बच्चों के गृह आधारित देखभाल की प्रक्रिया को दुरूस्त करने को लेकर दिया गया जरूरी प्रशिक्षण:
श्रीनारद मीडिया, अररिया, (बिहार):
छोटे बच्चों के गृह आधारित देखभाल की सुविधा के संचालन को बेहतर बनाने के लिये एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को समाहरणालय स्थित डीआरडीए सभागार में किया गया। इसमें बच्चों के गृह आधारित देखभाल की प्रक्रिया को ज्यादा उपयोगी बनाने को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को जरूरी जानकारी दी गयी। कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच, डीडीसी मनोज कुमार, सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता निपी स्टेट हेड गौरव कुमार, यूनिसेफ के क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल हौदा, डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने सामूहिक रूप से किया। कार्यशाला में सभी एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम सहित विभिन्न सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि मौजूद थे।
बाल स्वास्थ्य की समुचित निगरानी जरूरी:
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए जिलाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच ने कहा कि बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिहाज से बच्चों के गृह आधारित देखभाल की प्रक्रिया को दुरुस्त किये जाने की जरूरत है। इस लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के लिये आयोजित कार्यशाला को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि नवजात व बाल मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिये आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण कर बच्चों की सेहत का सही आकलन करते हुए उचित चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराना जरूरी है। उन्होंने प्रशिक्षण को गंभीरता से लेते हुए इससे प्राप्त अनुभव के आधार पर क्षेत्र अधारित गतिविधियों के संचालन का निर्देश स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया। कोरोना टीकाकरण से संबंधित मामले का जिक्र करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि आने वाले समय में फिर बड़े पैमाने में टीकाकरण अभियान का संचालन किया जायेगा। इसके लिये इसके हायर्ड डाटा इंट्री ऑपरेटरों को जरूरी प्रशिक्षण देने, पीएचसी वार 50 ऑपरेटरों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश उन्होंने दिया। उन्होंने टीकाकरण की प्रक्रिया में लाभुकों के ऑनलाइन पंजीकरण को महत्वपूर्ण बताते हुए इसके लिये सभी जरूरी तैयारियां सुनिश्चित कराने का निर्देश उन्होंने दिया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीडीसी मनोज कुमार ने कहा कि चिकित्सकीय पेशा मूल रूप से जन सेवा से जुड़ा होता है। इसलिये चिकित्सकों को समाज में भगवान का दर्जा हासिल है। सेवा भाव से प्रभावित होकर एचबीवाईसी कार्यक्रम के सफल संचालन का निर्देश उन्होंने दिया। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उनका समुचित विकास जरूरी है। उनका उचित शारीरिक व मानसिक विकास हमारी प्राथमिकताओं में शुमार होना चाहिये।
बच्चों के सतत विकास के लिये एचबीवाईसी का सफल क्रियान्वयन जरूरी:
कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभाते हुए निपी के स्टेट हेड गौरव कुमार ने कहा कि 0 से 5 साल तक बच्चों की मृत्यु के मामले में राज्य का औसत राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य, उनका विकास व स्वच्छता संबंधी जरूरतें महत्वपूर्ण हैं। इसके लिये 0 से 6 माह तक के बच्चों का स्तनपान, छह माह के बाद उन्हें ऊपरी आहार देने की शुरुआत, आयरन व फोलिक एसिड का निर्धारित डोज दिया जाना जरूरी है। साथ ही बच्चों की सेहतमंद ज़िंदगी के लिये उनका संपूर्ण टीकाकरण, उनके विकास की सतत निगरानी महत्वपूर्ण है। इसके लिये आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिये अलग अलग जिम्मेदारियों का निवर्हन किया गया है। इसका बेहतर क्रियान्वयन बाल मृत्यु दर के मामले में कमी लाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
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