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*यूपी चुनाव-2022 की दिशा तय करेंगी बनारस की ये सजी-धजी चाय की अड़ि‍यां, शुरू हो चुकी है राजनीतिक चर्चाएं* - श्रीनारद मीडिया

*यूपी चुनाव-2022 की दिशा तय करेंगी बनारस की ये सजी-धजी चाय की अड़ि‍यां, शुरू हो चुकी है राजनीतिक चर्चाएं*

*यूपी चुनाव-2022 की दिशा तय करेंगी बनारस की ये सजी-धजी चाय की अड़ि‍यां, शुरू हो चुकी है राजनीतिक चर्चाएं*

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*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / काहो मिश्रा ई बार किसको वोट देना है, अरे सोचना क्या है अपने दादा ही जीत रहे हैं।’ वाह गुरु कर देला एकदम मन लायक बात। ए पप्पू गुरु, गुरु के एक चाय पिलावा हमारी तरफ से… ये आवाज़ है काशी के राजनीतिक गलियारे के उस महत्वपूर्ण स्थान की जहां का ज़िक्र अक्सर प्रधानमंत्री अपनी मन की बात में करते आये हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं काशी के अस्सी पर स्थित पप्पू टी कार्नर की जो चाय की दुकान से ज़्यादा राजनीतिक अड़ी के नाम से मशहूर है। इस अड़ी पर एक समय में भाजपा, कांग्रेस, बीएचयू के प्रोफ़ेसर, अफसर, विधायक, लिकर के आशिक होकर अर्क वाली चाय पीने आते थे पर वक़्त बदला और परिवेश अब इस अड़ी ने स्वरुप भी बदल लिया है। शहर में कई स्थानों पर युवा पीढ़ी को आकर्षित करती और चाय को रोज़गार बनाने वाली युवा पीढ़ी आने वाले नए भारत का स्वरुप बनाने और बुनने में लगे हुए हैं। शहर के नगवा चौराहे पर स्थित चाय बार इसी की एक बानगी है जहां दिन भर युवाओं की टोली हाथ में अलग-अलग तरह की चाय के कुल्हड़ लिए एक दुसरे को सलाह के साथ बदलते भारत की तस्वीर खींचते दिखाई देते हैं। यही नहीं इस चाय बार के मालिक कौस्तुभ खुद एक कम्पनी में अच्छे पैकेज पर काम करते थे पर गृहमंत्री अमित शाह के भाषण ने उनका दिल बदला और उन्होंने अपने गृहनगर का रुख किया और खोल डाला चाय बार जिसपर चुस्कियां लेने दिन भर में सैंकड़ों की संख्या में युवा आते हैं। बार नाम से ही पता चलता है कि यहां आप के स्वाद और मांग के हिसाबे से वैरायटी भी मौजूद है। कौस्तुभ के इस चाय बार में 150 किस्म की चाय नेशनल और इंटरनेशनल स्वाद की मौजूद है जिनका दाम 15 से 600 रुपये तक है। फिलहाल युवा यहां सबसे अधिक कश्मीरी चाय और बनारसी कड़क चाय के साथ ही साथ लिकर की डिमांड करते हैं। कौस्तुभ बताते हैं कि इस चाय बार पर दुनिया-जहान की ख़बरें पता चलती हैं और साल 2018 से लेकर आज तक राजनीति के प्रति युवाओं की सोच भी बदली है।अब युवा सिस्टम बदलने के लिए आगे आने की सोच रखता है। पहले युवा कहते थे हमें क्या हमें बस नौकरी करना है और अपना घर चलना है पर अब युवा देश चलाने की बात करते हैं। उन्होंने बताया कि कितने ही युवा यहां खुद को नेता के रूप में प्रेज़ेंट करते हैं और आगामी चुनाव में तस्वीर बदलने की बात भी होती है।शहर के अन्य इलाकों खास कर कबीर नगर, लंका , अस्सी घाट के पास इस तरह के कई चाय के कैफ़े खुल गए हैं। बेहतरीन एमबीएन्स, साफ सुथरा माहौल, संगीत के साथ वाराणसी के युवाओं के अब पसन्दीदा बतकही और राजनीति के अड्डे बनते जा रहे हैं। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं और कामकाजी लोग बड़ी संख्या में पारम्परिक चाय की अड़ी को छोड़ अब इन नए कैफे में समय बिता रहे हैं । युवाओं के साथ साथ विदेशियों को भी इस तरह के जगहों पर बड़ी आसानी से स्पॉट किया जा सकता है।

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