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साइबर ठगी से यूं बचे यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, आप भी अपना सकते हैं ये उपाय - श्रीनारद मीडिया

साइबर ठगी से यूं बचे यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, आप भी अपना सकते हैं ये उपाय

साइबर ठगी से यूं बचे यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, आप भी अपना सकते हैं ये उपाय

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

साइबर ठग अब बेखौफ होते जा रहे हैं. अभी तक आम जनता को ठगी का शिकार बनाने के नए-नए हथकंडे अपनाते थे, लेकिन अब उनके निशाने पर आईएएस और आईपीएस अफसर भी आ गए हैं. रिटायर हो चुके इन प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों को ठगने के नए-नए तरकीब निकाल रहे हैं. ताजा मामला यूपी के पूर्व डीजीपी रहे सुलखान सिंह से जुड़ा हुआ है. उनके साथ साइबर ठगी की एक नाकाम कोशिश की गई है. सुलखान सिंह की सतर्कता और सावधानी ने उन्हें लुटने से बचा लिया है.जानकारी के मुताबिक, यूपी के डीजीपी रहे सुलखान सिंह के पास एक प्राइवेट नंबर से कॉल आई. कॉलर ने उनसे कहा कि वो लखनऊ के जवाहर भवन स्थित ट्रेजरी ऑफिस से बोल रहा है. उनका जीवन प्रमाण पत्र अभी तक नहीं जमा हुआ है, जिसकी वजह से उनकी पेंशन बंद हो सकती है. उसकी बात सुनकर सुलखान सिंह चिंतित हो गए. इसके बाद उसने कहा कि आपके मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी गई है, उसे बता दीजिए, ताकि पेंशन बंद होने से पहले उसे रोकने की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके.

इतना सुनते ही पूर्व डीजीपी के कान खड़े हो गए. उनको समझ में आ गया कि ये कोई साइबर क्रिमिनल है, जो उनसे ठगी की कोशिश कर रहा है. उन्होंने तुरंत उसकी कॉल काटकर नंबर ब्लॉक कर दिया, लेकिन एक बात उन्हें खाए जा रही थी कि उनका नंबर कैसे लीक हुआ है. उन्होंने तुरंत ट्रेजरी ऑफिस में कॉल करके इस बात की शिकायत कर दी. इसके बाद पूर्व आईपीएस अफसरों के बीच ये बात चर्चा में है कि आखिर पेंशनधारी के पेंशनर खाते से संबंधित जानकारी साइबर ठगों के पास कैसे पहुंच गई. ये जानकारी ट्रेजरी विभाग के एकाउंट डिपार्टमेंट को होती है. इसके बावजूद डाटा सार्वजनिक हो गया और साइबर ठगों तक पहुंच गया. फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. इस मामले में डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस अपर्णा कौशिक ने बताया कि फेक कॉल के संबंध में जांच की जाएगी और जो भी लोग इससे जुड़े हुए हैं, उनको पकड़ा जाएगा. उनके खिलाफ जरूरी विधिक कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि इस तरह से कॉल करके साइबर अपराधी ठगी के नए-नए रास्ते अख्तियार करते रहते हैं.

सुलखान सिंह से सीख लेकर साइबर ठगी से बच सकते हैं
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के साथ हुई ये घटना कई लोगों के लिए सीख हो सकती है. आए दिन जिस तरह से साइबर क्रिमिनल लोगों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें ठगने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में सतर्कता और सावधानी ही बचाव का एकमात्र उपाय नजर आता है. यदि आप सावधान नहीं है, तो जरा सी भी चूक से आपकी गाढ़ी कमाई लुट सकती हैं. किसी भी तरह के अनजान नंबर से आने वाली कॉल को रिसीव करते वक्त ध्यान रखें कि वो क्या चाहता है. शक होते ही उसकी तुरंत शिकायत करें.

बेहद सरल स्वभाव, लेकिन अपराधियों के प्रति कड़ा रुख
सुलखान सिंह 1980 कैडर के आईपीएस हैं. उनकी गिनती उत्तर प्रदेश के तेज-तर्रार अफसरों में होती रही है. डीजीपी बनने के बाद उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ उन्होंने मजबूत अभियान चलाया था. इसी के तहत पुलिस एनकाउंटर में कई बड़े अपराधी मारे गए थे. उनको बेहद सरल स्वभाव का माना जाता है, लेकिन अपराधियों के प्रति उनका रुख हमेशा कठोर रहा है. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने एक राजनीतिक दल का गठन किया है, जो कि बुंदेलखंड के लोगों की आवाज उठाने का दावा करती है.

यूपी के 57 जिलों में स्थापित होंगे साइबर क्राइम थाने
बताते चलें कि साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए 57 जिलों में साइबर क्राइम थाने स्थापित किए जा रहे हैं. फिलहाल प्रदेश के सभी 18 मंडलों में साइबर क्राइम थाने मौजूद हैं. अभी तक आईजी स्तर का अधिकारी इन थानों को देखता था, लेकिन अब सभी जनपदों में साइबर क्राइम थाने स्थापित होने के बाद पुलिस अधीक्षक के पास इसकी जिम्मेदारी होगी. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक, इसकी स्थापना पर सरकार पर लगभग 1 अरब, 27 करोड़, 24 लाख, 51 हजार धनराशि का अनुमानित खर्चा बढ़ेगा.

साइबर फ्रॉड रोकने में कारगर साबित हुआ नया सिस्टम
साइबर फ्रॉड की रकम वापस दिलाने में एक नया सिस्टम कारगर साबित हो रहा है. इसका नाम CFCFRMS सिस्टम है. इसे साल 2021 में तैयार किया था, जो ऑनलाइन ठगी रोकने में बेहद कारगर साबित हुआ है. इसे गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने बनाया है. इस सिस्टम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ 243 वित्तीय संस्थाओं को जोड़ा गया है. इन वित्तीय संस्थाओं में बैंक, वर्चुअल वॉलेट, पेमेंट एग्रीगेटर, गेटवे और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल हैं.

साइबर ठगी के बाद 1930 नंबर पर तुरंत करें कॉल
ये सिस्टम पीड़ित के एनफोर्समेंट एजेंसी को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के साथ काम करना शुरू कर देता है. इसके बाद धोखाधड़ी करने वाले की सारी जानकारी CFCFRMS के जरिए एक टिकट के तौर पर जेनरेट हो जाती है. ये टिकट संबंधित फाइनेंशियल यूनिट यानी बैंक, भुगतान वॉलेट वगैरह को भेज दिया जाता है. इसके बाद फाइनेंशियल यूनिट फ्रॉड की रकम की जांच करती है और उसके खाते में होने पर तुरंत वहीं रोक देती है. साइबर ठगी होने के बाद तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज कराना चाहिए.

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