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शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर दी गयी डॉ राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि - श्रीनारद मीडिया

शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर दी गयी डॉ राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि

शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर दी गयी डॉ राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर महाराजगंज प्रखंड क्षेत्र के पोखरा गांव में सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ सिंह के नव निर्मित घर पर भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और भारत के द्वितीय राष्ट्रपति भारतरत्न शिक्षाविद् प्रखर वक्ता तथा दार्शनिक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्रों पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्जवलित कर उन्हें याद कियख गया। साथ ही, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर शिक्षक दिवस मनाया गया। जिसमें शिक्षक राजीव कुमार के साथ बच्चे भी शामिल हुए।

 

इस अवसर पर भाजपा नेता दिलीप कुमार सिंह ने शिक्षक दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं और वे देश के भविष्य का सृजन करते हैं। उन्होंने कहा कि हर साल पांच सितंबर को भारतरत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस के रुप मनाया जाता है। पांच सितंबर,1888 को भारत के तामिलनाडु राज्य में इनका जन्म हुआ था। ये एक कुशल शिक्षाविद्, दार्शनिक और शिल्पकार थे।

इनका उदात्त व्यक्तित्व शिक्षा समाज की दिशा और तय करता रहेगा। प्रति जागरूक था। कह जाता है कि समाज में शिक्षक का दर्जा ईश्वर के समान होता है। एक शिक्षक का राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान होता है। इस लिए शिक्षकों के तथा उनके परिवार के कल्याण के विषय में समाज और देश के लोगों को सोचना चाहिए।उसी प्रकार से छात्र छात्राओं को भी अपने गुरुजनों के प्रति आदर और सम्मान होना चाहिए।

गुरु और शिष्य का अनुआश्रय का सम्बन्ध होना चाहिए। क्यों कि शिक्षक समाज को प्ररेणा देता है। और छात्र छात्राओं के जीवन ज्ञान रुपी प्रकाश को देता है जिसमें समाज और राष्ट्र की तरक्की और विकास में उसकी अहम भूमिका होती है। तो क्या हमें अपने शिक्षक और गुरुजनों के प्रति और उनके कल्याण के लिए शिक्षक दिवस पर टिकट जारी कर एक मिनिमम बैलेंस राशि टिकट के माध्यम से संग्रहित करने का कार्य भारत में सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म जयंती पांच सितंबर 1962 से शुरू किया गया।

 

इस राशि का उपयोग कोई के अपंग होने तथा कोई गम्भीर बीमारी होने पर उनके जीवन की सुरक्षा और कल्याण के लिए संचित और सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया था। आज आधुनिक समय में इसका रूप बदलते जा रहा है।छात्र और शिक्षकों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।वहीं इसके शिक्षा और छात्र के साथ समाज के जीवन मूल्यों में गिरावट आयी है।

 

आज के इस अवसर पर हमें अपने दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति शिक्षाविद् दर्शनिक भारतरत्न सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी से प्ररेणा लेनी चाहिए तथा उनके आदर्शों पर चलते हुए। शिक्षा को मजबूत करना चाहिए।यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

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